लाइफस्टाइल: विटामिन-डी हमारे शरीर के विकास के लिए एक बेहद आवश्यक पोषक तत्व है। इसे 'सनशाइन विटामिन' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह सूर्य की किरणों से प्राप्त होता है और शरीर में कई अहम कार्यों को पूरा करने में हेल्प करता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ हमेशा इसकी उचित मात्रा बनाए रखने की सलाह देते हैं। लेकिन वर्तमान जीवनशैली और अव्यवस्थित खानपान ने इसके अभाव की स्थिति को आम बना दिया है।
शरीर में विटामिन डी की कमी कई प्रकार की जटिल समस्याओं को जन्म दे सकती है। इतना ही नहीं यह कई स्वास्थ्य संबंधी विकारों की जड़ बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि हम इसके बारे में गहराई से जानकारी लें और समय रहते उपाय करें। इस विषय में हमने बात की शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. भूमेश त्यागी से जिन्होंने बताया कि विटामिन-डी हमारे लिए क्यों जरूरी है और इसकी कमी किन बीमारियों का कारण बन सकती है। चलिए जानते है विटामिन डी का महत्व…
क्यों जरूरी है विटामिन डी?
विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट जैसे खनिजों के अवशोषण में मदद करता है जो हमारी हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करते हैं। इसके अलावा यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाता है जिससे हमारा शरीर विभिन्न संक्रमणों और रोगों से बेहतर तरीके से लड़ पाता है।
विटामिन-डी की कमी से होने वाली समस्याएं
रिकेट्स: छोटे बच्चों में यह कमी 'रिकेट्स' नामक रोग को जन्म देती है जिसमें हड्डियों का सही रूप नहीं बनता और वे टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं।
ऑस्टियोमैलेशिया: वयस्कों में यह स्थिति 'ऑस्टियोमैलेशिया' के रूप में सामने आती है जिसमें हड्डियों में दर्द और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है।
ऑस्टियोपोरोसिस: शरीर में विटामिन डी के अभाव से कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित होता है जिससे हड्डियां कमजोर होकर आसानी से टूटने लगती हैं।
ऑटोइम्यून विकार: इसकी कमी से मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS), रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसे रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
इन्फेक्शन का खतरा: इस पोषक तत्व की अनुपस्थिति इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देती है जिससे बार-बार सर्दी, खांसी, बुखार और अन्य इंफेक्शन होने लगते हैं।
हृदय रोग: कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि विटामिन डी की कम मात्रा से हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
मधुमेह का खतरा: रिसर्च बताती है कि विटामिन डी की कमी टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को भी बढ़ा सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर: विटामिन डी की कमी दिमागी स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है जिससे तनाव, बेचैनी और अवसाद जैसे मानसिक विकार पैदा हो सकते हैं।
विटामिन डी की कमी को ऐसे करें पूरा?
सनलाइट: विटामिन डी का सबसे प्राकृतिक स्रोत सूर्य की किरणें हैं। सप्ताह में कम से कम तीन से चार बार सुबह 15-20 मिनट तक सूरज की हल्की रोशनी में रहना लाभकारी हो सकता है। सुबह 7 से 10 बजे के बीच की धूप सबसे उत्तम मानी जाती है।
खानपान में बदलाव: अपने आहार में विटामिन डी से भरपूर चीजें जैसे कि अंडे की जर्दी, फैटी मछली, दूध, दही, पनीर और मशरूम को शामिल करें।
सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल: यदि शरीर में इसकी कमी पाई जाती है तो विटामिन डी को करने के लिए मार्केट में उपलब्ध सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऊपर दिए गए कुछ आसान उपायों को सही समय पर अपनाकर आप खुद को और अपने आस पास के लोगों को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते है।
नोट: संबंधित लेख पाठक की जानकारी तथा जागरूकता को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। NCR पत्रिका इस लेख में प्रदत्त जानकारी अथवा सूचना को लेकर किसी भी तरह का कोई दावा नहीं करता है तथा न ही कोई जिम्मेदारी लेता है। इसलिए उपरोक्त लेख में उल्लिखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।