अब राजस्थान में NAFIS सिस्टम से क्राइम पर लगेगी लगाम, बढ़ेगा अपराधियों में ख़ौफ़!: मिनटों में पता चलेगी हर अपराधी की कुंडली (फोटो-DNA और फिंगरप्रिंट) बचकर भागना होगा नामुमकिन_एक नज़र
अब राजस्थान में NAFIS सिस्टम से क्राइम पर लगेगी लगाम, बढ़ेगा अपराधियों में ख़ौफ़!

जयपुर : राजस्थान पुलिस अब अपराधियों पर इतिहास का सबसे बड़ा डिजिटल घेरा कसने जा रही है।
अब कोई भी बदमाश चोरी करे, डकैती कर भागे, मर्डर कर फरार हो। पूरे देश में कहीं भी छिपा हो, उसकी पूरी क्राइम कुंडली चंद सेकंड में पुलिस की स्क्रीन पर होगी। पता, फोटो, मोबाइल नंबर, पिछली वारदातें, नशे की आदत, गुस्सैल स्वभाव, हिंसक प्रवृत्ति; यहां तक कि आंखों की रेटिना से लेकर हथेली के प्रिंट तक सब कुछ डिजिटल होकर नेशनल डेटाबेस से जुड़ जाएगा।
यह संभव होगा NAFIS यानी नेशनल ऑटोमैटिक फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम से। राजस्थान में यह सिस्टम 54 लोकेशंस पर इंस्टॉल हो चुका है, और 2026 तक हर थाने में लगाए जाने की तैयारी है। यानी आने वाले साल में अपराधियों की ‘छिपने की आज़ादी’ पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

कैसे बना पुलिस का ‘डिजिटल शस्त्र’? NAFIS कैसे काम करता है?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिरफ्तार अपराधी का डेटा इस तरह रिकॉर्ड होगा -

●फिंगर प्रिंट
●हथेली प्रिंट
●फुटप्रिंट
●हाई-रिज़ॉल्यूशन फोटो
●आइरिस स्कैन
●रेटिना स्कैन
●DNA (7+ साल सजा वाले मामलों में अनिवार्य)
●सिग्नेचर और हैंडराइटिंग सैंपल
●अब पहली बार; ह्यूमन बिहेवियर डेटा भी।

ये सारे इनपुट तुरंत NAFIS में अपलोड होंगे और NCRB के राष्ट्रीय डेटाबेस से लिंक हो जाएंगे। किसी भी राज्य की पुलिस इससे किसी अपराधी का पूरा रिकॉर्ड 2 से 3 सेकंड में खंगाल सकती है।

वो मामले जिन्होंने साबित किया कि NAFIS अपराधियों के लिए ‘कब्रगाह’ साबित होने वाला है

केस-1 (जयपुर): चोरी कर यूपी भागा, NAFIS ने 4 सेकंड में पकड़वाया। घर में चोरी हुई तो पुलिस ने फिंगरप्रिंट अपलोड किए। UP से मैच हुआ। NFN नंबर UP00190691 निकला। इससे आरोपी अभिषेक यूपी के इटावा में दबोच लिया गया।

केस-2 (झालावाड़): डकैती कर ग्वालियर भागा, NAFIS ने कुंडली खोल दी। फिंगर प्रिंट अपलोड करते ही सामने आया- बृजेश, थाना मोहना, ग्वालियर। पुलिस एमपी पहुंची और गैंग समेत माल बरामद।

केस-3 (चित्तौड़गढ़): वारदात के बाद हरियाणा में छिपा था फिंगरप्रिंट की मैचिंग से नाम आया - सोनू (हरियाणा)। घर का पता मिला, दबिश दी और गिरफ्तार। पूरी हिस्ट्री सामने आई।

2026 में हर थाने में लगेगा NAFIS; भागने की संभावना 0%

गौरतलब है कि अभी यह सुविधा 54 लोकेशन्स पर है, लेकिन लक्ष्य हर थाने को डिजिटल बनाना है। इसके तहत लाइव फोटो वहीं खींची जाएगी, वहीं रेटिना-आइरिस स्कैन होंगे वहीं से डेटा तुरंत NCRB तक पहुंचेगा। स्कैनिंग में त्रुटियों की वजह से यह फैसला लिया गया है।

7+ साल की सजा वाले अपराधियों के लिए ‘DNA-Behavior Mapping’ अनिवार्य :

आपको बता दें कि ये सबसे बड़ा बदलाव है। अब माना गया है कि कुछ अपराध “मानसिक पैटर्न” पर आधारित होते हैं, इसलिए पुलिस इनका पूरा बिहेवियर प्रोफाइल बनाएगी कि:

●किस बात पर गुस्सा आता है?
●महिलाओं/बच्चों के प्रति मानसिकता कैसी?
●नशे के बाद क्या हरकतें करता है?
●क्या वह ब्रूटल किलर है?
●उसका रिएक्शन-थ्रेशोल्ड कितना है?

यह जानकारी डॉक्टर और पुलिस टीम की मौजूदगी में रिकॉर्ड की जाएगी।

क्यों डर रहे हैं अपराधी, क्या होंगे फायदे?

NAFIS की वजह से-

●दूसरे राज्य भागने का फायदा खत्म।
●नकली नाम-पता बेकार होंगे।
●10 से 15 साल पुराने केस खुल रहे।
●ब्लाइंड केस 2 से 3 घंटे में सुलझ रहे।
●क्रॉस-स्टेट क्राइम पर पूरी रोक

नवंबर तक राजस्थान के 78.35% अपराधियों का डेटा राष्ट्रीय स्तर पर अपलोड हो चुका है।

NAFIS राजस्थान पुलिस का सबसे खतरनाक डिजिटल हथियार बन रहा है। अब कोई अपराधी बेनकाब नहीं बच पाएगा। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन रहा है जहाँ अपराधी की पहचान, उसका इतिहास, उसका मानसिक पैटर्न, उसका DNA, उसके चेहरे की संरचना, उसके हाथ-पैर के प्रिंट और उसका लोकेशन-ट्रेस सब एक क्लिक में उपलब्ध होंगे। अपराधी जहाँ भी भागे डिजिटल सिस्टम उसे वापस खींच लाएगा। यह भविष्य की पुलिसिंग है और राजस्थान इसकी शुरुआत का पहला बड़ा मैदान बनने जा रहा है।

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