लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति अब पारंपरिक बहसों से एक कदम आगे बढ़ चुकी है। देश की सबसे बड़ी विधानसभा अब हाईटेक बनने जा रही है। इतिहास में पहली बार, यूपी विधानसभा के माननीय विधायकों को IIT के प्रोफेसर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की क्लास देंगे। अब मंत्री-विधायक सिर्फ भाषण नहीं देंगे, बल्कि डेटा, एल्गोरिदम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए कानून की बारीकियां भी समझेंगे।
IIT कानपुर के प्रोफेसर लेंगे सत्र, दो से तीन घंटे की स्पेशल क्लास :
आपको बता दें कि यह पहल मानसून सत्र के दौरान लागू की जा रही है। IIT कानपुर के विशेषज्ञ प्रोफेसर विधानसभा पहुंचेंगे और माननीय सदस्यों को बताएंगे कि कैसे AI की मदद से वे कानून, विकास और प्रशासन में क्रांति ला सकते हैं। यह सत्र स्वैच्छिक होगा, लेकिन इसके महत्व को देखते हुए बड़ी संख्या में विधायकों के भाग लेने की उम्मीद है।आइये जानते हैं क्या-क्या सिखाया जाएगा AI की क्लास में?
1. बिल ड्राफ्टिंग और लीगल रिसर्च :
गौरतलब है कि अब कोई भी विधायक AI टूल्स की मदद से विधेयक तैयार कर सकेगा, साथ ही कानूनी समस्याओं की भी पहचान कर सकेगा, वहीं अब अन्य राज्यों के कानूनों से तुलना भी कर सकेगा। विधायको हेतु यह बहुत अहम टूल साबित होगा।
2. संपत्ति हितों की जांच:
विदित है कि अब AI स्वयं बताएगा कि विधायको के हितों का टकराव कहां हो सकता है, साथ इसके मदद से सम्पत्तियों से जुड़े टकराव की भी जांच की जा सकेगी।
3. जनता की नब्ज़ पर पकड़ :
गौरतलब है कि अब चुनाव के दौरान AI जनता के मूड़ को भांपने हेतु सोशल मीडिया और याचिकाओं से जनता की राय निकाल कर दे सकेगा, जिससे विधायकों को चुनाव जीतने में मदद मिल सकेगी।
4. कानून का सामाजिक असर :
आपको बता दें कि AI के प्रयोग से नया कानून राज्य पर क्या असर डालेगा, पहले से अनुमान लगाने में AI मदद करेगा।
5. दस्तावेज़ों की डिजिटलीकरण और अनुवाद :
गौरतलब है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वर्षों पुराने बहस और रिकॉर्ड को सर्चेबल बनाया जाएगा और भाषाई दीवारें तोड़ दी जाएंगी। यानी AI की मदद से किसी भी भाषा मे पलक झपकते दस्तावेज तैयार हो जाएगा।
6. परियोजनाओं की निगरानी :
विदित है कि डैशबोर्ड से योजनाओं की प्रगति और खर्च का रियल-टाइम ऑडिट किया जा सकेगा जिसमे AI का रोल प्रमुख रहेगा।
7. नैतिकता और गोपनीयता :
आपकी जानकारी के लिए हटा दें कि AI द्वारा यह सिखाया जाएगा कि कैसे AI का सुरक्षित और न्यायसंगत प्रयोग हो। जिससे जनता के हित में इसका प्रयोग आसानी से किया जा सकेगा।
हाईटेक विधानसभा की दिशा में दूसरा बड़ा कदम :
गौरतलब है कि इससे पहले विधानसभा परिसर में एआई आधारित कैमरे लगाने का फैसला लिया गया था, ताकि हर गतिविधि पर बारीकी से निगरानी की जा सके। अब यह क्लास विधायकों को व्यक्तिगत रूप से टेक-सक्षम बनाएगी। अब AI की क्लास AI के प्रयोग में दूसरा बड़ा कदम साबित होगी।
भविष्य की योजना: विधानसभा में बनेगी AI सहायता यूनिट :
विदित है कि विधानसभा सचिवालय की योजना है कि भविष्य में AI सपोर्ट यूनिट बनाई जाए, जहां से विधायक अपने काम के लिए तकनीकी मदद ले सकें। इसमें दस्तावेज़ों की तैयारी में भी मदद मिलेगी।
क्यों है ये फैसला ऐतिहासिक?
आपको बता दें कि पहली बार कोई राज्य सरकार तकनीकी प्रशिक्षण को विधायिका में शामिल कर रही है। यह पहल केवल कार्यकुशलता नहीं, बल्कि गवर्नेंस की पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ाएगी। इससे राजनीतिक नेतृत्व तकनीकी रूप से सशक्त होगा, जो भविष्य के भारत की ज़रूरत है।
राजनीति अब केवल माइक और मंच की नहीं रही, अब माउस और मशीन लर्निंग की भी है। उत्तर प्रदेश ने जो कदम उठाया है, वह अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनेगा। अब देखना यह है कि कितने विधायक इस टेक्नोलॉजी के युग में खुद को अपडेट करने का साहस दिखाते हैं।