जयपुर (राजस्थान): सोमवार दोपहर करीब 1:45 बजे, शहर के व्यस्त औद्योगिक क्षेत्र हरमाड़ा (लोहा मंडी रोड के निकट) में एक भयानक सड़क हादसा हुआ। एक बेकाबू डंपर ट्रक ने लगभग 17 वाहनों (कारें, मोटरसाइकिलें और कुछ पैदल यात्री) को टक्कर मारी, जिससे 13 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए।
घटना का क्रम
हादसा उस समय हुआ जब डंपर ट्रक न्यू लोहा मंडी रोड से आ रहा था और अचानक नियंत्रण खो बैठा। सीसीटीवी में ट्रक की रफ्तार लगभग 100 किमी/घंटा से ऊपर दर्ज हुई है।
ट्रक पहले एक कार को टक्कर मारता है, उसके बाद चालक ने गुस्से में ऑनराइट साइड से गलत दिशा में गाड़ी चलाना शुरू किया और लगभग 300-350 मीटर तक बहते हुए कई वाहन व लोगों को अपनी चपेट में लिया।
दुर्घटना में दो मासूम-बच्चियां (उम्र लगभग 5 और 7 वर्ष) भी शामिल थीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि “मास्करे” जैसा दृश्य था, गाड़ियों के ध्वस्त ढाँचे, सड़क पर बिखरे शव और घायलों की चीखें।
चालक व उसके हालात
चालक का नाम कल्याण मीणा है, जो जयपुर-विराटनगर का निवासी बताया गया है। पूछताछ में उसने बताया कि उसने दो बार शराब पारी थी, एक बार घर से निकलने के बाद, एक बार बेनार रोड के पास।
पुलिस ने उस पर घातक लापरवाही (culpable homicide not amounting to murder) का मामला दर्ज किया है। डंपर चालक भी घायल हुआ है और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है।
मृतक-घायल व राहत-प्रक्रिया
प्रारंभिक रूप से मृतकों की संख्या 14 बताई गई थी, लेकिन बाद में यह 13 कर दी गई क्योंकि एक मृतक कथित तौर पर अलग दुर्घटना का था।
घायलों में से कुछ का इलाज गंभीर रूप से चल रहा है और वे वेंटिलेटर पर भी हैं। राज्य अधिकारीयों ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे तथा घायलों को सर्वो-चिकित्सा सुविधा देने के निर्देश दिए हैं।
कारण व प्रशासनिक चुनौती
हादसे के पीछे मुख्य कारणों में शामिल हैं:
•वाहन की अत्यधिक गति और नियंत्रण खोना।
•चालक का नशे में होना और जोखिम में वाहन चलाना।
•कार्य-क्षेत्र में भारी वाहन-प्रवाह के बीच पर्याप्त निगरानी व नियंत्रण न होना।
•मार्ग व ट्रैफिक प्रबंधन की विशेष रूप से औद्योगिक व व्यस्त इलाकों में।
•घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या भारी वाहन (डंपर) का मार्ग, गति सीमाएँ, और ड्राइवर प्रशिक्षण पर्याप्त थे या नहीं।
•साक्ष्यों से पता चला है कि दुर्घटना-स्थान पर गड़बड़ी, अवैध पार्किंग व मार्ग-संकुचन भी योगदान दे रहे थे।
आगे की कार्रवाई:
पुलिस महानिरीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारीयों ने एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई है ताकि ट्रैफिक प्रबंधन और सड़क सुरक्षा ढाँचा मजबूत किया जा सके।
स्थानीय पुलिस थानों को अपने क्षेत्र में ट्रैफिक नियंत्रण-निर्देशन की जिम्मेदारी दी गई है जैसे कि शराबी वाहन चालकों की जांच, अवैध पार्किंग व मार्ग बाधाओं का नियंत्रण।
गंभीर हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दिए जा रहे हैं: रात में भारी वाहन मार्ग को प्रतिबंधित करना, औद्योगिक इलाके के निकट गति नियंत्रण के उपाय, और ड्राइवरों के लिए नियमित शराब-जांच।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने तुरंत समीक्षा प्रारंभ करने तथा अभियुक्त व परिवहन विभाग की जवाबदेही बताने का निर्देश दिया है।
निष्कर्ष:
यह दुर्घटना केवल एक वाहन-हादसा नहीं है, बल्कि हमारी सड़क-सुरक्षा प्रणालियों की चूक का गहरा संकेत है। जहाँ एक-तरफ चालक की लापरवाही है, वहीं दूसरी-तरफ प्रशासनिक प्रबंधन, मार्ग-निर्धारण और निगरानी में की गई कोताही स्पष्ट दिखती है। इस घटना ने एक बार फिर हमें याद दिलाया है कि “एक समय की गलती” कितनी बड़ी त्रासदी का रूप ले सकती है।
“जब आप शराब़ी हाथों में भारी वाहन दे देते हैं, तो मौत को सड़क पर प्रवेश का निमंत्रण मिलता है।”