नई दिल्ली : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिर्फ सैन्य मोर्चे पर नहीं, अब जल नीति के मोर्चे पर भी पाकिस्तान के खिलाफ सबसे करारा जवाब दिया है। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर जल पर कब्जे की दिशा में तेज़ी से काम शुरू कर दिया है। इस रणनीति का नतीजा ये है कि पाकिस्तान अब पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा है, और हालात इतने भयावह हो गए हैं कि उसके बांध 'डेड लेवल' तक खाली हो चुके हैं।
भारत की जल-रणनीति से सहमा पाकिस्तान :
आपको बता दें कि भारत ने जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक पानी पहुंचाने के लिए 113 किलोमीटर लंबी विशाल नहर परियोजना की नींव रख दी है। यह नहर चेनाब नदी को रावी-ब्यास-सतलज से जोड़ेगी, जिससे सिंधु प्रणाली का पानी पाकिस्तान की सीमा पार नहीं जा पाएगा। साथ ही 4 मेगापावर प्रोजेक्ट्स को रफ्तार मिलेगी। जिसके लिए पाकल दुल (1000 MW), रतले (850 MW), किरू (624 MW), और क्वार (540 MW) पर निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।
भारत रणबीर नहर की क्षमता करेगा दुगुना :
विदित है कि इस दौरान रणबीर नहर को भी दोगुना किया जा रहा है। भारत अब चेनाब नदी से पानी खींचने वाली रणबीर नहर को 60 से बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने जा रहा है यानी पाकिस्तान की ओर बहने वाला और भी ज्यादा पानी अब भारत के खेतों में जाएगा। साथ ही इस दौरान उझ परियोजना का पुनरुद्धार भी भारत सरकार ने शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में उझ नदी (जो रावी में मिलती है) पर बड़ी बहुउद्देश्यीय परियोजना फिर से शुरू हो रही है। इससे पाकिस्तान की रावी जल निर्भरता पर गहरी चोट होगी।
पाकिस्तान के बांध का पानी खत्म, पूरा पंजाब सूखा :
गौरतलब है कि पाकिस्तान के तारबेला और मंगला डैम अपने डेड लेवल पर आ चुके हैं। यानी अब इनसे गुरुत्वाकर्षण के जरिए पानी निकालना तक संभव नहीं है। पाकिस्तान के पंजाब-सिंध प्रांत में आने वाले फसलों की बुआई ठप है। वहाँ सिंचाई के लिए पानी 35% तक घट चुका है। झेलम, सिंधु और चेनाब ये तीनों नदियां अब पाकिस्तान तक सीमित मात्रा में ही पहुंच रही हैं। भारत ने इन नदियों की गाद निकासी और जल संग्रहण बढ़ा दिया है, जिससे नीचे की ओर पानी जाना और भी कम हो गया है।
भारत की योजना – सिर्फ पानी नहीं, पाकिस्तान की रीढ़ पर हमला! :
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति केवल जलविवाद नहीं, भू-राजनीतिक दबाव का एक नया अध्याय है। आईडीएसए के वरिष्ठ फेलो उत्तम सिन्हा का कहना है कि यह परियोजना भारत की जल सुरक्षा को तो मजबूत करेगी ही, पाकिस्तान की कृषि और जल-आधारित अर्थव्यवस्था को भी झकझोर देगी। नहर प्रणाली को 13 प्रमुख स्थानों से जोड़ने की योजना है, जिससे भारत हर बूंद का उपयोग कर सके और पाकिस्तान को एक बूंद भी अतिरिक्त न मिले।
पाकिस्तान के पास अब क्या विकल्प हैं? :
आपको बता दें कि पाकिस्तान के पास अब बहुत सीमित विकल्प बचे हैं। वह मानसून का इंतजार कर सकता है लेकिन तब तक लाखों एकड़ फसलें सूख जाएंगी। दूसरा ये कि वह भारत से जल आंकड़े मांगले लेकिन संधि निलंबित होने के बाद भारत बाध्य नहीं है। इसके अलावा वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर गुहार लगा सकता है लेकिन भारत का कदम अंतरराष्ट्रीय संधि के भीतर ही है इसलिए वहां भी उसे फायदा मिलना मुश्किल है।
भारत की यह चाल सिर्फ सिंधु नदी पर नियंत्रण नहीं, पाकिस्तान की भविष्य की खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर सीधा प्रहार है। अगर यह रणनीति पूरी तरह लागू हो जाती है, तो आने वाले वर्षों में पाकिस्तान को भूख, प्यास और अस्थिरता से परेशान होना तय है।