नई दिल्ली/जम्मू-कश्मीर : ऑपरेशन सिंदूर के बाद निलंबित सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान पहले ही बौखलाया हुआ था, लेकिन अब भारत ने एक और कड़ा संदेश देकर पड़ोसी देश की परेशानी बढ़ा दी है। केंद्र सरकार की पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर दुलहस्ती-2 जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी है। यानी अब भारत न सिर्फ पानी पर अपना अधिकार मजबूत करेगा, बल्कि पाकिस्तान की ‘जल कूटनीति’ को सीधा चुनौती भी देगा।
3,200 करोड़ की परियोजना का ऐलान; भारत ने दिखाई रणनीतिक ताकत :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुलहस्ती-2 पूरी तरह Run-of-the-River परियोजना होगी, यानी नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बिना रोके बिजली उत्पादन। इसकी कुल लागत ₹3,200 करोड़ होगी। इसके तहत बिजली उत्पादन क्षमता 258 मेगावाट की रहेगी।
दुलहस्ती-1 परियोजना का विस्तार :
गौरतलब है कि यह मौजूदा 390 मेगावाट वाली दुलहस्ती-1 परियोजना का विस्तार है, जो पहले से चिनाब पर रणनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है। EAC की मंजूरी के बाद अब इस परियोजना की निर्माण निविदाएं जारी होंगी, यानी काम आधिकारिक रूप से शुरू होगा।
पाकिस्तान पर भारत की सबसे मजबूत कूटनीतिक चोट
गौरतलब है कि पाकिस्तान वर्षों से चेनाब पर भारत की किसी भी हलचल का विरोध करता रहा है।
उसका डर साफ है कि चिनाब का पानी पाकिस्तान की खेती के लिए ऑक्सीजन है।
सिंधु जल संधि (1960) के मुताबिक, भारत को चेनाब पर बड़े डैम नहीं, लेकिन रन-ऑफ-रिवर योजनाओं का पूरा अधिकार है। भारत अब इसी अधिकार का पूरा उपयोग कर रहा है। और पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका यह है कि EAC ने अपने दस्तावेज में साफ लिखा है कि सिंधु जल संधि 23 अप्रैल 2025 से प्रभावी रूप से निलंबित है। यानी पाकिस्तान की आपत्तियां अब भारत की प्रगति को रोक नहीं सकतीं और भारत अब अपने जल संसाधनों का उपयोग अपने नियमों से करेगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत का पानी पर दूसरा वार :
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने दो टूक साफ कर दिया था कि ना आतंकवाद बर्दाश्त होगा, ना पानी पर दबाव की राजनीति। अब दुलहस्ती-2 की मंजूरी इसी रणनीतिक रोडमैप का हिस्सा है। भारत सिंधु बेसिन में जिन कई परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रहा है, उनमें शामिल हैं -
सावलकोट
रतले
बरसर
पाकल दुल
क्वार
किरू
कीर्थई-1
इनमें से कई परियोजनाओं से पाकिस्तान पहले ही ‘वाटर वार’ का आरोप लगाता रहा है।
पाकिस्तान क्यों घबराया हुआ है?
आपको बता दें कि पाकिस्तान भारत के इस फैसले से इसलिए भी घबराया हुआ है क्योंकि भारत एक-एक करके अपना हाइड्रो पावर इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर रहा है। इससे भारत के पास तकनीकी रूप से जल प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ेगी, जो किसी भी तनावपूर्ण हालात में पाकिस्तान के लिए भारी झटका साबित हो सकती है। पाकिस्तान को डर यही है कि भारत ऊपरी धारा में जितनी ज्यादा क्षमता बढ़ाएगा उतना ही पाकिस्तान का सिंचाई सिस्टम भारत की नीति पर निर्भर होता जाएगा।
दुलहस्ती-2 सिर्फ एक परियोजना नहीं, भारत का ‘कूटनीतिक संदेश’ है। यह मंजूरी सिर्फ 258 मेगावाट बिजली का मामला नहीं बल्कि भारत का साफ घोषणा-पत्र है कि अब पानी भी भारत की रणनीतिक शक्ति है, और उस पर कोई समझौता नहीं होगा। सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद यह फैसला पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा संकेत है कि भारत अब अपने जल संसाधनों पर पूरा नियंत्रण स्थापित करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।