प्रीमियम फोन बॉक्स में, अब चार्जर क्यों नहीं आता!: i-Phone और Samsung से लेकर...जानें वजह?
प्रीमियम फोन बॉक्स में, अब चार्जर क्यों नहीं आता!

शुरुआत कहाँ से हुई?

Apple ने सबसे पहले iPhone 12 सीरीज़ (2020) से चार्जर और EarPods को पैकेज से हटाया। इसके बाद Samsung ने भी अपने फ्लैगशिप मॉडल Galaxy S21 (2021) से यही ट्रेंड अपनाया। धीरे-धीरे यह एक “नई इंडस्ट्री प्रैक्टिस” बन गई, जिसमें बाकी कंपनियाँ भी शामिल होने लगीं।

कंपनियों का आधिकारिक तर्क:

  1. पर्यावरण बचाने का दावा

    • Apple का कहना है कि लाखों लोगों के पास पहले से ही चार्जर मौजूद हैं।

    • नए चार्जर बनाने से ई-वेस्ट (e-waste) बढ़ता है, और मेटल-प्लास्टिक की खपत होती है।

    • चार्जर हटाने से कार्बन उत्सर्जन और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन घटेगा।

  2. पैकेजिंग छोटी और हल्की

    • छोटे बॉक्स का मतलब है कम जगह घेरना, जिससे एक बार में ज़्यादा बॉक्स शिप किए जा सकते हैं।

    • इसका असर सीधे ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और कार्बन फुटप्रिंट पर पड़ता है।

असली छिपा पहलू – मुनाफा बढ़ाने की रणनीति

चार्जर हटाने से कंपनियाँ अलग से ऑरिजिनल चार्जर और केबल बेचकर राजस्व कमाती हैं।

  • iPhone का ऑरिजिनल चार्जर भारत में ₹1,900–₹2,500 तक आता है।

  • Samsung का 25W/45W फास्ट चार्जर ₹1,200–₹2,000 तक का होता है।
    यानी ग्राहक को फोन के अलावा चार्जिंग एक्सेसरी पर अलग खर्च करना पड़ता है।

टेक्नोलॉजी का पहलू

  • हर फोन अलग वॉटेज सपोर्ट करता है (20W, 25W, 45W, 65W तक)।

  • Apple का iPhone 15 Pro 20W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट करता है, जबकि Samsung Galaxy S24 Ultra 45W तक।

  • कंपनियाँ कहती हैं कि हर फोन के साथ एक ही चार्जर देना तकनीकी रूप से बेकार होगा।

  • इसलिए यूज़र को “अपनी ज़रूरत के हिसाब से” चार्जर खरीदने का विकल्प दिया जाता है।

ग्राहकों पर असर

  • जिनके पास पुराने चार्जर हैं उन्हें फायदा हो सकता है।

  • नए यूज़र्स को अलग से चार्जर और केबल खरीदनी पड़ती है।

  • सस्ते या लोकल चार्जर इस्तेमाल करने से बैटरी हेल्थ पर असर पड़ सकता है।

  • कुल मिलाकर, फोन की वास्तविक कीमत बढ़ जाती है।

दुनिया भर में विवाद

  • कई देशों में इस फैसले को ग्राहकों के साथ अन्याय बताया गया।

  • ब्राज़ील सरकार ने 2022 में Apple पर चार्जर न देने को लेकर जुर्माना लगाया।

  • यूरोपीय संघ (EU) पहले से ही यूनिवर्सल USB-C चार्जर नियम ला चुका है, जिससे आने वाले सालों में कंपनियों को चार्जिंग स्टैंडर्ड करना होगा।

निष्कर्ष

Apple और Samsung का यह कदम पर्यावरण और तकनीकी विविधता के नाम पर सही लगता है, लेकिन इससे मुनाफे का बड़ा खेल भी जुड़ा हुआ है।
ग्राहकों को अब स्मार्टफोन खरीदते समय सोचना होगा – क्या उनके पास पहले से सही चार्जर मौजूद है, या उन्हें अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा।
यानी अब प्रीमियम फोन खरीदना सिर्फ फोन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि चार्जिंग सेटअप पर भी निवेश करना ज़रूरी हो गया है।

अन्य खबरे