नई दिल्ली : नई दिल्ली में सर्दियों की ठिठुरन बढ़ रही है और इसी बीच दिल्ली सरकार ने ऐसा फैसला लिया है जिसने राजधानी की राजनीति और हेल्थ सेक्टर दोनों में हलचल मचा दी है। AAP सरकार द्वारा शुरू किए गए मशहूर मोहल्ला क्लिनिक अब नाइट शेल्टर बनाए जाएंगे। यानी जहां कल इलाज मिलता था, वहां आज बेघर लोग रात गुजारेंगे। सरकार के मुताबिक यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि कड़ाके की ठंड में बेघर लोग सड़क पर न रहें। लेकिन यह फैसला जितना बड़ा है, उतने ही बड़े सवाल भी छोड़ रहा है
मोहल्ला क्लिनिक से नाइट शेल्टर, अचानक ऐसा क्यों?
आपको बता दें कि सरकार ने हेल्थ डिपार्टमेंट को आदेश जारी किया है कि मोहल्ला क्लिनिकों का कंट्रोल दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) को सौंप दिया जाए।
मार्च-अप्रैल में ही सरकार ने सुझाव दिया था कि क्लिनिकों को शेल्टर में बदलना चाहिए। इसके लिए मई में कई जगह संयुक्त निरीक्षण भी हुआ लेकिन फिर महीनों तक फाइल अटकी रही। अब दोबारा निर्देश जारी कर दिए गए हैं और परिवर्तन शुरू करने की तैयारी हो चुकी है।
एक क्लिनिक को शेल्टर बनाने में खर्च होंगे 10 लाख रुपये :
गौरतलब है कि हेल्थ विभाग की रिपोर्ट के अनुसार एक मोहल्ला क्लिनिक को नाइट शेल्टर मॉडल में बदलने के लिए 10 लाख रुपये लगेंगे। इसके अलावा बेघर लोगों के लिए बेड, कंबल, हीटर, वॉशरूम सुविधाएं और अन्य व्यवस्थाएं अलग से खरीदनी होंगी। इसके लिए हर महीने लगभग 1 लाख रुपये भोजन, चाय, नाश्ते व ऑपरेशन लागत पर खर्च आएगा। यानी एक पुराने प्रोजेक्ट को खत्म करने की कीमत भी काफी भारी पड़ेगी।
247 मोहल्ला क्लिनिक बंद; दिल्ली में हेल्थ मॉडल पर तगड़ा झटका :
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार पिछले तीन महीनों में लगातार क्लिनिक बंद कर रही है—
अगस्त में: 31 क्लिनिक बंद
अक्टूबर: 121 क्लिनिक बंद
अब: 95 और बंद होंगे
कुल मिलाकर 247 मोहल्ला क्लिनिक बंद किए जा चुके हैं या होने वाले हैं।
क्या है इसकी वजह :
विदित है कि सरकार का दावा है कि ये क्लिनिक नए आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से 1 किलोमीटर के भीतर हैं और दोहरी सुविधा की जरूरत नहीं। पर विपक्ष और कर्मचारी इस तर्क को "बहाना" बता रहे हैं।
कर्मचारी भड़के; “बिना नौकरी दिए क्लिनिक बंद क्यों?”
विदित है मोहल्ला क्लिनिक यूनियन ने कहा कि - “मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था कि सभी कर्मचारियों को बिना इंटरव्यू आरोग्य मंदिरों में समायोजित किया जाएगा। अब क्लिनिक बंद किए जा रहे हैं, लेकिन नौकरी नहीं दी जा रही। हमने हाईकोर्ट में PIL दायर की है।” कर्मचारियों में भारी नाराजगी है क्योंकि हजारों लोग बेरोजगार होने की कगार पर हैं।
सरकार का बचाव; “नया मॉडल बेहतर है”
गौरतलब है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह का बयान “हम सिर्फ वे क्लिनिक बंद कर रहे हैं जो आरोग्य मंदिरों के बहुत पास हैं। नए आरोग्य मंदिरों में ज्यादा डॉक्टर, बेहतर जांच और बेहतर दवाइयां होंगी। जनता को नुकसान नहीं, फायदा होगा।” लेकिन फिलहाल जनता के बीच सवाल ये है कि जहां मुफ्त इलाज की सुविधा थी, वहां अब सोने की सुविधा होगी, दोनों ही ज़रूरी हैं, लेकिन एक के लिए दूसरे को क्यों कुर्बान किया जा रहा है?
बड़ा सवाल, क्या मोहल्ला क्लिनिक मॉडल खत्म हो रहा है?
दिल्ली सरकार ने 2015 में मोहल्ला क्लिनिक को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था। आज उन्हीं क्लिनिकों को बंद किया जा रहा है या शेल्टर में बदला जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार नए “आयुष्मान आरोग्य मंदिर” मॉडल को आगे बढ़ाना चाहती है। पुराना मॉडल धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है। चुनावी रणनीति भी इसमें छिपी हो सकती है
सब मिलाकर दिल्ली के हेल्थ सिस्टम में सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। मोहल्ला क्लिनिकों का नाइट शेल्टर में बदला जाना सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि दिल्ली की हेल्थ पॉलिसी में 180 डिग्री का मोड़ है। बेघर लोगों को राहत, मरीजों के लिए चिंता, कर्मचारियों में नाराजगी और विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया। अब देखना यह है कि आने वाले हफ्तों में जनता इस बड़े बदलाव को राहत मानेगी या एक असफल प्रयोग का अंत।