जयपुर: राजस्थान की जनता के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। विधानसभा में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित होते ही राजधानी जयपुर में 40 एकड़ भूमि पर बनने वाले राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) का रास्ता साफ हो गया। इसे बिल्कुल एम्स, नई दिल्ली की तर्ज पर तैयार किया जाएगा।
कैसा होगा राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS)?
आपको बता दें कि यह संस्थान सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस होगा दिल, किडनी, लीवर, न्यूरो, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का यहां अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध होगा। इसमें विश्वस्तरीय ऑपरेशन थिएटर, रिसर्च लैब, 24x7 आपातकालीन सेवाएं और आधुनिक तकनीकें शामिल होंगी। राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत आने वाले मरीजों को यहां पूरी तरह निशुल्क इलाज मिलेगा। निजी अस्पतालों में लाखों का खर्च होने वाले ऑपरेशन अब गरीब और मध्यम वर्ग के मरीज भी बिना बोझ करवा सकेंगे।
कब तक तैयार होगा रिम्स?
आपको बता दें कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने सदन को बताया कि - संस्थान अगले दो सालों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा। इसके लिए समुचित बजट प्रावधान पहले ही किया जा चुका है। रिम्स को एक स्वायत्त संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा ताकि कामकाज तेज़ और पारदर्शी तरीके से हो सके।
आम जनता को क्या मिलेगा फायदा?
भीड़ का बोझ कम होगा – अभी जयपुर के SMS अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों पर मरीजों की भीड़ रहती है। रिम्स खुलने के बाद भार काफी हद तक कम हो जाएगा।
दिल्ली जाने की मजबूरी खत्म – गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए राजस्थान के मरीजों को अब दिल्ली या दूसरे राज्यों के बड़े अस्पतालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
फ्री इलाज – पात्र मरीजों को राज्य सरकार की योजनाओं (जैसे चिरंजीवी योजना) के तहत मुफ्त में इलाज मिलेगा।
रिसर्च और ट्रेनिंग हब – यह संस्थान केवल इलाज ही नहीं करेगा, बल्कि मेडिकल रिसर्च और डॉक्टरों की ट्रेनिंग का भी बड़ा केंद्र बनेगा।
मेडिकल टूरिज्म का बनेगा नया हब :
विदित है कि मंत्री गजेंद्र सिंह का कहना है कि रिम्स सिर्फ राजस्थान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश और विदेश के मरीजों के लिए मेडिकल टूरिज्म का बड़ा हब बनेगा। उच्चस्तरीय सुविधाओं के कारण मरीज विदेश जाने की बजाय जयपुर का रुख करेंगे। हेल्थ सेक्टर में राजस्थान को नई पहचान मिलेगी। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी इससे बड़ा फायदा होगा।
विधेयक के प्रावधान
गौरतलब है कि राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) को अपग्रेड करके रिम्स की स्थापना होगी। विश्वविद्यालय से जुड़े सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सरकारी कॉलेज घोषित करने का अधिकार राज्य सरकार को होगा। इन कॉलेजों की आस्तियां और संसाधन राज्य सरकार के अधीन आ जाएंगे। संस्थान का संचालन एम्स की तरह स्वतंत्र और पेशेवर होगा।
क्यों है यह फैसला ऐतिहासिक?
गौरतलब है कि राजस्थान में अब तक कोई ऐसा सुपर स्पेशियलिटी संस्थान नहीं था जो एम्स जैसी सुविधाएं देता हो। गरीब और ग्रामीण इलाकों के मरीज अक्सर इलाज के लिए दर-दर भटकते थे। अब यह संस्थान राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ साबित होगा।
साफ है कि राजस्थान सरकार का यह फैसला प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में गेम-चेंजर साबित होगा। दो साल बाद जयपुर सिर्फ पिंक सिटी ही नहीं, बल्कि हेल्थ सिटी के नाम से भी पहचाना जाएगा।