लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके पड़ोसी जिलों की किस्मत अब बदलने जा रही है। सरकार ने जिस उत्तर प्रदेश स्टेट कैपिटल रीजन (UPSCR) की योजना बनाई है, वह अब तेजी से आकार ले रही है।
ये 6 जिले होंगे SCR में शामिल :
आपको बता दें कि इस मेगा प्रोजेक्ट का दायरा करीब 26,000 वर्ग किलोमीटर में फैलेगा, जिसमें लखनऊ, रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव और बाराबंकी को शामिल किया गया है। योजना का मकसद सिर्फ राजधानी नहीं, बल्कि आसपास के जिलों को भी समानांतर रूप से विकसित करना है, ताकि विकास का केंद्र एक शहर तक सीमित न रहे।
“एक नहीं, छह स्मार्ट सिटी!” — विकास की नई सोच :
गौरतलब है कि एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि UPSCR के लिए एई कॉम इंडिया प्रा. लि. और एजीस इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स को कंसल्टेंट के रूप में चुना गया है। ये कंपनियां जीआईएस आधारित क्षेत्रीय महायोजना (Regional Plan) तैयार करेंगी। पहले चरण में एक साल के भीतर प्लान बनेगा और अगले पांच साल में इसे ज़मीन पर उतारा जाएगा। इसमें सभी जिलों में स्मार्ट सिटी मॉडल, इंडस्ट्रियल क्लस्टर, हेरिटेज जोन और पर्यटन कॉरिडोर का विकास शामिल है।
हरदोई–सीतापुर बनेगा ‘इंडस्ट्रियल पावर बेल्ट’ :
विदित है कि योजना के तहत हरदोई-सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग को इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां कृषि आधारित उद्योग, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, और मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे। इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और लखनऊ पर आबादी व रोजगार का दबाव घटेगा।
सेंट्रल म्यूजियम और एआई विजुअल टूरिज्म से चमकेगा प्रदेश :
विदित है कि परियोजना में एक सेंट्रल म्यूजियम बनाने की भी योजना है, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के एआई आधारित विजुअल्स प्रदर्शित होंगे। यह म्यूजियम राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को डिजिटल स्वरूप में दिखाने वाला पहला प्रयोग होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे टूरिज्म और इकोनॉमिक एक्टिविटी दोनों को नया बल मिलेगा।
हाई-स्पीड रेल और रोड नेटवर्क से घटेगा पलायन :
रिपोर्ट के अनुसार, हर दिन हजारों लोग नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लखनऊ आते हैं।
अब UPSCR के तहत सभी जिलों को हाई-स्पीड रेल और चार-लेन हाईवे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इससे लोगों को अपने जिले में ही रोजगार और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
लोगों को राजधानी आने की मजबूरी नहीं रहेगी, इससे पलायन में भारी कमी आएगी।
सांसद प्रतिनिधि का सुझाव: “बाराबंकी और उन्नाव को भी मिले मेट्रोपॉलिटन टच” :
राजनाथ सिंह के सांसद प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी ने प्रस्तुति के दौरान कहा कि “लखनऊ का विकास शहरीकरण की वजह से हुआ। अब बाराबंकी, उन्नाव, सीतापुर और हरदोई को भी उसी स्तर पर लाना होगा।”
उन्होंने कहा कि इन जिलों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और बिजली की खपत के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए शहरी प्लानिंग मॉडल तैयार किया जाना चाहिए। साथ ही अयोध्या में आने वाले 16 करोड़ से अधिक पर्यटकों को लखनऊ और आसपास के जिलों से जोड़ने की विस्तृत योजना भी बनेगी।
“गांवों तक पहुंचेगी शहरी सुविधाएं, एलडीए की नई पहल" :
आपको बता दें कि एलडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि UPSCR बनने के बाद गांवों तक शहरी सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी। हर जिले में नवीन आवासीय योजना, इलेक्ट्रिक बस नेटवर्क, ग्रीन एनर्जी जोन, और डिजिटल सिटी सर्विसेज़ शुरू की जाएंगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया जीवन मिलेगा।
प्रस्तुति के दौरान यह साफ हुआ कि सरकार इस परियोजना को केवल शहरीकरण तक सीमित नहीं रखना चाहती बल्कि इसे ‘ग्रोथ इंजन ऑफ नॉर्थ इंडिया’ के रूप में तैयार किया जा रहा है। लखनऊ के आसपास के ये जिले आने वाले वर्षों में उद्योग, शिक्षा, पर्यटन और निवेश के केंद्र बन सकते हैं।