नोएडा : नोएडा में हाउसिंग और यूटिलिटी प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले हजारों मजदूरों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। नोएडा प्राधिकरण अब एक ऐसी नई पॉलिसी लाने जा रहा है जो बिल्डरों और ठेकेदारों को निर्माण शुरू करने से पहले मजदूरों के लिए अस्थायी आवास बनाना अनिवार्य कर देगी। यह फैसला ना सिर्फ मजदूरों की सुरक्षा को बढ़ाएगा बल्कि नोएडा के रिहायशी इलाकों में अव्यवस्था और झुग्गियों की समस्या को भी काफी हद तक खत्म करेगा।
क्यों जरूरी हुआ यह फैसला?
आपको बता दें कि अब तक बड़ी संख्या में मजदूर निर्माण साइटों के पास झुग्गी बनाकर रहते थे। इससे न केवल सुरक्षा जोखिम बढ़ता था, बल्कि रिहायशी लोगों की शिकायतों का अंबार लग जाता था।
अब बिल्डरों को ये करना होगा:
गौरतलब है कि अब बिल्डरों को प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले अस्थायी आवास का निर्माण करना होगा साथ ही नोएडा प्राधिकरण से विशेष अनुमति लेना अनिवार्य होगा। जमीन के मालिक से एन-ओसी (No Objection-Certificate) जरूरी होगा। मजदूरों के लिए कमरों में पानी, शौचालय और अन्य जरूरी सुविधाएं भी देनी होगी।
कौन-कौन सी कंपनियां हैं पीछे?
विदित है कि गोदरेज और कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों ने हाल ही में प्राधिकरण से लेबर हाउसिंग की मांग की थी। हालांकि स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण अनुमति नहीं दी गई। अब उसी मांग को संस्थागत रूप देते हुए नोएडा प्राधिकरण ने यह पॉलिसी तैयार की है।
रीडेवलपमेंट में भी होगी अहम भूमिका :
आपको बता दें कि नोएडा में 30 साल से पुरानी इमारतों के पुनर्विकास (Redevelopment) की योजना लागू हो रही है। बड़ी संख्या में मजदूर काम पर लगेंगे, इसलिए उनके लिए अस्थायी निवास का मुद्दा और भी अहम हो जाता है। नई पॉलिसी को रीडेवलपमेंट नीति से भी जोड़ा जाएगा, ताकि कोई भी प्रोजेक्ट बिना मजदूरों की सुविधाओं के आगे न बढ़ सके।
पॉलिसी में क्या-क्या हो सकता है शामिल?
विदित है कि पॉलिसी में ये चीजें शामिल हो सकती है।
●निर्माण साइट पर अस्थायी कमरे, शौचालय, नहाने के स्थान, पीने के पानी की व्यवस्था
●बिल्डरों को खास नक्शा पास कराना होगा
●सीमित समय के लिए अनुमति, प्रोजेक्ट खत्म होते ही हटाना होगा अस्थायी निर्माण
●सेफ्टी गाइडलाइंस लागू होंगी
●प्राधिकरण कर सकता है मौके पर निरीक्षण
कब लागू होगी ये पॉलिसी?
अधिकारियों के मुताबिक, इस पॉलिसी पर एक से डेढ़ हफ्ते से काम चल रहा है। प्रस्ताव अगले बोर्ड मीटिंग में रखा जाएगा। प्राधिकरण यह भी देख रहा है कि अन्य राज्यों में ऐसी कोई नीति पहले से है या नहीं।
क्या कहते हैं जानकार?
प्रोजेक्ट मैनेजर, आरके सिंह के अनुसार "यह फैसला लेबर के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे निर्माण स्थलों पर दुर्घटनाएं कम होंगी और प्रशासन को भी जवाबदेही तय करने में आसानी होगी।"
नोएडा में बनने जा रही ये नई पॉलिसी मजदूरों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह पहल केवल सुविधा की नहीं, गरिमा की भी बात करती है। अब मजदूर भी इज्ज़त से, सुरक्षित माहौल में रहकर काम कर सकेंगे और यही असली विकास की पहचान है।