गुरुग्राम के मानेसर में सफाई के नाम पर 90 करोड़ का फर्जीवाड़ा!: CMO तक पहुंचा मामला, निगम अफसरों पर 3 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप? जानें क्या हैं पूरा मामला
गुरुग्राम के मानेसर में सफाई के नाम पर 90 करोड़ का फर्जीवाड़ा!

गुरुग्राम: शहर के मानेसर नगर निगम (एमसीएम) में सफाई व्यवस्था को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। दिल्ली की सफाई एजेंसी आकांक्षा इंटरप्राइजेज ने नगर निगम अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) तक शिकायत पहुंचा दी है। शिकायत में दावा किया गया है कि निगम के अधिकारी जानबूझकर भुगतान नहीं कर रहे, झूठे जुर्माने लगा रहे और बिल पास कराने के बदले रिश्वत की डिमांड कर रहे हैं।

नगर निगम आयुक्त का किया गया तबादला!

सफाई एजेंसी की शिकायत के बाद मामला उच्च स्तर तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पर तुरंत संज्ञान लिया और नगर निगम आयुक्त रेणु सोगन को मुख्यालय में तलब किया गया और मंगलवार शाम उनका तबादला कर दिया गया। अब चंडीगढ़ मुख्यालय में ठेका कंपनी और निगम अधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है।

नगर निगम अधिकारियों की सफाई!

दूसरी ओर एमसीएम के अधिकारियों ने ठेका कंपनी के आरोपों को पूरी तरह गलत और मनगढ़ंत बताया है। उनका कहना है कि कंपनी सफाई के लिए जितने कर्मचारियों और मशीनों की आवश्यकता थी उसे पूरा करने में नाकाम रही है। निगम के मुताबिक बार-बार चेतावनी देने के बावजूद एजेंसी की ओर से स्थिति में सुधार नहीं हुआ जिसके चलते कंपनी पर 4.30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।

विधायक की शिकायत के बाद शुरू हुआ विवाद!

इस पूरे विवाद की शुरुआत पटौदी विधायक बिमला चौधरी की शिकायत से हुई थी। उन्होंने निगम अधिकारियों को कई बार बताया था कि क्षेत्र में सफाई व्यवस्था बेहद खराब है। 11 अप्रैल को उन्होंने पत्र लिखकर मांग की थी कि ठेकेदार कंपनी पर नियमों के तहत कार्रवाई हो और पेमेंट एसडब्ल्यूएम पोर्टल के जरिए ही की जाए। इस पत्र के बाद निगम ने आकांक्षा इंटरप्राइजेज पर 4.5 करोड़ रुपये का चालान लगा दिया और मामले की जांच की सिफारिश की।

90 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का ऐसे हुआ खुलासा!

शिकायत के बाद जांच के दौरान एक बड़ा घोटाला सामने आया है जिसमें पाया गया कि सफाई एजेंसी ने साल 2023 से दिसंबर 2024 के बीच 1997 सफाईकर्मियों के नाम पर भुगतान लिया जबकि वास्तव में इतने कर्मचारी काम पर नहीं थे। हर महीने पूरी मैनपावर दिखाकर कंपनी ने भारी रकम वसूल की। जांच में पता चला कि जुलाई 2024 से फरवरी 2025 तक के दौरान केवल एक चौथाई कर्मचारी ही लगाए गए फिर भी एजेंसी ने पूरे स्टाफ की तनख्वाह के बराबर भुगतान लिया। इस गड़बड़ी की कुल रकम लगभग 90 करोड़ रुपये आंकी गई है।

कर्मचारियों को थमाए गए नोटिस

नगर आयुक्त रेणु सोगन ने इस मामले में कड़े कदम उठाए और जिन निगम कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही उच्चाधिकारियों को यह भी लिखा गया कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। विधायक भी लगातार इस विषय पर नगर निगम से कार्रवाई की मांग कर रही थीं।

आकांक्षा इंटरप्राइजेज ने लगाए रिश्वत मांगने के आरोप

दिल्ली के द्वारका की सफाई कंपनी आकांक्षा इंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि शीशपाल सिंह राणा ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने लगातार चार महीने सेवा दी, लेकिन निगम ने 8.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान रोक दिया। दो महीनों के बिल प्रशासनिक मंजूरी के अभाव में रुके रहे जबकि बाकी दो महीनों के बिल अधिकारियों ने जानबूझकर अटका दिए।

अधिकारियों ने बिजनेस खत्म करने की दी धमकी!

राणा ने आरोप लगाया कि पहले मंजूरी दिलाने के लिए 24 लाख रुपये की मांग की गई, फिर और 24 लाख रुपये मांगे गए। अंत में बिल पास कराने के लिए 3 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी गई। उनका दावा है कि इन सब लेन-देन से जुड़े पुख्ता दस्तावेज और साक्ष्य उनके पास मौजूद हैं, जिन्हें उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप भी दिया है। उन्होंने यहां तक कहा कि अधिकारियों ने उन्हें धमकी दी कि अगर वे रिश्वत नहीं देंगे तो उनका पूरा बिजनेस खत्म कर दिया जाएगा।

“काम खराब था तो कॉन्ट्रैक्ट क्यों बढ़ाया गया?”-आकांक्षा इंटरप्राइजेज

राणा का कहना है कि अगर कंपनी का काम खराब था, तो नगर निगम ने उनका ठेका क्यों बढ़ाया? निगम के अपने रिकॉर्ड में कंपनी का प्रदर्शन संतोषजनक बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने हमेशा नियमानुसार काम किया है और जो भी तकनीकी कमियां थीं उन्हें समय रहते सुधारने की कोशिश की है।

झूठे आरोप लगाकर अधिकारियों को बदनाम करना चाहता है ठेकेदार: नगर निगम

वहीं दूसरी ओर आयुक्त रेणु सोगन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि ठेकेदार झूठे आरोप लगाकर अधिकारियों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि ठेकेदार को बार-बार मैनपावर और मशीनरी की कमियों के बारे में बताया गया लेकिन कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। निगम की पूरी प्रक्रिया एसडब्ल्यूएम पोर्टल के जरिए पारदर्शी ढंग से चलती है जिसकी निगरानी वरिष्ठ अधिकारी करते हैं।

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