हरियाणा : हरियाणा सरकार के नए कानून ने राज्य के लाखों मजदूरों में खलबली मचा दी है। दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में अब 9 घंटे नहीं, बल्कि 10 घंटे काम करना होगा। इतना ही नहीं, ओवरटाइम की सीमा भी 50 घंटे से सीधे 156 घंटे कर दी गई है। मजदूर संगठनों का दावा है कि यह फैसला पूरी तरह मजदूर विरोधी है और इससे शोषण की नई कहानी लिखी जाएगी।
सीटू का बड़ा हमला; ‘मजदूरों का शोषण वैध कर दिया गया’
आपको बता दें कि मजदूर संगठन सीटू के प्रदेश महासचिव जय भगवान ने सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि “यह फैसला गलत है। यह कानून पूंजीपतियों और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।” सीटू, राज्य कर्मचारी संगठन, सर्व कर्मचारी संघ जैसे कई बड़े संगठनों ने साफ कर दिया है कि अगर कानून वापस नहीं हुआ तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
क्या बदला है नए कानून में?
पहले: 9 घंटे काम
अब: 10 घंटे काम
पहले ओवरटाइम: 50 घंटे/3 महीने
अब ओवरटाइम: 156 घंटे/3 महीने
यानी ओवरटाइम तीन गुना से भी ज्यादा हो गया है। संगठनों का कहना है कि इससे मजदूरों की निजी जिंदगी खत्म हो जाएगी तथा स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ेगाऔर कंपनियों को सस्ती लेबर 24×7 मिलती रहेगी
मजदूर नेताओं का आरोप; “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की आड़ में अधिकार छीने जा रहे हैं”
आपको बता दें कि अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा का कहना है कि “29 पुराने श्रम कानूनों को हटाकर 4 नए लेबर कोड लागू कर दिए गए। अब राज्य सरकार काम के घंटे बढ़ाकर मजदूरों की रीढ़ तोड़ रही है।” सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव कृष्ण कुमार नैन ने आरोप लगाया कि “महंगाई आसमान पर है, ट्रेड यूनियनों की 26,000-30,000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग ठुकरा दी, उल्टा काम के घंटे बढ़ा दिए।”
क्या आने वाला है आंदोलन?
विदित है कि मजदूर संगठनों ने साफ चेतावनी दी है कि नए कानून को तुरंत वापस लो नहीं तो राज्यभर में विरोध प्रदर्शन होंगे जरूरी हुआ तो हड़ताल और बंद की भी स्थिति बनेगी। हरियाणा में यह मुद्दा अब राजनीतिक रूप भी ले रहा है, क्योंकि लाखों मजदूर, दुकानदार और कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे।
नए कानून पर सबसे बड़ा सवाल
नए कानून पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या काम के घंटे बढ़ाने से उत्पादन बढ़ेगा या मजदूरों का शोषण होगा? क्या ओवरटाइम की सीमा 156 घंटे करना कंपनियों का लाभ है या कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है।
मानव विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विज्ञान बताता है कि 10 घंटे की शिफ्ट लगातार करने से तनाव, नींद कम और उत्पादकता घटती है। वहीं लंबे ओवरटाइम से दुर्घटनाएं, मानसिक थकावट, दिमागी तनाव और परिवारिक जीवन पर बुरा असर पड़ेगा। यह रिपोर्ट सरकार के फैसले को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
हरियाणा सरकार का तर्क है कि उसके इस फैसले से व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की कार्यक्षमता बढ़ेगी। मजदूर संगठनों का कहना है कि यह फैसला मजदूरों का खून निचोड़ने वाला है। अब टकराव तय है। सरकार झुकेगी या मजदूर सड़कों पर उतरेंगे आने वाला समय तय करेगा।