साइबर ठगी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी!: अब हर कॉल पर डिफॉल्ट रूप से दिखेगा कॉलर का असली नाम, TRAI और DoT का ऐतिहासिक फैसला?
साइबर ठगी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी!

नई दिल्ली: देश में फर्जी कॉल और साइबर ठगी से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। दूरसंचार नियामक TRAI और दूरसंचार विभाग (DoT) इस बात पर सहमत हो गए हैं कि अब आपके फोन पर आने वाली हर कॉल पर कॉल करने वाले व्यक्ति का पंजीकृत नाम (Caller's Name) डिफॉल्ट रूप से दिखाई देगा। यह सुविधा 'कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन' (CNP) के तहत लागू की जाएगी और इसका मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को फर्जी कॉल और ठगी से बचाना है।

क्या बदलेगा? कॉल स्क्रीन पर ऐसा दिखेगा:

आपको बता दें कि अभी तक आपकी कॉल स्क्रीन पर सिर्फ फोन नंबर दिखता था। नई व्यवस्था लागू होने के बाद कुछ इस तरह दिखेगा:

● पहले: +91 XXXXX XXXXX
● अब: अमित कुमार (+91 XXXXX XXXXX)

यानी, कॉलर का वही नाम दिखेगा जो उसने अपना मोबाइल कनेक्शन लेते समय दिया था। इससे आप पहचान सकेंगे कि कॉल किसी जानकारी से आ रही है या किसी अजनबी से।

सुरक्षा की बड़ी दीवार: कैसे रुकेगी ठगी?

गौरतलब है कि यह नई प्रणाली साइबर ठगों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगी:

फर्जी कॉल पकड़ में आएंगी: अब कोई भी ठग 'बैंक अधिकारी', 'पुलिस अधिकारी' या 'किसी रिश्तेदार' का रोल करके आपको आसानी से नहीं डरा पाएगा। कॉलर का असली नाम सामने आते ही उसकी पोल खुल जाएगी।

स्पैम कॉल्स से छुटकारा: विज्ञापन और मार्केटिंग कॉल करने वालों की भी पहचान आसान होगी, जिससे आप अनचाही कॉल्स को नजरअंदाज कर सकेंगे।

क्या है 'ऑप्ट-आउट' का विकल्प? आपके पास यह आजादी होगी

हालांकि यह सुविधा सभी के लिए डिफॉल्ट रूप से चालू रहेगी, लेकिन अगर कोई उपभोक्ता अपनी गोपनीयता को लेकर चिंतित है और अपना नाम नहीं दिखाना चाहता, तो वह इस सुविधा को 'ऑप्ट-आउट' (बंद) करवा सकता है। इसके लिए एक सरल प्रक्रिया तय की जाएगी।

किन लोगों का नाम नहीं दिखेगा? यह है अपवाद :

आपको बता दें कि इस नियम के कुछ महत्वपूर्ण अपवाद भी होंगे। निम्नलिखित श्रेणियों के लोगों का नाम कॉल रिसीवर को नहीं दिखेगा:

CLIR सुविधा वाले उपयोगकर्ता: जिन लोगों ने 'कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन रेस्ट्रिक्शन' (CLIR) सुविधा ले रखी है, जैसे कि खुफिया एजेंसियों के अधिकारी, कुछ सरकारी अधिकारी और वीआईपी व्यक्ति।

बल्क कनेक्शन: कॉल सेंटर, टेलीमार्केटिंग एजेंसियों और व्यवसायों के लिए जारी किए गए बल्क कनेक्शन।

कब तक मिलेगा यह फीचर? रोडमैप साफ :

तकनीकी आधार: यह सुविधा 4G और 5G जैसे उन्नत नेटवर्क पर ही डिफॉल्ट रूप से लागू की जाएगी। पुराने 2G और 3G नेटवर्क में तकनीकी सीमाओं के कारण इसे लागू करना मुश्किल है।

समयसीमा: सरकार द्वारा अधिसूचना जारी होने के छह महीने के भीतर दूरसंचार कंपनियों और फोन निर्माताओं को इस सुविधा को लागू करना होगा।

नए फोन्स में अनिवार्यता: भारत में बेचे जाने वाले सभी नए स्मार्टफोन में यह सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होगी।

TRAI और DoT का यह साझा फैसला भारतीय टेलीकॉम लैंडस्केप में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है। यह कदम न सिर्फ आम आदमी को ठगी से बचाएगा, बल्कि डिजिटल भरोसे और जवाबदेही को भी बढ़ावा देगा। अब कोई भी बेनाम होकर फोन का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सुरक्षा-केंद्रित कदम साबित होगा।

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