मथुरा : बांके बिहारी मंदिर का 160 साल पुराना खजाना आखिरकार खुलने जा रहा है। जिस खजाने के दरवाजे 54 साल से बंद थे, उसके रहस्यों से अब पर्दा उठेगा। कहा जा रहा है कि इस तोषखाने में सोने-चांदी के जेवर, हीरे-पन्नों से जड़े हार, नवरत्नों से भरे कलश, चांदी के शेषनाग और ढेरों सिक्के रखे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इनकी कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खजाना खुलेगा :
आपको बता दें कि 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि खजाने की लिस्टिंग और वीडियोग्राफी की जाए। इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनी हाई पावर कमेटी पहले ही चार बैठकें कर चुकी है। खजाना खोला जाएगा, उसकी पूरी सूची बनेगी और फिर सब कुछ वापस सील कर दिया जाएगा।
मंदिर सेवायत का खुलासा – "ये भगवान का तोषखाना है"
गौरतलब है कि मंदिर के सेवायत प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि यह कोई साधारण कमरा नहीं बल्कि "तोषखाना" है यानी भगवान का खजाना। इसे 1864 में मंदिर की स्थापना के साथ ही बनाया गया था। यह तहखाना गर्भगृह के ठीक नीचे स्थित है। गोस्वामी ने याद दिलाया कि जब इसे आखिरी बार 1971 में खोला गया था तो इसमें सोने के कलश, नवरत्न, चांदी के शेषनाग और कई कीमती आभूषण मिले थे।
इतिहास से जुड़ा खजाना :
आपको बता दें कि खजाने की शुरुआत मंदिर निर्माण के वक्त बची पूंजी की पूजा से हुई थी। बाद में राजघरानों ने यहां दान देना शुरू किया। भरतपुर, करौली और ग्वालियर की रियासतों ने सोने-चांदी से भरे कलश और कीमती हार मंदिर को अर्पित किए। विंध्याचल राजघराने की बहुरानी ने तो खुद पहना हुआ मोर आकृति का पन्नों वाला हार ठाकुरजी को भेंट कर दिया था।
चोरी और सील का किस्सा :
विदित है कि ब्रिटिश राज के दौरान 1926 और 1936 में दो बार चोरी हुई। FIR दर्ज हुई, चार लोगों को जेल भेजा गया। इसके बाद खजाने का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया और सामान डालने के लिए सिर्फ एक छोटा मुहाना छोड़ा गया। 1971 में कोर्ट के आदेश पर खजाने पर सील लगा दी गई, जो आज तक जस की तस है।
खजाना कहां और कैसा है?
गौरतलब है कि तोषखाना करीब 20x30 फीट का कमरा है। गर्भगृह के दाहिने दरवाजे से 12-15 सीढ़ियां उतरकर तहखाने में पहुंचा जाता है। यह कमरा ठाकुरजी के सिंहासन के ठीक नीचे स्थित है।
कितना कीमती है यह खजाना?
आपको बता दें कि अब तक इसकी कोई औपचारिक वेल्युएशन नहीं हुई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि यह खजाना सैकड़ों करोड़ रुपये का हो सकता है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी सूची और वीडियोग्राफी कराई जा रही है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जब 54 साल बाद खजाना खुलेगा तो ठाकुरजी के इस ‘तोषखाने’ से कितनी अनमोल धरोहरें सामने आएंगी।