नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने जनगणना 2027 के लिए अधिसूचना जारी कर दी है और इसके साथ ही आज़ादी के बाद पहली बार 'जातिगत जनगणना' की औपचारिक शुरुआत का ऐलान भी कर दिया गया है। अब सवाल ये है क्या इस बार की जनगणना देश के सामाजिक तानेबाने को मजबूत करेगी या जातियों के बीच खाई और गहरी करेगी?
क्या कहा गया अधिसूचना में? :
जानकारी के अनुसार जनगणना मार्च 2027 को संदर्भ तिथि मानते हुए की जाएगी। पहाड़ी राज्यों में अक्टूबर 2026 तक जनगणना कार्य पूरा कर लिया जाएगा। पहली बार इसमें जाति से जुड़ी जानकारी भी दर्ज की जाएगी। पूरी प्रक्रिया को डिजिटल रूप में, मोबाइल ऐप के ज़रिए किया जाएगा।
दो चरणों में होगी जनगणना :
1. पहला चरण: मकान सूचीकरण (HLO)
घर की स्थिति, पानी, शौचालय, ईंधन, रसोई, वाहन, फोन, इंटरनेट जैसी मूलभूत सुविधाओं का सर्वे।
2. दूसरा चरण: जनगणना प्रविष्टि (PE)
व्यक्ति का नाम, उम्र, लिंग, धर्म, जाति, मातृभाषा, शिक्षा, रोज़गार, प्रजनन दर जैसी जानकारी।
किन सवालों का सामना करना पड़ सकता आपको? :
गौरतलब है कि जनगणना के दौरान निम्नलिखित सवाल पूछे जा सकते हैं।
●आपका धर्म क्या है?
●आपकी जाति क्या है? (SC/ST/OBC/General?)
●आपके घर में कौन-कौन रहता है?
●कितने कमरे हैं? टॉयलेट है या नहीं?
●पीने का पानी कहां से आता है?
●शिक्षा, आय, रोजगार के साधन क्या हैं?
●स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इंटरनेट है या नहीं?
●आप किन अनाजों को प्रमुखता से खाते हैं?
कितनी अलग होगी 2027 की जनगणना? :
गौरतलब है कि 2011 तक की जनगणनाओं में जाति की पूछताछ केवल SC/ST तक सीमित थी। 1931 के बाद पहली बार OBC समेत सभी जातियों का डाटा इकट्ठा होगा। पहली बार डिजिटल ऐप आधारित स्व-गणना (Self Enumeration) की सुविधा होगी। इस दौरान 34 लाख फील्ड कर्मचारी और 1.3 लाख अधिकारी नियुक्त होंगे।
जातिगत जनगणना का इतिहास :
●1881: पहली बार जातिवार डाटा दर्ज किया गया।
●1931: अंतिम बार सभी जातियों के आंकड़े प्रकाशित किए गए।
●1941: डाटा लिया गया लेकिन जारी नहीं किया गया।
●1951-2011: सिर्फ SC/ST की गिनती।
जातिगत जनगणना क्यों? :
गौरतलब है कि मंडल आयोग की सिफारिशों (1990) के मुताबिक पिछड़ी जातियों को 52% माना गया, लेकिन यह आंकड़ा 1931 पर आधारित था। OBC आरक्षण 90 साल पुराने आंकड़ों पर आधारित है, जबकि SC/ST के पास हर दशक का अद्यतन डाटा है। नई जातिगत गणना से आरक्षण नीति में बड़ा बदलाव संभव है।
जाति जनगणना का विरोध क्यों? :
आपको बता दें कि लोगों का मानना है कि इससे समाज में जातीय तनाव और ध्रुवीकरण बढ़ने का खतरा है। साथ ही राजनीतिक दलों द्वारा आंकड़ों का दुरुपयोग किया जा सकता है। वहीं सरकार के इस कदम से डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुएं हैं।
क्या यह जनगणना 'जन गिनती' नहीं, 'जाति गिनती' बन जाएगी? :
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ऐतिहासिक अवसर है जहां भारत अपने समाज की वास्तविकता को पहचान सकता है। परंतु यदि इस डाटा का उपयोग राजनीति, ध्रुवीकरण या वोट बैंक के लिए हुआ, तो यह देश की एकता और सामाजिक समरसता को खतरे में डाल सकता है।
जनगणना 2027 अब सिर्फ आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया नहीं रही यह भारत के संविधान, आरक्षण, राजनीति और सामाजिक ढांचे की सबसे बड़ी परीक्षा बन चुकी है। सवाल अब यह नहीं है कि कितने लोग हैं सवाल यह है कि कौन किस जाति का है और उसका क्या हक बनता है? क्या यह प्रक्रिया न्याय का आधार बनेगी या विभाजन की दीवार? यह भारत का भविष्य तय करने जा रही है और इसका असर हर घर, हर गांव, हर शहर तक पहुंचेगा।