नई दिल्ली : चुनाव आयोग (EC) ने पूरे देश के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का बिगुल बजा दिया है। यह वही प्रक्रिया है जिसने बिहार में चुनावी तस्वीर बदल दी थी। अब यही सिस्टम पूरे देश में लागू होगा। सबसे बड़ी राहत यह है कि देशभर के आधे से ज्यादा पुराने वोटर्स को कोई दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन नए वोटर्स के लिए रास्ता आसान नहीं है। खासकर 1987 के बाद जन्मे युवाओं को वोटर बनने के लिए अपने पेरेंट्स के दस्तावेज दिखाने होंगे। और अगर किसी का जन्म 2004 के बाद हुआ है तो शर्त और भी कड़ी है उन्हें साबित करना होगा कि माता-पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक है और दूसरा गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है।
बिहार का मॉडल, अब पूरे देश में :
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि बिहार में 2003 की SIR लिस्ट को आधार बनाया गया था। वहां करीब 5 करोड़ पुराने वोटर्स (60%) को कोई दस्तावेज़ नहीं देना पड़ा। वहीं 3 करोड़ नए वोटर्स (40%) को 11 दस्तावेज़ों में से कोई एक दिखाना पड़ा। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड को भी मान्य दस्तावेज़ माना गया। अब यही फार्मूला देश के बाकी राज्यों में लागू होगा।
कौन क्या दस्तावेज दिखाएगा? – नियम ऐसे समझिए :
गौरतलब है कि नए नियम के अनुसार -
● 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे : कोई नया दस्तावेज़ नहीं, पुरानी लिस्ट में नाम ही काफी।
● 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे : अपने साथ माता-पिता का नागरिकता/जन्म प्रमाण भी देना होगा।
● 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे : माता-पिता में से एक को भारतीय नागरिक और दूसरे को गैर-कानूनी प्रवासी न होने का सबूत देना होगा।
चुनाव आयोग की तैयारी :
विदित है कि इस प्रक्रिया के दौरान करीब 2 लाख नए बूथ लेवल ऑफिसर (BLOs) तैनात होंगे। हर 250 घरों पर एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाएगा। साथ ही वोटर फॉर्म भरने, दावे-आपत्तियां दर्ज करने और जांच के बाद ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट तय टाइमलाइन में जारी होगी। इस पूरी प्रक्रिया 4 से 5 महीने में निपटाने का लक्ष्य है।
अन्य राज्यों का क्या है हाल :
गौरतलब है कि दिल्ली में पिछली गहन समीक्षा {SIR} 2008 में हुई थी। वहीं उत्तराखंड की 2006, असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर की 2005 की SIR लिस्ट अब आधार बनेगी। वहीं महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश की गहन समीक्षा 2006-07 में हुई थी।
दस्तावेज़ों की लिस्ट :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में शुरुआत में 11 दस्तावेज मान्य थे, बाद में आधार को 12वां शामिल किया गया। अब अन्य राज्यों की जरूरत के मुताबिक दस्तावेजों की संख्या घटाई-बढ़ाई जा सकती है।
क्यों खास है यह कदम?
गौरतलब है कि यह SIR इसलिए भी खास बन जाता है क्योंकि पहली बार एक साथ पूरे देश में इतने बड़े स्तर पर वोटर लिस्ट का सफाई अभियान चलाया जा रहा है। इससे नकली वोटर्स की पहचान होगी और चुनावी पारदर्शिता बढ़ेगी। नए वोटर्स के लिए प्रक्रिया कड़ी कर दी गई है ताकि घुसपैठियों और फर्जी नामों को रोका जा सके।
साफ है, देशभर में वोटर बनने की प्रक्रिया अब पहले से आसान भी होगी और सख्त भी। पुराने वोटर्स को कोई दिक्कत नहीं होने वाली है, लेकिन 1987 के बाद पैदा हुए युवाओं को अपने पेरेंट्स की पहचान साबित करनी ही होगी।