नई दिल्ली: भारत ने आने वाले पंद्रह वर्षों में अपनी सैन्य क्षमता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी 15 वर्षीय रक्षा विज़न दस्तावेज़ जारी किया है। यह खाका थल, नभ, जल और अंतरिक्ष—चारों मोर्चों पर देश की ताक़त को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक पहल माना जा रहा है। योजना का मक़सद भारत को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करना और वैश्विक स्तर पर रणनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करना है।
साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा:
भविष्य के युद्ध केवल ज़मीनी और हवाई मोर्चों तक सीमित नहीं रहेंगे। इसी दृष्टि से सेनाओं को अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा तंत्र से लैस किया जाएगा, जिससे भारतीय उपग्रह हैकिंग से सुरक्षित रह सकें। इसके साथ ही लेज़र रेंज फाइंडर और टोही उपग्रह निगरानी क्षमता को और सटीक बनाएंगे। दस्तावेज़ में यह भी प्रावधान है कि हाई एनर्जी लेज़र सिस्टम के माध्यम से भारत एंटी-सैटेलाइट ऑपरेशन की क्षमता हासिल करेगा। यह कदम अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की ताक़त को बढ़ाने वाला साबित होगा।
थल सेना का आधुनिकीकरण:
आधुनिकीकरण की दिशा में थल सेना के स्वरूप में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। मौजूदा टी-72 टैंकों की जगह 1800 अगली पीढ़ी के टैंक शामिल किए जाएंगे। इसके साथ ही सेना के शस्त्रागार में 500 हाइपरसोनिक मिसाइलें जोड़ी जाएंगी, जो ध्वनि की गति से कई गुना तेज़ चलकर दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त कर सकेंगी। इस बदलाव से थल सेना की मारक क्षमता और युद्ध कौशल कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
वायुसेना की नई उड़ान:
भारतीय वायुसेना को भी नई दिशा देने का प्रावधान किया गया है। योजना के अनुसार, वायुसेना को 150 स्टील्थ बॉम्बर ड्रोन मिलेंगे, जो भारी हथियार लेकर 15 किलोमीटर ऊँचाई तक उड़ान भर सकेंगे और रडार से बचते हुए हमले कर पाएंगे। इसके अलावा, 2030 तक 62 राफेल विमान वायुसेना में शामिल होंगे। साथ ही, हाई पावर लेज़र और डायरेक्ट एनर्जी हथियार वायुसेना को युद्ध में नई तकनीकी बढ़त देंगे।
नौसेना की शक्ति वृद्धि:
समुद्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नौसेना को भविष्य में 10 परमाणु ऊर्जा संचालित विमानवाहक पोत दिए जाएंगे। इन पोतों की सबसे बड़ी ख़ासियत यह होगी कि वे लंबे समय तक समुद्र में टिककर अभियान चला सकेंगे। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) जैसी नई तकनीक भी नौसेना में शामिल होगी। इससे भारत की नौसेना अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों की बराबरी कर सकेगी।
बजट और आत्मनिर्भर भारत:
वर्तमान में भारत का रक्षा बजट लगभग 80 अरब डॉलर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस विज़न दस्तावेज़ के लागू होने से आने वाले वर्षों में यह निवेश और बढ़ेगा। केंद्र सरकार का ध्यान केवल आधुनिक हथियारों की ख़रीद पर नहीं है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। यह पहल देश को न केवल तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगी, बल्कि विदेशी निर्भरता को भी कम करेगी।
रणनीतिक महत्व:
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह खाका भारत को आने वाले वर्षों में आत्मनिर्भर, सक्षम और रणनीतिक रूप से अग्रणी रक्षा शक्ति बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। आधुनिक तकनीक, स्वदेशी उत्पादन और वैश्विक मानकों की तैयारी भारत की सुरक्षा को और मज़बूत करेगी।