लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने आम लोगों को बड़ी राहत देने के लिए जमीन-जायदाद से जुड़ी प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी बदलाव की तैयारी कर ली है। अब संपत्ति की रजिस्ट्री के बाद खतौनी में नाम अपने आप दर्ज हो जाएगा। यानी न तहसील के चक्कर, न दलालों की दिक्कत और न ही महीनों की भागदौड़। सरकार ने इस नई व्यवस्था को आधार कार्ड से लिंक करने की भी योजना बनाई है ताकि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और धोखाधड़ी रहित हो सके।
अब तक की क्या दिक्कत थी:
आपको बता दें कि फिलहाल रजिस्ट्री के बाद खरीदार को खतौनी में नाम दर्ज कराने के लिए अलग से आवेदन करना पड़ता है। इसके लिए विक्रेता को मैनुअल नोटिस भेजा जाता है। जवाब मिलने तक प्रक्रिया खिंचती रहती है। साथ ही कई बार आपत्तियां आने पर खरीदार को महीनों तक तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं।
नतीजा यह होता कि समय, पैसे और संसाधनों की बर्बादी होती।
नई व्यवस्था में क्या होगा खास?
गौरतलब है कि नई प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्री पूरी होते ही स्टांप व निबंधन विभाग की जानकारी सीधे ऑनलाइन राजस्व परिषद को जाएगी। साथ ही विक्रेता और सह-खातेदारों को नोटिस SMS/व्हाट्सऐप से भेजा जाएगा। साथ ही नोटिस का जवाब मिलते ही, 35 दिनों के भीतर खरीदार का नाम खतौनी में दर्ज हो जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी इसमें न कोई बिचौलिया होगा, न किसी फाइल को दबाने का खेल।
आधार लिंकिंग से बढ़ेगी पारदर्शिता:
आपको बता दें कि राजस्व परिषद अब सभी संपत्तियों को आधार से जोड़ने जा रहा है। इससे साफ पता चलेगा कि :
सम्पत्ति का असली मालिक कौन है?
उसके नाम पर कितनी संपत्तियां हैं?
संपत्ति का पूरा खरीद-फरोख्त इतिहास क्या है?
सरकार का दावा है कि इससे फर्जीवाड़ा और जमीन-जायदाद से जुड़े घोटाले काफी हद तक रुक जाएंगे।
राजस्व परिषद का बयान:
विदित है कि राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि खतौनी में नाम दर्ज करने की प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन होगी। रजिस्ट्री की सूचना मिलते ही तय प्रारूप में नोटिस भेजा जाएगा। जवाब मिलने पर तुरंत नाम खतौनी में दर्ज हो जाएगा।
जनता को बड़ी राहत:
गौरतलब है कि नई व्यवस्था से लाखों लोगों को राहत मिलेगी। खासकर गांव-कस्बों में रहने वाले उन परिवारों को, जिन्हें खतौनी में नाम दर्ज कराने के लिए महीनों तक तहसील का चक्कर लगाना पड़ता था। इससे अब समय की बचत होगी। साथ ही पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही जमीन-जायदाद से जुड़ी धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी।
कुल मिलाकर, योगी सरकार का यह कदम यूपी में संपत्ति लेन-देन की प्रक्रिया को न सिर्फ आसान बल्कि भरोसेमंद भी बनाने जा रहा है। अब खतौनी में नाम दर्ज कराने के लिए किसी बाबू या तहसीलदार के आगे हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं होगी, सब कुछ सिस्टम अपने आप करेगा।