हरिद्वार/नोएडा : उत्तराखंड के हरिद्वार से निकलने वाली 470 किलोमीटर लंबी गंगनहर को 20 अक्टूबर तक बंद कर दिया गया है। यह बंदी हर साल की तरह इस बार भी दशहरा से छोटी दीपावली तक नहर की सफाई और मरम्मत के लिए की जा रही है। लेकिन इसका असर अब दिल्ली-NCR से लेकर यूपी के पांच जिलों तक सीधा महसूस किया जाएगा।
क्यों जरूरी है गंगनहर की सफाई?
आपको बता दें कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, नहर के सालभर सुचारु संचालन के लिए यह सफाई अनिवार्य है। इस दौरान नहर की गाद और सिल्ट हटाई जाती है। साथ ही टूटी-फूटी दीवारों और संरचना की मरम्मत की जाती है। तकनीकी जांच कराई जाती है। बिना इस सफाई के नहर में अवरोध और टूट-फूट से सिंचाई व पेयजल सप्लाई पर और बड़ा संकट आ सकता है।
किस-किस पर पड़ेगा असर?
दिल्ली-NCR की जनता :
आपको बता दें कि नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ जैसे शहरों को गंगनहर से पानी मिलता है। नहर बंद होते ही गंगाजल की सप्लाई रुक जाएगी। जल निगम रैनीवेल और बोरवेल से पानी खींचकर जरूरत पूरी करेगा, लेकिन सप्लाई सीमित होगी। कई इलाकों में टैंकरों से पानी पहुंचाना पड़ सकता है।
पश्चिमी यूपी के किसान
विदित है कि मुजफ्फरनगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मेरठ के हजारों किसान गंगनहर के पानी पर निर्भर हैं। यही समय है जब किसान गन्ने की बुवाई और गेहूं की तैयारी करते हैं। पानी बंद होने से बोआई समय पर न हो पाने का खतरा है। फसल खराब होने का सीधा असर किसानों की जेब और बाजार दोनों पर पड़ेगा।
हरिद्वार के श्रद्धालु :
गौरतलब है कि हरकी पैड़ी और आसपास के घाटों पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को भी निराशा हाथ लग रही है। नहर बंद होने से स्नान योग्य जल बेहद कम मात्रा में उपलब्ध है। आरती के समय कुछ मात्रा में गंगाजल छोड़ा जाता है, बाकी समय श्रद्धालु परेशान रहते हैं।
खनन माफिया :
गौरतलब है कि नहर बंदी के दौरान अक्सर रेत और खनन माफिया सक्रिय हो जाते हैं। नहर की तली में उतरी गाद और रेत को अवैध रूप से निकालकर बेचने का काम तेज हो जाता है। प्रशासन को इस दौरान खास निगरानी करनी पड़ती है।
गंगनहर का इतिहास :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गंगनहर का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत (1842-1854) में हुआ था। यह हरिद्वार के भीमगोडा बैराज से निकलती है और रुड़की, मुरादनगर, डासना, बुलंदशहर, अलीगढ़ तक जाती है। मुख्य लाइन लगभग 470 किलोमीटर लंबी है और इससे जुड़ी शाखाएं लगभग 6,000 किलोमीटर तक फैली हैं। यह उत्तराखंड और यूपी के 10 जिलों की 9,000 वर्ग किलोमीटर कृषि भूमि की जीवनरेखा है।
सरकार का प्लान :
विदित है कि मेरठ खंड गंगनहर के अधिशासी अभियंता विकास त्यागी ने बताया कि 20 अक्टूबर तक मरम्मत पूरी कर ली जाएगी। शहरों की सप्लाई के लिए बीच-बीच में नहर में रोके गए पानी का इस्तेमाल किया जाएगा। किसानों को फिलहाल इंतजार करना होगा।
कुल मिलाकर, गंगनहर की सफाई एक ओर जरूरी है, लेकिन इस दौरान दिल्ली-NCR की जनता पानी के संकट से जूझेगी और यूपी के किसान अपनी फसल को लेकर दुविधा में रहेंगे।