प्रयागराज : प्रयागराज के मेजा तहसील में मांडा के पास बसा छोटा-सा कोसड़ा कला गांव अब पूरे उत्तर भारत की ऊर्जा राजधानी बनने जा रहा है। जिस गांव को कभी लोग सिर्फ नक्शे में ढूंढते थे, वह अब देश में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा पैदा करने वाला पहला गांव बन जाएगा।
170 मेगावाट का सोलर पॉवर: इतनी शक्ति कि 2000 गांव उजाले में नहा उठें!
आपको बता दें कि गांव में पहले से 50 मेगावाट का प्लांट चल रहा है। अब इसमें 120 मेगावाट क्षमता के दो नए सोलर प्लांट जुड़ रहे हैं, एक प्लांट 80 मेगावाट औऱ दूसरा प्लांट 40 मेगावाट का होगा। इन्हें मिलाकर कोसड़ा कला 170 मेगावाट सोलर एनर्जी का पॉवर हब बनेगा, जो लगभग दो हजार ग्राम पंचायतों को दिन-रात बिजली दे सकता है।
1200 करोड़ रुपये का निवेश, 500 एकड़ जमीन फाइनल :
विदित है कि जिला प्रशासन ने दोनों सोलर प्लांटों के लिए 500 एकड़ जमीन की मंजूरी दे दी है। इन प्लांटों में कुल 1200 करोड़ रुपये का निवेश होगा। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि “जमीन की प्रक्रिया लगभग पूरी, जल्द ही साइट पर काम शुरू हो जाएगा।”
जिले में पहले ही चमक रहे 135 मेगावाट के सोलर प्लांट :
आपको बता दें कि कोसड़ा कला के अलावा प्रयागराज जिले में कोरांव में 40-40 मेगावाट के तीन प्लांट, बारा में 50 मेगावाट का प्लांट, नैनी में 5 मेगावाट का प्लांट पहले से कार्यरत है। यानी यह जिला पहले से ही सोलर एनर्जी का गढ़ बन चुका है।
सरकारी इमारतों पर भी सोलर हब :
नेडा (NEDA) के प्रोजेक्ट मैनेजर शाहिद सिद्दीकी बताते हैं कि इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, एयरपोर्ट, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, बेली और काल्विन हॉस्पिटल, तहसील व ब्लॉक मुख्यालय, 400 सरकारी भवन इन सभी पर बड़े स्तर पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इससे 23 - 26 मेगावाट बिजली रोजाना बन रही है।
क्यों खास है कोसड़ा कला का सोलर मिशन?
यह गांव उत्तर भारत का पहला और सबसे बड़ा सोलर प्रोडक्शन हब बन रहा है। यहां बना पॉवर ग्रिड पूर्वांचल, बुंदेलखंड और मध्य यूपी तक बिजली भेज सकेगा। इससे हजारों नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। खेती, गांवों और छोटे शहरों में बिजली का संकट खत्म होगा।
कोसड़ा कला उत्तर भारत का ‘ऊर्जा कुंभ’ बनेगा। यह सिर्फ गांव की नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत की सबसे बड़ी ऊर्जा उपलब्धि है। जिस जमीन पर कभी सिर्फ धान और गेहूं उगते थे, अब वहां सूरज से बिजली उगाई जाएगी।