यूपी पंचायत चुनाव में बड़ा बदलाव!: अप्रैल से जुलाई में होगा मतदान, 75 करोड़ बैलेट पेपर की तैयारी शुरू, वही प्रत्याशियों का चुनाव खर्च सीमा...
यूपी पंचायत चुनाव में बड़ा बदलाव!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल से जुलाई 2026 के बीच कराए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की पूरी तैयारी शुरू कर दी है और 75 करोड़ से अधिक बैलेट पेपर छपने हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आयोग ने उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा को दोगुना तक बढ़ा दिया है, हालांकि जमीनी स्तर पर वास्तविक खर्च इससे कई गुना अधिक होने की बात कही जा रही है।

चुनाव खर्च सीमा में ऐतिहासिक बढ़ोतरी: प्रधान 1.25 लाख, जिला पंचायत अध्यक्ष 7 लाख खर्च कर सकेंगे :

आपको बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 2021 के मुकाबले चुनाव खर्च सीमा में बड़ी बढ़ोतरी की है:

●ग्राम प्रधान: 75,000 रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये

●क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष: बढ़ाकर 3.50 लाख रुपये

●जिला पंचायत सदस्य: 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये

●जिला पंचायत अध्यक्ष: 4 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये

जमीनी हकीकत: कागजी सीमा से कहीं अधिक है असली खर्च :

जानकारों के मुताबिक, वास्तविक चुनाव खर्च कागजी सीमा से कई गुना अधिक हैजिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 10-15 करोड़ रुपये तक खर्च हो जाते वहीं जिला पंचायत सदस्य के एक वोट के बदले 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की डील होती वहीं क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 3-5 करोड़ रुपये तक खर्च हो जाते हैं।

75 करोड़ बैलेट पेपर की तैयारी, विशेष कागज का हो रहा इंतजाम :

निर्वाचन आयोग ने बैलेट पेपर के लिए पेपर बनवाने का काम शुरू कर दिया है। इस बार 75 करोड़ से ज्यादा पेपर छपने हैं। बैलेट के लिए विशेष तरह का दो से तीन रंग वाला पेपर बनवाया जा रहा है।

2021 के कोरोना काल के अनुभव के बाद इस बार बेहतर तैयारी :

राज्य निर्वाचन आयुक्त राजप्रताप सिंह ने सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर चुनावी तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने मतदाता सूची में डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम हटवाने और पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने पर जोर दिया। गौरतलब है कि 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के कारण कई मतदानकर्मियों की मौत हो गई थी, जिसके चलते ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव टालने पड़े थे। इस बार आयोग कोरोना जैसी किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयारी कर रहा है।

यूपी के पंचायत चुनावों को प्रदेश की जमीनी राजनीति का सबसे बड़ा आईना माना जाता है। 2026 के ये चुनाव न सिर्फ स्थानीय विकास की दिशा तय करेंगे, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी राजनीतिक जमीन तैयार करेंगे। चुनाव खर्च सीमा में बढ़ोतरी से छोटे उम्मीदवारों को राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन धनबल के बढ़ते प्रभाव पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब देखना है कि क्या यह चुनाव वास्तव में जनता के मुद्दों पर केंद्रित हो पाएगा या फिर धन और बाहुबल का खेल बना रहेगा।

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