सार: केरल इस समय एक बेहद दुर्लभ लेकिन जानलेवा बीमारी Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) से जूझ रहा है, जिसे आमतौर पर “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” कहा जाता है। इस साल अब तक राज्य में करीब 70 मामले दर्ज हुए हैं जिनमें से 19 लोगों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी पानी के जरिए शरीर में प्रवेश करती है और सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करती है। हालात गंभीर होते देख राज्य सरकार ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है और जनता को सावधानी बरतने की अपील की है।
बीमारी क्या है और कैसे फैलती है?
• इस बीमारी का कारण Naegleria fowleri नामक खतरनाक अमीबा है।
• यह प्रायः गर्म और ठहरे हुए मीठे पानी (तालाब, झील, नदी, अस्वच्छ स्विमिंग पूल) में पाया जाता है।
• यह अमीबा नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और फिर सीधे मस्तिष्क तक पहुँचकर ऊतक नष्ट कर देता है।
• इसका संक्रमण प्राइमरी अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफालाइटिस (PAM) कहलाता है, जिसकी मृत्यु-दर लगभग 97% तक मानी जाती है।
लक्षण कितने खतरनाक हैं?
प्रारंभिक लक्षण:
• तेज़ सिरदर्द
• बुखार
• जी मिचलाना और उल्टी
बाद के लक्षण:
• गर्दन अकड़ना
• दौरे पड़ना
• भ्रम और व्यवहार में बदलाव
• बेहोशी
संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है और 24 से 72 घंटों के भीतर मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है।
केरल में मौजूदा हालात
मामले और मौतें:
• अब तक करीब 70 मरीज सामने आए हैं।
• इनमें से 19 की मौत हो चुकी है।
• बाकी मरीजों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
किस तरह फैल रहे मामले:
• अधिकतर संक्रमण तालाब, झील और असुरक्षित जल स्रोतों से जुड़े पाए गए हैं।
• कई मामलों में मरीज बच्चों और युवाओं में पाए गए जो स्थानीय तालाबों या नदी में नहाते थे।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी:
• राज्य सरकार ने सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है।
• सार्वजनिक जल स्रोतों और स्विमिंग पूल का नियमित क्लोरीनीकरण और टेस्टिंग अनिवार्य किया गया है।
• स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग सावधान रहें।
• स्कूलों, पंचायतों और ग्राम सभाओं में विशेष स्वास्थ्य सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
• केरल विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा हुई।
• विपक्ष ने कहा कि जागरूकता और रोकथाम के कदम पर्याप्त नहीं हैं।
• सरकार का दावा है कि टेस्टिंग और मॉनिटरिंग बढ़ाने से अधिक मामले सामने आए हैं जिससे अब समय रहते इलाज संभव हो पा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय:
• डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी दुर्लभ है लेकिन बेहद घातक है।
• शुरुआती पहचान ही जीवन बचा सकती है।
• Miltefosine जैसी दवाओं का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन सफलता सीमित है।
इलाज और चुनौतियाँ
• PAM का इलाज आसान नहीं है और अधिकतर मामलों में देर होने पर परिणाम घातक होता है।
• Miltefosine समेत कुछ दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन शुरुआत में इलाज मिलने पर ही जीवन बचने की संभावना होती है।
• अभी तक कोई सुनिश्चित इलाज उपलब्ध नहीं है इसलिए रोकथाम और सतर्कता ही सबसे महत्वपूर्ण है।
कैसे करें बचाव?
• असुरक्षित, गर्म या ठहरे हुए पानी में न तैरें।
• तैराकी करते समय नाक में पानी न जाने दें, नाक क्लिप का इस्तेमाल करें।
• सार्वजनिक जल स्रोतों और स्विमिंग पूल का नियमित क्लोरीनीकरण कराएँ।
• सिरदर्द, बुखार, उल्टी या भ्रम जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निष्कर्ष
केरल में “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” का कहर लगातार बढ़ रहा है। करीब 70 मामलों और 19 मौतों के बाद राज्य सरकार ने सभी जिलों को अलर्ट पर रखा है। यह बीमारी भले ही दुर्लभ हो लेकिन एक बार संक्रमण होने पर बेहद घातक साबित होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जन-जागरूकता, स्वच्छ जल स्रोत और शुरुआती इलाज ही इस महामारी जैसी स्थिति से निपटने की कुंजी हैं।