समाज: अब भारतीय ऑफिस सिर्फ काम की जगह नहीं, बल्कि दिलों के मिलने का अड्डा भी बनते जा रहे हैं। एशले मैडिसन और YouGov के एक ताज़ा अंतरराष्ट्रीय सर्वे ने चौंकाने वाला खुलासा किया है ऑफिस अफेयर के मामले में भारत पूरी दुनिया में दूसरे स्थान पर है, यानी अब प्यार और प्रोफेशन की लकीर बेहद पतली हो चुकी है।
दुनिया में इस मामले में मेक्सिको पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। इस सर्वे में 11 देशों के 13,000+ वयस्क शामिल किए गए थे।
भारतीय पुरुषों ने बाज़ी मारी, महिलाएं ज़्यादा सतर्क
रिपोर्ट बताती है कि भारत में 40% लोग अपने सहकर्मी के साथ रिलेशनशिप में रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात 51% पुरुषों ने माना कि उन्होंने कॉलीग को डेट किया है, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 36% है।
यानी ऑफिस रोमांस शुरू करने में पुरुष ज्यादा आगे, पर जोखिम को लेकर महिलाएं ज़्यादा गंभीर हैं।
क्यों बढ़ रहा है ऑफिस रोमांस? वजहें चौंकाने वाली हैं
आज का वर्क कल्चर बिल्कुल बदल चुका है और यही बदलाव अफेयर्स का कारण भी है
लंबे ऑफिस आवर: घर से ज्यादा समय सहकर्मियों के साथ बिताना।
कॉमन इंटरेस्ट और समझ: एक जैसी सोच और चुनौतियां लोगों को जोड़ती हैं।
डिजिटल क्लोजनेस: WhatsApp, Slack, Teams पर रात-रात चैट।
भावनात्मक सहारा: कार्यस्थल का तनाव लोगों में अपनापन पैदा करता है।
मॉर्डन रिलेशनशिप वैल्यूज़: भारत में अब डेटिंग और लिव-इन की स्वीकृति बढ़ रही है।
भारत का नया सामाजिक बदलाव: ओपन रिलेशनशिप भी बढ़ रहे हैं
सर्वे में शामिल विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में रिश्तों के प्रति सोच तेज़ी से बदल रही है। एक अन्य सर्वे (Gleeden) के मुताबिक 35% भारतीय ओपन रिलेशनशिप में हैं जबकि 41% लोग इस विकल्प को अपनाने पर विचार कर सकते हैं। यानी भावनात्मक स्वतंत्रता की मांग बढ़ रही है।
कैरियर का डर: युवा पीढ़ी सबसे ज़्यादा चिंतित
18–24 साल की उम्र के युवा सबसे ज़्यादा सतर्क पाए गए। इस समूह में 34% लोगों का मानना है कि ऑफिस रोमांस से करियर पर बुरा असर पड़ सकता है। नई पीढ़ी बहुत प्रैक्टिकल है वे प्यार को चाहते हैं, पर उससे जुड़े प्रोफेशनल जोखिमों को भी समझते हैं।
भारत बनाम दुनिया: क्या फर्क है?
भारत में ऑफिस रोमांस को “भावनात्मक जुड़ाव” माना जाता है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में इसे अधिक “प्रोफेशनल रिस्क” समझा जाता है। जापान, चीन, जर्मनी जैसे देशों में यह प्रतिशत भारत की तुलना में कम है। यानी भारत में भावनात्मक और सामाजिक बदलाव वैश्विक ट्रेंड से तेजी से मेल खा रहे हैं।
बड़े शहरों vs छोटे शहरों में ट्रेंड
महानगरों (दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु) में ऑफिस अफेयर आम हो चुके हैं। अब टियर-2 और टियर-3 शहरों (कानपुर, इंदौर, पटना, जयपुर) में भी यह तेजी से बढ़ रहा है। वर्क-फ़्रॉम-होम के दौरान ऑनलाइन ऑफिस रोमांस का चलन भी बढ़ा, देर रात वीडियो कॉल, चैट और प्रोजेक्ट मीटिंग्स में नई नज़दीकियां बनीं।
सोशल मीडिया ने ऑफिस रोमांस को और बढ़ाया
•इंस्टाग्राम DMs में मीम्स और रील्स शेयर करना
•WhatsApp पर रात में “work update” शुरू होकर “casual chat” तक पहुंचना
•फिस ग्रुप्स में लगातार इंटरैक्शन
•इमोजी-फ्लर्टिंग का नया दौर
•इन सबने दूरी कम की, और रिश्ते गहरे किए।
एक वास्तविक अनुभव (नाम गोपनीय)
एक 28 वर्षीय महिला कर्मचारी ने बताया “पहले हम सिर्फ प्रोजेक्ट पार्टनर थे। हर दिन साथ काम करते-करते कब बातें दिल तक पहुंच गईं, पता ही नहीं चला। ऑफिस हमारे लिए घर जैसा हो गया था।”
ऐसे अनुभव आज भारत के हर कॉर्पोरेट ऑफिस में सामान्य होते जा रहे हैं।
ऑफिस रोमांस के फायदे और जोखिम
फायदे
•बेहतर टीम केमिस्ट्री
•भावनात्मक सपोर्ट
•मोटिवेशन में बढ़ोतरी
जोखिम
•ब्रेकअप होने पर टीमवर्क बिखर सकता है
•गॉसिप, ईगो क्लैश, तनाव
•ट्रांसफर या विभाग बदलने की नौबत
•करियर पर असर
•बॉस–एम्प्लॉयी रिलेशन में पावर मिसयूज़ का खतरा
HR और लीगल एंगल: कई कंपनियां सतर्क
भारत में कई कंपनियां अब ऑफिस रोमांस पर सख्त दिशा-निर्देश लागू कर रही हैं:
•कुछ कंपनियां “No Disclosure Policy” रखती हैं
•कई जगह रिश्ते की जानकारी HR को देना आवश्यक
•पावर डायनेमिक (बॉस-सबऑर्डिनेट रिलेशन) पर निगरानी
•POSH एक्ट के तहत संवेदनशील मामले
कुल मिलाकर, कंपनियां इसे पूरी तरह रोक नहीं पा रहीं, पर संभालने की कोशिश ज़रूर कर रही हैं।
निष्कर्ष:
भारत में ऑफिस रोमांस अब न तो हैरान करने वाली चीज़ है, न ही छुपी हुई। यह दिलों और करियर के बीच का संतुलन है और भारत इस बदलाव को खुलकर स्वीकार कर रहा है।
ऑफिस अफेयर आज भारत में नॉर्मल होते जा रहे हैं, और पुरुष इसमें महिलाओं से कहीं ज्यादा आगे निकल चुके हैं। क्या यह आधुनिक रिश्तों की नई परिभाषा है? शायद हाँ।