लखनऊ : उत्तर प्रदेश के लाखों शिक्षकों को झटका देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य करने वाले आदेश पर तुरंत रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाए। योगी ने कहा कि - “हमारे शिक्षक अनुभवी हैं, उन्हें बार-बार एक परीक्षा से कसौटी पर कसना ठीक नहीं है। उनकी सेवाओं और योग्यता का सम्मान किया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और शिक्षक संकट :
आपको बता दें कि 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया। आदेश साफ था कि “जो शिक्षक टीईटी पास नहीं करेंगे, उनकी नौकरी जाएगी।”
यूपी में करीब 2 लाख शिक्षक ऐसे हैं जो बिना टीईटी पास किए नियुक्त हुए हैं। 2011 में पहली बार राज्य में टीईटी हुई थी, उससे पहले नियुक्त हुए सभी शिक्षक अब संकट में आ गए। कोर्ट के आदेश से उनकी रोज़ी-रोटी और परिवार का भविष्य दांव पर लग गया।
टीईटी के डर से 2 टीचरों ने दी जान :
गौरतलब है कि फैसले के बाद हालात इतने भयावह हो गए कि यूपी में दो शिक्षकों ने आत्महत्या कर ली। पहले महोबा के 49 वर्षीय शिक्षक ने फंदा लगाकर जान दी। वहीं बाद में हमीरपुर में 52 वर्षीय शिक्षक ने भी सुसाइड कर लिया। परिवारों ने दावा किया कि वे टीईटी की अनिवार्यता को लेकर गहरे तनाव में थे। यह घटनाएं साबित करती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने शिक्षकों के बीच असुरक्षा और डर का माहौल पैदा कर दिया है।
योगी सरकार का पलटवार – ‘हमारे शिक्षक काबिल हैं’ :
विदित है कि सीएम योगी ने कहा – “प्रदेश में पहले से कार्यरत शिक्षक वर्षों से शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा हैं। सरकार लगातार उन्हें प्रशिक्षण देती रही है। उनकी मेहनत और अनुभव को नकारना अन्याय होगा। राज्य सरकार उनकी सेवाओं का सम्मान करती है और सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखेगी।”
सीएम के आदेश के बाद शिक्षक संघों ने अपने चल रहे धरने खत्म करने का ऐलान कर दिया।
शिक्षक संघों की प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि यूपी बीटीसी शिक्षक संघ अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि “दो लाख शिक्षकों पर संकट के बादल थे। सीएम के आदेश से अब उम्मीद जगी है कि उनकी नौकरी पर आंच नहीं आएगी।” वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि “मुख्यमंत्री का निर्णय स्वागत योग्य है। एनसीटीई को भी स्पष्ट करना चाहिए कि आरटीई-2009 का नियम, लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होगा।”
क्यों खास है योगी का फैसला?
आपको बता दें कि यूपी पहला राज्य है जिसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करने का ऐलान किया है। यह कदम लाखों शिक्षकों को राहत देगा और शिक्षा व्यवस्था में अस्थिरता रोकने की कोशिश करेगा। राजनीतिक तौर पर भी यह फैसला शिक्षकों और उनके परिवारों का समर्थन पाने का मजबूत कदम माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, टीईटी की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट और योगी सरकार के बीच सीधी जंग छिड़ चुकी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटीशन में क्या रुख अपनाता है। क्या 2 लाख शिक्षकों की नौकरी बचेगी या संकट और गहराएगा?