राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला!: बदलेगा 30 साल पुराना कानून, अब दो से ज्यादा बच्चे वाले भी बन सकेंगे सरपंच-मेयर, वही...जानें क्यों हुआ बदलाव
राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला!

जयपुर : राजस्थान सरकार ने पंचायत और नगर निकाय चुनावों से जुड़े एक ऐतिहासिक फैसले की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार अब उस 30 साल पुराने कानून को बदलने जा रही है जिसके कारण दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति सरपंच या नगर निकाय चेयरमैन का चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इसके लिए जल्द ही अध्यादेश लाया जा सकता है।

क्या बदलाव होगा?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में, राजस्थान पंचायती राज अधिनियम और राजस्थान नगरपालिका अधिनियम में प्रावधान है कि जिस व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे हों, वह पंचायत या निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता। सरकार अब इस प्रावधान को हटाने का फैसला कर चुकी है। इसके लिए विधि विभाग को अध्यादेश का मसौदा भेजा जा चुका है।

कैसे होगी प्रक्रिया?

  1. विधि विभाग से मंजूरी मिलने के बाद अध्यादेश को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।

  2. कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्यपाल के समक्ष अध्यादेश प्रस्तुत किया जाएगा।

  3. अध्यादेश जारी होने के छह महीने के भीतर इसे विधानसभा से विधेयक के रूप में पारित करवाना अनिवार्य होगा।

  4. संभावना है कि सरकार आगामी बजट सत्र में इसे विधानसभा में पेश करेगी।

क्यों हो रहा है यह बदलाव?

गौरतलब है कि यह प्रावधान 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत की सरकार ने लागू किया था। पिछले तीन दशक से यह कानून लागू है। हालांकि, अब सरकार ने इसे बदलने का निर्णय लिया है, जिसके पीछे कई कारण हैं:

●विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है
●कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसकी मांग उठाई थी
●बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के जिला स्तरीय नेताओं को इससे फायदा होगा
●विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया जा चुका है

क्या होगा प्रभाव?

इस बदलाव से राजस्थान की स्थानीय राजनीति में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है:

●हजारों ऐसे नेता जो तीन बच्चों के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे, अब चुनावी मैदान में उतर सकेंगे
●पंचायत और नगर निकाय चुनावों में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ेगी
●स्थानीय स्तर पर राजनीतिक समीकरण बदलेंगे
●दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को नए चेहरों के साथ चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला स्थानीय नेताओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा। साथ ही, यह लोकतंत्र को और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मत है कि इससे जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों पर असर पड़ सकता है।

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, इसी महीने अध्यादेश जारी होने की उम्मीद है। इसके बाद राजस्थान की स्थानीय राजनीति का नक्शा हमेशा के लिए बदल सकता है।

अन्य खबरे