नेपाल सरकार ने हिंसक प्रदर्शन के चलते; व्हाट्सअप फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर लगा बैन, लिया वापस!: 20 मौतें और 300 से ज्यादा घायल...जानें क्या हैं GEN-Z और क्यों फूटा सरकार पर गुस्सा?
नेपाल सरकार ने हिंसक प्रदर्शन के चलते; व्हाट्सअप फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर लगा बैन, लिया वापस!

काठमांडू : नेपाल में युवाओं के गुस्से ने केपी शर्मा ओली सरकार को झुका दिया। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाया गया बैन आखिरकार हटाना पड़ा। वजह है राजधानी काठमांडू समेत पूरे देश में भड़की हिंसा, जिसमें 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से ज्यादा घायल हैं।

सरकार का बड़ा यू-टर्न :

आपको बता दें कि सोमवार देर रात नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने आपात बैठक के बाद घोषणा की - "सरकार ने GEN-Z की भावनाओं का सम्मान करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को खोलने का फैसला लिया है।"

हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि सरकार को अपने पहले फैसले पर कोई पछतावा नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

विदित है कि पिछले हफ्ते ओली सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद कर दिए थे। सरकार का तर्क था कि यह कदम फेक न्यूज़ और अभद्र भाषा पर रोक लगाने और कंपनियों को लोकल रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उठाया गया। लेकिन यह फैसला उल्टा पड़ गया और सड़कों पर उतरे युवाओं ने सरकार को झकझोर कर रख दिया।

GEN-Z का गुस्सा क्यों फूटा?

गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व 13 से 28 साल के युवाओं ने किया। गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया बैन पर नहीं था, बल्कि सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और खराब आर्थिक अवसरों को लेकर भी था। सोशल मीडिया उनके लिए सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि आवाज़ बुलंद करने का हथियार है।

हिंसा और खून-खराबा :

आपको बता दें कि सोमवार को हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में अब तक 20 की मौत हो चुकी है और 300 लोग घायल हैं। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर धुआं, आग और गोलियों की आवाज गूंजती रही।

हिंसा की जांच होगी :

आपको बता दें कि सरकार ने हिंसा की जांच के लिए एक विशेष समिति बनाई है। 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

मानवाधिकार संगठनों का आरोप

गौरतलब है कि मानवाधिकार समूहों ने सोशल मीडिया बैन को “सेंसरशिप का हथियार” बताया था। उनका कहना है कि सरकार ने जनता की आवाज दबाने की कोशिश की।

साफ है कि नेपाल की GEN-Z ने दिखा दिया कि डिजिटल पीढ़ी को हल्के में लेना आसान नहीं। एक क्लिक से शुरू हुआ गुस्सा सड़कों पर खून-खराबे में बदल गया और आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। अब सरकार हिंसा की जांच करने के लिए कमेटी गठित कर दी है। साथ ही सोशल मीडिया बैन भी वापस ले लिया गया है।

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