देहरादून : उत्तराखंड में नशा और नकली दवाओं के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश पर “ऑपरेशन क्लीन” नामक बड़ा राज्यव्यापी अभियान चलाया गया है, जिसका मकसद है - उत्तराखंड को पूरी तरह नशा मुक्त बनाना और दवा माफिया पर शिकंजा कसना। इस हाई-प्रोफाइल मुहिम में न सिर्फ नकली और नशीली दवाओं की बिक्री पर नजर है, बल्कि भारत-नेपाल बॉर्डर से लेकर प्रदेश के स्कूलों और मेडिकल स्टोर्स तक जांच और छापेमारी तेज कर दी गई है।
‘ऑपरेशन क्लीन’ की कमान संभाली क्यूआरटी ने :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने बताया कि इस अभियान के लिए 8 सदस्यीय क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) का गठन किया गया है, जिसमें औषधि निरीक्षण और विश्लेषण में दक्ष अधिकारी शामिल हैं। यह टीम पूरे प्रदेश में घूमकर संदिग्ध दवाओं के सैंपल एकत्र करेगी और जांच के लिए प्रयोगशाला भेजेगी। टीम का नेतृत्व सहायक औषधि नियंत्रक हेमंत सिंह नेगी कर रहे हैं। उनके साथ डॉक्टर सुधीर कुमार, नीरज कुमार, मिनाक्षी बिष्ट और अन्य वरिष्ठ निरीक्षक शामिल हैं।
जनपदों में वर्गीकरण, सीमा पर चौकसी :
गौरतलब है कि प्रदेश के जिलों को ‘क’ और ‘ख’ श्रेणी में बांटा गया है ताकि जनपदों में औषधि निरीक्षण क्षमता के अनुसार चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई हो। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और पौड़ी जैसे बड़े जिले ‘क’ श्रेणी में हैं, जहां जांच तेज गति से चल रही है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित धारचूला, झूलाघाट, टनकपुर, खटीमा, बनबसा जैसे बॉर्डर प्वाइंट्स पर स्पेशल इंटेलिजेंस जांच दल की तैनाती की गई है। अवैध दवा आपूर्ति पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
स्कूलों से मेडिकल स्टोर्स तक सघन छानबीन :
आपको बता दें कि औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि राज्य के सभी स्कूलों में नशा मुक्ति की शिक्षा अनिवार्य की गई है। साथ ही सभी दवा दुकानों पर बिकने वाली दवाओं की लाइसेंस, निर्माण स्रोत और गुणवत्ता की जांच हो रही है। जो भी दुकान या सप्लायर संदिग्ध पाया गया, उसके खिलाफ सीधी विधिक कार्रवाई की जा रही है।
प्रयोगशालाओं को मिले विशेष निर्देश, दोषियों पर सख्त कार्रवाई तय :
विदित है कि दवाओं के सैंपल को औषधि विश्लेषण प्रयोगशालाओं में प्राथमिकता के आधार पर जांचा जाएगा, और दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। सभी लैब्स को हर सप्ताह रिपोर्ट मुख्यालय भेजने के आदेश दिए गए हैं। यह पूरी प्रक्रिया सुनियोजित, पारदर्शी और परिणामोन्मुखी होगी।
हेल्पलाइन नंबर से जनता भी बनी निगरानी का हिस्सा :
गौरतलब है कि प्रदेश की जनता को भी इस मुहिम में भागीदार बनाया गया है। नकली या नशीली दवाओं से जुड़ी शिकायतें सीधे टोल फ्री नंबर 18001804246 पर दर्ज कराई जा सकती हैं। साथ ही रेडियो, टीवी, सोशल मीडिया और पोस्टरों के माध्यम से व्यापक जनजागरूकता अभियान चल रहा है।
उत्तराखंड सरकार का यह अभियान सिर्फ नकली दवाओं के खिलाफ नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य की रक्षा और समाज को नशे के जाल से मुक्त करने की ऐतिहासिक पहल है। स्कूलों से सीमाओं तक निगरानी और जनता की भागीदारी के साथ यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। ऑपरेशन क्लीन से नशे का नेटवर्क अब खतरे में है।