CBSE बोर्ड परीक्षा में बड़ा बदलाव!: अब दो साल निरंतर पढ़ाई, 75% उपस्थिति और डबल एग्जाम जैसे नए नियम...प्रमुख बदलाव; एक नज़र
CBSE बोर्ड परीक्षा में बड़ा बदलाव!

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने परीक्षा नियमों में कई अहम बदलाव किए हैं। इन बदलावों का सीधा असर 9वीं से 12वीं तक पढ़ने वाले लाखों छात्रों पर पड़ेगा। अब बोर्ड ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी विषयों की पढ़ाई दो वर्षों तक लगातार करना अनिवार्य होगी, यानी 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं कक्षाएँ दो वर्षीय कार्यक्रम के रूप में लागू की जाएँगी।

विषय बदलने पर सख्ती
CBSE की नई गाइडलाइन के अनुसार छात्र किसी भी विषय का चुनाव कक्षा 9 और 11 की शुरुआत में ही कर पाएँगे। एक बार विषय चुनने के बाद अगले दो साल तक उसे पढ़ना अनिवार्य होगा। यानी 9वीं में चुना गया विषय 10वीं में और 11वीं में चुना गया विषय 12वीं में जारी रखना होगा। विषय परिवर्तन की अनुमति केवल जुलाई के पहले सप्ताह तक ही दी जाएगी। इससे छात्रों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता बढ़ेगी और स्कूलों में भी विषयों के चयन और पढ़ाई पर नियंत्रण रहेगा।

75% उपस्थिति का नियम
बोर्ड ने यह भी साफ कर दिया है कि अब किसी भी विषय में बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए कम से कम 75% उपस्थिति दर्ज करना जरूरी होगा। पहले उपस्थिति के नियमों को कई बार लचीला माना जाता था लेकिन अब छात्रों को नियमित रूप से कक्षा में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।

आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) अनिवार्य
CBSE ने सभी विषयों में आंतरिक मूल्यांकन को लागू कर दिया है। इसका मतलब है कि अब हर छात्र को असाइनमेंट, प्रोजेक्ट और प्रैक्टिकल गतिविधियों में भाग लेना होगा। यदि कोई छात्र आंतरिक मूल्यांकन में शामिल नहीं होता तो उसका रिज़ल्ट जारी नहीं किया जाएगा। यह बदलाव छात्रों को केवल परीक्षा तक सीमित रखने के बजाय समग्र शिक्षा पर जोर देने वाला है।

स्कूलों के लिए नए प्रावधान
अब कोई भी स्कूल छात्रों को नया विषय पढ़ाना चाहता है तो उसे पहले CBSE से अनुमति लेनी होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूलों में केवल मान्य विषय ही पढ़ाए जाएँ और छात्रों को सही मार्गदर्शन मिले।

10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार
CBSE ने कक्षा 10 के लिए परीक्षा प्रणाली में सबसे बड़ा बदलाव किया है। अब साल 2026 से 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी।

• पहली परीक्षा (Phase-1) फरवरी में होगी जो सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगी।
• दूसरी परीक्षा (Phase-2) मई में होगी जिसमें केवल वे छात्र बैठ सकेंगे जो अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं।

इससे छात्रों को साल में दो मौके मिलेंगे और परीक्षा का दबाव कम होगा।

छात्रों और अभिभावकों पर असर
इन नए नियमों का छात्रों की पढ़ाई और दिनचर्या पर गहरा असर पड़ेगा। छात्रों को अब शुरुआत से ही विषयों का चुनाव सोच-समझकर करना होगा। नियमित उपस्थिति और आंतरिक मूल्यांकन पर ध्यान देना होगा।
साल में दो बार परीक्षा की सुविधा से छात्रों को सुधार का अवसर मिलेगा लेकिन साथ ही उन्हें लगातार तैयारी भी करनी होगी। अभिभावकों को भी बच्चों की पढ़ाई और उपस्थिति पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि वे नए नियमों के तहत किसी परेशानी में न पड़ें।

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