पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये काम; वरना लग सकता है पितृ दोष!:: जानें क्या है पितृदोष और कैसे रखे पितरों को प्रसन्न
पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये काम; वरना लग सकता है पितृ दोष!:

धर्म : हिंदू पंचांग में पितृपक्ष को सबसे पवित्र और संवेदनशील समय माना गया है। यह वो 15 दिन होते हैं जब माना जाता है कि हमारे पूर्वज/पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर चले जाते हैं। लेकिन शास्त्रों में साफ चेतावनी दी गई है कि अगर इन दिनों कुछ खास नियमों का पालन न किया जाए तो पितरों का आशीर्वाद छिन भी सकता है और परिवार पर पितृ दोष का साया मंडरा सकता है।

पितृपक्ष कब और क्यों?

आपको बता दें कि हर साल पितृपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इन दिनों श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करके पूर्वजों को याद किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि की वर्षा करते हैं। लेकिन अगर नियम तोड़े गए तो इसका उल्टा असर पड़ सकता है। यानि आशीर्वाद की जगह नाराजगी मिल सकती है। यही स्थिति पितृ दोष कहलाती है।

पितृपक्ष में भूलवश भी नहीं करना चाहिए ये काम :

गौरतलब है कि ज्योतिष और धर्मग्रंथों के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान कुछ काम वर्जित माने गए हैं। जैसे -

●नए कपड़े, जूते या चप्पल न खरीदें, इसे अशुभ माना गया है।

●शादी, सगाई या कोई भी मांगलिक आयोजन न करें इससे पूर्वज नाराज हो सकते हैं।

●मांस, मछली, अंडा, प्याज-लहसुन न खाएं क्योंकि तामसिक भोजन वर्जित है।

●सोना-चांदी की खरीदारी न करें इसे अपशकुन माना गया है।

●झगड़ा, अपमान या बड़ों की अवहेलना न करें यह पितरों का अनादर है।

इसके उलट, इस दौरान धार्मिक कार्य, दान और मंत्रजाप करने की सलाह दी जाती है।

जानें क्या है पितृ दोष?

गौरतलब है कि अगर पितृपक्ष में पूर्वजों को उचित आदर और श्रद्धा नहीं दी जाती, तो उनकी आत्मा अप्रसन्न हो सकती है। इस स्थिति में परिवार पर बाधाएं, मानसिक कष्ट और आर्थिक परेशानियां बढ़ने लगती हैं। यही पितृ दोष है।

पितरों को प्रसन्न करने के उपाय :

पंडितों के अनुसार, पितृपक्ष में कुछ खास मंत्रों का जाप करने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं –

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे… (महामृत्युंजय मंत्र)

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि…

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि…

इसके साथ ही पितरों की स्मृति में श्राद्ध, तर्पण और दान करना भी जरूरी माना गया है। पितृपक्ष सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का समय है। इन दिनों की गई छोटी सी चूक भी बड़ा असर डाल सकती है। इसलिए इन 15 दिनों में हर कार्य सोच-समझकर करना चाहिए।

पितृपक्ष का संदेश साफ है कि पूर्वजों का सम्मान करें, उनके बताए नियमों का पालन करें और जीवन में सुख-शांति पाएं।

अन्य खबरे