यूपी में नया बिजली कनेक्शन, हुआ महंगा!: स्मार्ट मीटर अनिवार्य, पे करना होगा एक्स्ट्रा चार्ज; उपभोक्ताओं में नाराजगी वही बहस तेज?
यूपी में नया बिजली कनेक्शन, हुआ महंगा!

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब नया बिजली कनेक्शन लेना आम आदमी के लिए भारी साबित होने वाला है। सरकार और पावर कॉर्पोरेशन के ताजा फैसले के बाद हर नए उपभोक्ता को सिर्फ बिजली कनेक्शन ही नहीं, बल्कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना भी अनिवार्य होगा। इस नियम के चलते लोगों को जेब से 5 हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं। जबकि अभी तक पुराना मीटर मात्र 800 रुपये में मिल जाता था। यानी उपभोक्ताओं पर सीधा 6 से 8 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है।

पुराने और नए मीटर की कीमत में भारी अंतर :

आपको बता दें कि 2019 की कास्ट डाटा बुक के अनुसार सिंगल फेज पुराना मीटर ₹872 का पड़ता था। वहीं थ्री फेज पुराना मीटर ₹2921 का था लेकिन अब सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर ₹6016 और थ्री फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर ₹11,341 का पड़ेगा यानी उपभोक्ताओं को नई व्यवस्था में अतिरिक्त जेब ढीली करनी ही होगी।

उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल :

विदित है कि उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर आरडीएसएस योजना के तहत पहले से खरीदे गए हैं। ऐसे में आम जनता से इनकी कीमत वसूलना अनुचित है। उन्होंने साफ कहा कि “कॉर्पोरेशन को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उपभोक्ताओं से पैसा वसूला कैसे जाएगा।”

सरकार का तर्क – स्मार्ट मीटर से फायदा ही फायदा :

गौरतलब है कि पावर कॉर्पोरेशन का दावा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर से पारदर्शिता आएगी और बिलिंग व्यवस्था में सुधार होगा। उपभोक्ता अपने उपयोग के हिसाब से एडवांस रिचार्ज करेंगे। गलत बिलिंग और गड़बड़झाले की संभावना खत्म होगी। केंद्र सरकार ने भी स्मार्ट प्रीपेड मोड पर 5% तक रिबेट देने की बात कही है।

किसानों को अभी छूट :

आपको बता दें कि नई व्यवस्था में फिलहाल कृषि उपभोक्ताओं को बाहर रखा गया है। बाकी सभी श्रेणी के नए उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना होगा। वहीं जिनका मीटर खराब है या भार बढ़वाना है, उन्हें भी नया मीटर लेते समय यही लगाना होगा।

अब तक लगे 37 लाख स्मार्ट मीटर :

गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक करीब 37 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। पावर कॉर्पोरेशन ने निर्देश दिया है कि आगे से सभी नए कनेक्शन पर यही मीटर लगाए जाएं, ताकि भविष्य में मीटर बदलने की जरूरत ही न पड़े।

उपभोक्ताओं में नाराजगी, बहस तेज :

आपको बता दें कि यह फैसला आते ही उपभोक्ताओं में नाराजगी फैल गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकार ने खुद यह मीटर खरीदे हैं तो फिर अतिरिक्त बोझ जनता पर क्यों डाला जा रहा है? आम आदमी पहले से ही महंगाई से जूझ रहा है, ऐसे में बिजली कनेक्शन महंगा होना सीधा जेब पर हमला माना जा रहा है।

यूपी में स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला तकनीकी दृष्टि से चाहे कितना भी फायदेमंद क्यों न हो, लेकिन आर्थिक बोझ उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है, क्योंकि उपभोक्ता परिषद ने पहले ही पावर कॉर्पोरेशन से जवाब मांगा है। अब देखना होगा कि सरकार लोगों को राहत देती है या फिर स्मार्ट मीटर का यह बोझ आम जनता को झेलना पड़ेगा।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब नया बिजली कनेक्शन लेना आम आदमी के लिए भारी साबित होने वाला है। सरकार और पावर कॉर्पोरेशन के ताजा फैसले के बाद हर नए उपभोक्ता को सिर्फ बिजली कनेक्शन ही नहीं, बल्कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना भी अनिवार्य होगा। इस नियम के चलते लोगों को जेब से 5 हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं। जबकि अभी तक पुराना मीटर मात्र 800 रुपये में मिल जाता था। यानी उपभोक्ताओं पर सीधा 6 से 8 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है।

पुराने और नए मीटर की कीमत में भारी अंतर :

आपको बता दें कि 2019 की कास्ट डाटा बुक के अनुसार सिंगल फेज पुराना मीटर ₹872 का पड़ता था। वहीं थ्री फेज पुराना मीटर ₹2921 का था लेकिन अब सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर ₹6016 और थ्री फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर ₹11,341 का पड़ेगा यानी उपभोक्ताओं को नई व्यवस्था में अतिरिक्त जेब ढीली करनी ही होगी।

उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल :

विदित है कि उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर आरडीएसएस योजना के तहत पहले से खरीदे गए हैं। ऐसे में आम जनता से इनकी कीमत वसूलना अनुचित है। उन्होंने साफ कहा कि “कॉर्पोरेशन को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उपभोक्ताओं से पैसा वसूला कैसे जाएगा।”

सरकार का तर्क – स्मार्ट मीटर से फायदा ही फायदा :

गौरतलब है कि पावर कॉर्पोरेशन का दावा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर से पारदर्शिता आएगी और बिलिंग व्यवस्था में सुधार होगा। उपभोक्ता अपने उपयोग के हिसाब से एडवांस रिचार्ज करेंगे। गलत बिलिंग और गड़बड़झाले की संभावना खत्म होगी। केंद्र सरकार ने भी स्मार्ट प्रीपेड मोड पर 5% तक रिबेट देने की बात कही है।

किसानों को अभी छूट :

आपको बता दें कि नई व्यवस्था में फिलहाल कृषि उपभोक्ताओं को बाहर रखा गया है। बाकी सभी श्रेणी के नए उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना होगा। वहीं जिनका मीटर खराब है या भार बढ़वाना है, उन्हें भी नया मीटर लेते समय यही लगाना होगा।

अब तक लगे 37 लाख स्मार्ट मीटर :

गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक करीब 37 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। पावर कॉर्पोरेशन ने निर्देश दिया है कि आगे से सभी नए कनेक्शन पर यही मीटर लगाए जाएं, ताकि भविष्य में मीटर बदलने की जरूरत ही न पड़े।

उपभोक्ताओं में नाराजगी, बहस तेज :

आपको बता दें कि यह फैसला आते ही उपभोक्ताओं में नाराजगी फैल गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकार ने खुद यह मीटर खरीदे हैं तो फिर अतिरिक्त बोझ जनता पर क्यों डाला जा रहा है? आम आदमी पहले से ही महंगाई से जूझ रहा है, ऐसे में बिजली कनेक्शन महंगा होना सीधा जेब पर हमला माना जा रहा है।

यूपी में स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला तकनीकी दृष्टि से चाहे कितना भी फायदेमंद क्यों न हो, लेकिन आर्थिक बोझ उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है, क्योंकि उपभोक्ता परिषद ने पहले ही पावर कॉर्पोरेशन से जवाब मांगा है। अब देखना होगा कि सरकार लोगों को राहत देती है या फिर स्मार्ट मीटर का यह बोझ आम जनता को झेलना पड़ेगा।

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