गाजियाबाद/नोएडा : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिस पर यकीन कर पाना भी मुश्किल है। यहां एक शख्स ने न केवल एक फर्जी दूतावास बना रखा था, बल्कि वो खुद को चार काल्पनिक देशों का राजदूत यानी एंबेसेडर भी बताता था। यूपी एसटीएफ (नोएडा यूनिट) ने इस पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश कर आरोपी हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार कर लिया है।
आलीशान कोठी से चला रहा था ‘फर्जी दूतावास’ :
गौरतलब है कि गाजियाबाद के कविनगर में KB-35 नंबर की आलीशान कोठी में हर्षवर्धन जैन नामक व्यक्ति ने खुद को "वेस्ट आर्कटिका", "सबोरगा", "पॉल्विया", "लॉडोनिया" जैसे काल्पनिक देशों का कॉन्सुल एंबेसेडर घोषित कर रखा था। इन देशों का कोई अस्तित्व ही नहीं है, लेकिन हर्षवर्धन ने लोगों को ठगने के लिए एक पूरा राजनयिक ढांचा खड़ा कर दिया था।
क्या-क्या बरामद हुआ?
आपको बता दें कि एसटीएफ की छापेमारी में आरोपी के कब्जे से चौंकाने वाली चीजें बरामद हुईं:
●चार लग्जरी गाड़ियां, जिन पर डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी थी
●18 अलग-अलग फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट
●12 डिप्लोमैटिक पासपोर्ट (माइक्रोनेशन देशों के नाम पर)
●विदेश मंत्रालय की नकली मुहरें और दस्तावेज
●34 विदेशी कंपनियों और देशों की मुहरें
●फर्जी प्रेस कार्ड और दो नकली पैन कार्ड
●लगभग लाख कैश और कई देशों की विदेशी मुद्रा
ठगी का मास्टर माइंड :
विदित है कि हर्षवर्धन खुद को हाई-प्रोफाइल दिखाने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ फोटोशॉप की गई तस्वीरें दिखाता था। इन झूठी पहचान और दस्तावेजों के दम पर वह लोगों को विदेश में नौकरी, निवेश या व्यापार के नाम पर करोड़ों की ठगी करता था। वह लोगों से कहता था कि उनके लिए विदेशी दूतावास से वीजा, नौकरी या सरकारी मान्यता दिलवा देगा। इसके एवज में मोटी रकम वसूलता था। हवाला के ज़रिए पैसों का लेन-देन भी करता था।
पुराने संबंध भी संदिग्ध :
आपको बता दें कि पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि हर्षवर्धन के कुख्यात आध्यात्मिक गुरु चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खगोशी से भी संपर्क रहे हैं। वर्ष 2011 में उसके पास से एक अवैध सैटेलाइट फोन भी बरामद हुआ था। उस वक्त भी कविनगर थाने में मामला दर्ज हुआ था।
क्या कर रही है पुलिस?
नोएडा एसटीएफ ने आरोपी को गिरफ्तार कर कविनगर थाने को सौंप दिया है। उसके खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है और अब आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है। पुलिस अब कई एंगल से जांच कर रही है जैसे कि :
●हर्षवर्धन के गिरोह में और कौन-कौन शामिल है?
●अब तक कितने लोगों से ठगी की गई?
●हवाला से कितने करोड़ का लेनदेन हुआ
●क्या इसमें किसी सरकारी अधिकारी की मिलीभगत भी थी?
गाजियाबाद का यह मामला सिर्फ एक फर्जीवाड़ा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय ठगी और हवाला रैकेट की ओर इशारा करता है। यूपी एसटीएफ की सतर्कता से एक बड़ा नेटवर्क सामने आया है, और पुलिस को उम्मीद है कि इस कार्रवाई से और भी खुलासे जल्द सामने आएंगे। गाजियाबाद का यह मामला क्राइम की दुनिया में नई मिसाल बन गया है।