नोएडा : नोएडा के सलारपुर गांव में वर्षों से उपेक्षित और जर्जर हालत में पड़े पुराने पुल अब इतिहास बनने वाले हैं। ग्रामीणों की लगातार मांग, और प्रशासनिक सुस्ती के बाद अब आखिरकार नए युग की शुरुआत होने जा रही है। नोएडा प्राधिकरण और सिंचाई विभाग के बीच हुए एतिहासिक एमओयू के तहत अगले महीने से सलारपुर के बड़े नाले पर दो आधुनिक पुलों का निर्माण शुरू होने जा रहा है। इन पुलों पर ₹10 करोड़ खर्च किए जाएंगे और निर्माण कार्य एक साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
क्यों जरूरी है ये पुल?
आपको बता दें कि सलारपुर गांव, जो एक्वा लाइन मेट्रो के पास स्थित है, नोएडा का एक घनी आबादी वाला रिहायशी क्षेत्र है। यहां के निवासियों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए पुराने, जर्जर और संकरे पुलों से गुजरना पड़ता है। ग्रामीणों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि दो दशक पुराने पुल अब खतरे से खाली नहीं। बरसात के मौसम में पुलों पर फिसलन, संकरी चौड़ाई और नीचे तेज बहाव; ये सब वाहन चालकों के लिए हर दिन खतरा बन चुके हैं।
जनता की जीत; सालों पुरानी मांग को मिली मंज़ूरी :
गौरतलब है कि सलारपुर के ग्रामीणों का कहना है कि "हमने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई। जब पुल पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया, तब जाकर अब जाकर हमारी बात सुनी गई है।” प्राधिकरण ने ग्रामीणों की इस जनहित याचिका जैसी मांग को मानते हुए दो नए पुलों के निर्माण की स्वीकृति दी।
क्या है प्रोजेक्ट की खासियत :
रिपोर्ट के अनुसार पुलों की संख्या 2 रहेगी जिसमे प्रत्येक पुल की लंबाई 30 मीटर और चौड़ाई प्रति पुल 12 मीटर रहेगी। इसकी कुल लागत ₹10 करोड़ ₹ होगी। इस परियोजना की निर्माण एजेंसी सिंचाई विभाग होगा तथा इसका वित्तपोषण संस्था नोएडा प्राधिकरण होगा। इस पुल की निर्माण अवधि लगभग 12 महीने की होगी।
एमओयू से हुआ पुल बनाने का रास्ता साफ :
जानकारी के अनुसार नोएडा प्राधिकरण और सिंचाई विभाग के बीच इस परियोजना को लेकर स्पेशल एमओयू साइन हुआ है। इसके अनुसार इसका निर्माण कार्य सिंचाई विभाग करेगा एवं पूंजी व्यय नोएडा प्राधिकरण करेगा। एवं इसका किस्तों में भुगतान होगा यानी जैसे-जैसे काम बढ़ेगा, वैसे-वैसे पैसा जारी किया जाएगा।
अधिकारियों की क्या है राय? :
गौरतलब है कि नोएडा प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “हम सुरक्षा और कनेक्टिविटी को लेकर गंभीर हैं। सलारपुर जैसे घने इलाकों में जर्जर पुलों से गुजरना अब इतिहास बनेगा। ये नया निर्माण सैकड़ों लोगों की जान और रोज़मर्रा की सहूलियत से जुड़ा है।”
नोएडा के इतिहास में यह एक छोटा लेकिन प्रभावशाली इंफ्रास्ट्रक्चर फैसला साबित हो सकता है। जहां एक ओर सरकार करोड़ों के एक्सप्रेसवे बना रही है, वहीं गांवों की बुनियादी मांगों को पूरा करना सच्चे विकास का प्रतीक है।