राजधानी में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत!: अब कनेक्शन से लेकर बिल तक, हर काम के लिए अफसर तय; जानें बदलाव और इसके फायदे
राजधानी में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत!

लखनऊ : राजधानी के 14.50 लाख बिजली उपभोक्ताओं के लिए 1 नवंबर से नई व्यवस्था शुरू होने जा रही है। इसे नाम दिया गया है 'वर्टिकल सिस्टम'। इस व्यवस्था में उपभोक्ता का हर काम अब सीधे तय अफसर की जिम्मेदारी में होगा। यानी, नया कनेक्शन, बिल, मीटर, फॉल्ट, ट्रांसफॉर्मर बदलना, नई लाइन बनाना; इन सबके लिए अलग-अलग अधिकारी तय कर दिए गए हैं। अब तक उपभोक्ता को कनेक्शन से लेकर बिल तक के लिए अधिशासी अभियंता (वितरण) के चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन नई व्यवस्था में ये जिम्मेदारी अधीक्षण अभियंताओं की टीम को सौंप दी गई है, जिनके मुखिया होंगे मुख्य अभियंता।

नई व्यवस्था में किसकी क्या जिम्मेदारी? :

आपको बता दें कि अब नई व्यवस्था के तहत हर कार्य के लिए अलग अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे।

अधीक्षण अभियंता (वाणिज्य) – नया कनेक्शन देना, मीटर लगाना/बदलना, बिल सुधारना, बिल वसूली और 1912 शिकायतें निपटाना।

अधीक्षण अभियंता (तकनीकी) – निर्बाध आपूर्ति, 33 केवी व 11 केवी लाइनों के फॉल्ट, जले ट्रांसफॉर्मर बदलना और उपकेंद्र शिकायतों का निदान।

अधीक्षण अभियंता (परीक्षण) – उपकेंद्र और ट्रांसफॉर्मरों की टेस्टिंग।

अधीक्षण अभियंता (प्रोजेक्ट) – नए उपकेंद्र व लाइन निर्माण।

उपभोक्ताओं को होंगे ये 5 बड़े फायदे :

गौरतलब है की इस व्यवस्था से आम उपभोक्ताओं से निम्नलिखित फायदे होंगे।

  1. जेई, एसडीओ के चक्कर खत्म होगा, सीधे जिम्मेदार अफसर से काम होगा।

  2. नया कनेक्शन आसान होगा जिससे बिजली लेने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

  3. बिल और मीटर की शिकायतें समय पर निस्तारित होंगी।

  4. 1912 शिकायत नंबर पर 100% निस्तारण सुनिश्चित होगा।

  5. काम न होने पर जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई होगी।

अधिकारियों का दावा :

गौरतलब है कि लखनऊ मध्य जोन लेसा के मुख्य अभियंता रवि कुमार अग्रवाल का कहना है कि – “अब उपभोक्ता को किसी भी काम के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। एक काम का एक अफसर जिम्मेदार होगा और तय समय-सीमा में समाधान मिलेगा।”

सिस्टम पर बड़ा असर :

आपको बता दें कि अब उपभोक्ताओं को बिजली विभाग की गलियारों में चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। शिकायत दर्ज करने से लेकर समाधान तक जवाबदेही तय होगी। बिलिंग, कनेक्शन, स्मार्ट मीटर और फॉल्ट रिपेयर की प्रक्रिया तेज़ होगी।

राजधानी में यह व्यवस्था कानपुर मॉडल की तर्ज पर लागू हो रही है। अगर सफल रही तो पूरे प्रदेश में यही सिस्टम लागू हो सकता है।

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