नई दिल्ली: आगामी त्योहारों को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रामलीला और दुर्गा पूजा समितियों के लिए बड़ी सौगातों की घोषणा की है। सरकार अब 1,200 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराएगी और आयोजकों को मीटर लगाने के लिए केवल 25 प्रतिशत सिक्योरिटी डिपॉजिट देना होगा। इससे समितियों का आर्थिक बोझ काफी हद तक कम होगा।
बिजली बिल से मिलेगी राहत:
अब तक समितियों को बिजली के भारी बिल और पूरी सिक्योरिटी राशि चुकानी पड़ती थी, लेकिन सरकार ने इस बार नियम सरल बना दिए हैं। 1,200 यूनिट तक बिजली मुफ्त होगी और शेष पर सामान्य दरें लागू होंगी। आयोजकों का कहना है कि यह कदम उन्हें कार्यक्रमों के खर्च में काफी राहत देगा।
जमीन के किराए में कटौती:
सरकार ने पंडाल लगाने के लिए जमीन किराए में भी छूट दी है। पहले आयोजकों को प्रति वर्ग मीटर 20 रुपये सिक्योरिटी जमा करनी पड़ती थी, जिसे घटाकर अब 15 रुपये कर दिया गया है। यह निर्णय छोटे-बड़े सभी आयोजनों के लिए सहायक साबित होगा।
एनओसी की झंझट खत्म
त्योहारों के आयोजन के लिए अलग-अलग विभागों से अनुमति लेना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। अब सरकार ने ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ लागू किया है। जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से ही सभी विभागों—डीडीए, एमसीडी, जल बोर्ड, फायर सर्विस और पुलिस—की मंजूरी एक साथ मिल सकेगी।
स्वास्थ्य और सुरक्षा पर जोर:
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोजन स्थलों पर बिजली ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी पूरा इंतजाम किया जाएगा। शौचालय, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, सफाई और प्रदूषण नियंत्रण की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। इसके लिए एक छह सदस्यीय समिति गठित की गई है जो समय-समय पर व्यवस्था की निगरानी करेगी।
सेवा-पखवाड़ा का संदेश:
सरकार ने आयोजकों से समाज सेवा में भी योगदान देने की अपील की है। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ‘सेवा पखवाड़ा’ मनाया जाएगा। इस दौरान पंडालों में स्वास्थ्य शिविर, स्वच्छता अभियान और जागरूकता कार्यक्रम चलेंगे। आयोजनों का एक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित करने की भी घोषणा की गई है।
त्योहारों का कैलेंडर तय:
दिल्ली में इस बार रामलीला 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगी, जबकि दुर्गा पूजा 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होगी। राजधानी में हर साल लगभग 600 रामलीला होती हैं, जिनमें से 100 बड़े स्तर पर होती हैं। सरकार की इस पहल से इन आयोजनों का स्वरूप और भी भव्य बनने जा रहा है।
दिल्ली सरकार का यह फैसला केवल बिजली बिल या किराए की छूट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक आयोजनों को सहज, सुरक्षित और समाजोपयोगी बनाने का प्रयास है। इससे राजधानी का त्योहारों का रंग और भी निखर जाएगा।