उत्तराखंड: गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के वनों में अब आग लगने की घटनाएं भी बढ़ने लगी है। आपको बता दें कि पिछले 24 घंटे में पूरे प्रदेश में करीब 30 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल गया है। जबकि 15 फरवरी से लेकर अब तक लगभग 136 हेक्टेयर जंगल आग लगने से प्रभावित हुआ है।
इसी प्रकार पूरे प्रदेश में 27 अप्रैल की तारीख तक तकरीबन 112 जगह आग लगने की घटनाएं सामने निकल कर आ चुकी हैं। इसमें गढ़वाल मंडल में करीब 62 घटनाएं, कुमाऊँ मंडल में करीब 43 घटनाएं और वन्य जीव क्षेत्र में लगभग 7 जगह पर आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं।
इस वर्ष कम हुई हैं अभी तक आग की घटनाएं:
हालांकि इस साल राहत की बात यह है कि पिछले वर्षों की अपेक्षा बहुत कम ही आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। साल 2023 में जहां 27 अप्रैल तक लगभग 285 जगह पर वनों में आग लगने की घटनाएं सामने आई थी, जिससे तकरीबन 349 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ था।
जबकि साल 2024 में कुल 696 घटनाएं आग लगने की हुई थी, इसमें करीब 882 हेक्टर जंगल जल गया था। वहीं साल 2024 में वनाग्नि की घटनाओं से तो हकहार मच गया था। लेकिन इस वर्ष राहत की बात यह है कि अब तक सिर्फ 112 घटनाएं ही आग लगने की सामने आई है, जिससे जंगलों को काफी कम नुकसान हुआ है।
15 फरवरी की तारीख से शुरू हो जाता है “फॉरेस्ट फायर सीजन”:
गौरतलब है कि उत्तराखंड में 15 फरवरी की तारीख से “फॉरेस्ट फायर सीजन” भी शुरू हो जाता है। वहीं वन विभाग के द्वारा इस साल आग से निपटने के लिए कड़े इंतजाम किए गए थे। उधर मौसम के द्वारा भी वन विभाग का साथ दिया गया।इन सभी उपायों की वजह से प्रदेश भर में आग लगने की काफी कम घटनाएं ही सामने आई है। लेकिन 25 अप्रैल की तारीख के बाद गर्मी बढ़ने के साथ ही अब धीरे धीरे आग अपना विकराल रूप लेने लगी है। अतः पिछले 24 घंटे में 12 जगहों पर आग लगने की घटनाएं सामने आई
है।
विभाग के करीब 7500 कर्मचारी मैदान में उतरे:
आपको बता दें कि अपर प्रमुख वन संरक्षक वनाग्नि नियंत्रण एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा के द्वारा यह बताया गया है कि वन विभाग के तकरीबन 4700 फायर वाचर ड्यूटी पर तैनात हैं। जबकि लगभग 2800 वन आरक्षी की भी ड्यूटी लगाई गई है। इसके अतिरिक्त स्थानीय लोगों की भी लगातार सहायता ली जा रही है। उन्होंने यह भी बताया है कि सैटेलाइट के माध्यम से भी आग की घटनाओं पर लगातार सख़्त निगरानी रखी जा रही है। साथ ही सभी को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
स्थानीय लोगों को भी किया गया था जागरूक: वन विभाग
वहीं उन्होंने आगे यह भी बताया है कि इस साल थोड़ी राहत इसलिए भी है क्योंकि वन विभाग के द्वारा पहले ही स्थानीय लोगों को इसके लिए जागरूक किया गया था। वहीं बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान भी चलाया गया।
जिस वजह से ही पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष आग लगने की घटनाओं में काफी कमी देखी गई है। इसके बावजूद भी वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं। ताकि अगर कही आग लगने की घटना सामने आती है तो उस पर तत्काल कार्यवाही करते हुए नियंत्रण पाया जा सके।