नई दिल्ली : अब यमुना के काले पानी की जगह फिर से साफ लहरें नजर आएंगी।
दिल्ली में यमुना सफाई का सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरू हो गया है। 1400 करोड़ रुपये की लागत से 8 अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का अपग्रेडेशन किया जा रहा है, जिससे नदी में गिरने वाले गंदे पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) सिर्फ 10 mg/litre तक रह जाएगी। यानी अब यमुना में गंदगी की जगह साफ और जीवनदायी पानी बहेगा।
कोई नाला बिना सफाई के नहीं जाएगा यमुना में :
आपको बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने इन आधुनिक एसटीपी का उद्घाटन किया, जबकि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दावा किया कि “अब कोई नाला बिना सफाई के यमुना में नहीं जाएगा।” दिल्ली जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि पहले एसटीपी 30 mg/litre बीओडी पर बनते थे, लेकिन अब सभी 10 mg/litre के नए मानक पर अपग्रेड किए जा रहे हैं।
जानें क्या है योजना?
गौरतलब है कि दिल्ली में कुल 37 एसटीपी हैं, लेकिन कई पुराने मानकों पर चल रहे थे। अब ओखला फेज-5, घिटोरनी, वसंत कुंज, यमुना विहार फेज-1, केशवपुर फेज-1 और निलोठी जैसे प्रमुख एसटीपी को दिसंबर 2026 तक उन्नत किया जाएगा। हर नाले का ड्रोन सर्वे हुआ है ताकि गंदे पानी को सीधे एसटीपी में लाया जा सके। केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को वित्तीय मदद दे रही है।
फैक्ट्रियों पर चला ‘ऑपरेशन क्लीन यमुना’ – 61 जींस फैक्ट्रियों पर गिरी गाज :
गौरतलब है कि जहां एक तरफ सफाई का काम तेज हुआ, वहीं दूसरी ओर यमुना को ज़हर बनाने वाली अवैध जींस फैक्ट्रियों पर भी बड़ा एक्शन हुआ। डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) ने नरेला, बवाना, मायापुरी और लॉरेंस रोड जैसे औद्योगिक इलाकों में 61 फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की है। इन फैक्ट्रियों पर आरोप था कि वे रंगाई और धुलाई के जहरीले रसायन सीधे यमुना में बहा रही थीं, जिससे पानी काला और जहरीला हो गया। अब कई फैक्ट्रियों की बिजली-पानी काट दी गई है, 28 इकाइयों को सील करने की सिफारिश की गई है और एक फैक्टरी पर 9 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
एनजीटी के आदेश के बाद तेज हुई कार्रवाई :
विदित है कि शिकायतकर्ता वरुण गुलाटी ने एनजीटी में याचिका लगाई थी कि अवैध फैक्ट्रियों का जहर यमुना को मार रहा है। एनजीटी ने डीपीसीसी को सख्त निर्देश दिए और अब रिपोर्ट में बताया गया कि “सभी अवैध इकाइयों पर छापेमारी कर उत्पादन बंद कराया गया।” डीपीसीसी इंजीनियर संदीप कुमार ने बताया, “इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला पानी न सिर्फ यमुना को मार रहा था, बल्कि आसपास के लोगों की सेहत के लिए भी खतरनाक था।”
“यमुना फिर बहेगी निर्मल” - सरकार का दावा :
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि “हर बूंद को ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाएगा। कोई गंदा नाला अब सीधे यमुना में नहीं गिरेगा। यह सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि दिल्ली की आत्मा को पुनर्जीवित करने का मिशन है।” सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक यमुना के सभी प्रदूषण स्रोतों पर पूर्ण नियंत्रण किया जाए।
अगर यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है, तो दिल्लीवासी शायद कई दशकों बाद फिर से यमुना के किनारे साफ पानी देख पाएंगे।
यह साफ है कि यह यमुना सफाई पर अब तक की सबसे बड़ी पहल है। 1400 करोड़ की लागत से सुपर-टेक्नोलॉजी STP, 61 अवैध फैक्ट्रियां बंद करना, जुर्माने की चेतावनी इस निर्मल यमुना अभियान में और मदद करेंगी।