लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भाजपा जल्दी ही अपने नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है। इस बार पार्टी पिछड़ा वर्ग (OBC) से किसी नेता को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है। ऐसे में सबसे चर्चित नाम धर्मपाल सिंह का सामने आ रहा है, जो इस समय उत्तर प्रदेश सरकार में पशुधन मंत्री हैं और लोध समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। भाजपा का मानना है कि अगर वह पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है तो उसे पिछड़े वर्ग से ही मजबूत चेहरा सामने लाना होगा। यही वजह है कि धर्मपाल सिंह की दावेदारी इस समय सबसे मजबूत मानी जा रही है।
कौन हैं धर्मपाल सिंह? :
आपको बता दें कि धर्मपाल सिंह 72 साल के वरिष्ठ नेता हैं। वे बरेली जिले के आंवला विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 1996 से राजनीति में सक्रिय हैं और अब तक कई बार मंत्री पद संभाल चुके हैं। सबसे बड़ी बात वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पुराने स्वयंसेवक रहे हैं। साथ ही साथ योगी सरकार में 2017 से अब तक दो बार मंत्री रह चुके हैं।
लोध समाज की ताकत क्या है? :
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लोध (लोधी) समाज की जनसंख्या लगभग 1.10 करोड़ है। ये समाज ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राज्य की लगभग 70 विधानसभा सीटों और 12 लोकसभा सीटों में इनकी भूमिका निर्णायक मानी जाती है। भाजपा में 19 विधायक और 2 सांसद लोध समाज से आते हैं। केंद्र में बीएल वर्मा, राज्यसभा में राज्य मंत्री और यूपी में धर्मपाल सिंह मंत्री हैं। इतनी मजबूत सामाजिक पकड़ वाले समाज से नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है।
क्यों बढ़ी धर्मपाल की दावेदारी? :
आपको बता दें कि बीएल वर्मा, जो कि लोध समाज के ही केंद्रीय मंत्री हैं, पहले रेस में आगे माने जा रहे थे, लेकिन कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने उनका विरोध कर दिया। बताया जाता है कि राजवीर सिंह ने पार्टी नेतृत्व से साफ कहा कि अगर बीएल वर्मा को अध्यक्ष बनाया गया तो वह पार्टी छोड़ सकते हैं। इस वजह से बीएल वर्मा पीछे हो गए और धर्मपाल सिंह आगे आ गए। धर्मपाल सिंह को राजनाथ सिंह और उमा भारती जैसे बड़े नेताओं का भी समर्थन बताया जा रहा है।
ब्राह्मण नेताओं का भी दबाव, लेकिन...
गौरतलब है कि ब्राह्मण समाज से भी कई नेता इस पद के दावेदार हैं, जैसे डॉ. दिनेश शर्मा, महेश शर्मा और हरीश द्विवेदी। लेकिन फिलहाल भाजपा का ध्यान ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करना है, क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव में पिछड़े और दलित वोटर कुछ हद तक भाजपा से नाराज़ नजर आए। ऐसे में पार्टी इस बार जातीय संतुलन को देखते हुए पिछड़े वर्ग से ही अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है।
क्या कहते है विशेषज्ञ?
आपको बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय कहते हैं, "बीजेपी अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेती है, लेकिन फिलहाल पिछड़ा वर्ग सबसे बड़ा फोकस है, और धर्मपाल सिंह सबसे अनुभवी नेता हैं।" राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट का कहना है, "अमित शाह की पसंद से ही अध्यक्ष चुना जाएगा। पिछड़े वर्ग को साधने के लिए भाजपा को मजबूत चेहरा चाहिए, जो फिलहाल धर्मपाल सिंह हो सकते हैं।"
लोध समाज भाजपा के और करीब आएगा। इससे सपा के PDA वोट बैंक को जवाब मिलेगा। साथ ही भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत तैयारी कर पाएगी। इसके साथ ही पार्टी को पंचायत चुनाव 2026 में जातीय आधार पर लाभ मिल सकता है।