गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर का गाजियाबाद शहर अब NCR के आस-पास नौकरी करने वालों के लिये नया पता बनता जा रहा है। कभी नोएडा और गुरुग्राम की छाया में दबा रहने वाला गाजियाबाद अब रियल एस्टेट का नया हीरो बन चुका है।
पिछले पांच सालों में प्रॉपर्टी के दाम डेढ़ से दोगुना तक पहुंच चुके हैं, फिर भी घर खरीदने वालों की भीड़ हर दिन बढ़ रही है!
क्यों चढ़ रही हैं गाजियाबाद की प्रॉपर्टी की कीमतें?
आपको बता दें कि दरअसल, कोरोना काल के बाद से ही गाजियाबाद की रफ्तार बदल गई है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, एनएच-24 का चौड़ीकरण, मेट्रो कनेक्टिविटी और अब देश की पहली नमो भारत ट्रेन इन सबने शहर को नई दिशा दे दी है। गुरुग्राम में काम करने वाले, नोएडा में दफ्तर करने वाले, और दिल्ली में पले-बढ़े लोगों का मानना है कि रहना है तो गाजियाबाद ही बेहतर है। क्रॉसिंग रिपब्लिक से प्रतीक ग्रैंड सिटी तक, हर सोसायटी में बुकिंग फुल है।
जहां दिल्ली की भीड़ से परेशान लोग अब यहां अपना “बजट-फ्रेंडली” घर तलाश रहे हैं, वहीं सुविधाओं के मामले में यह शहर अब किसी से कम नहीं।
आंकड़े जो चौंकाते हैं:
वित्तीय वर्ष - आवासीय बैनामे
2020-21 - 36,310
2021-22 - 42,654
2022-23 - 54,770
2023-24 - 66,910
2024-25 - 70,914
एआईजी स्टाम्प पुष्पेन्द्र कुमार ने बताया कि यानी सिर्फ पांच साल में घर खरीदने वालों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है।
लेकिन बढ़ती आबादी के साथ बढ़ीं 5 बड़ी चुनौतियां:
1. पेयजल संकट:
गाजियाबाद की आबादी बढ़ने से भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। शहर का ज्यादातर इलाका आज भी भूजल पर निर्भर है। विशेषज्ञ कहते हैं, “अब गंगाजल की सप्लाई बढ़ाना ही एकमात्र रास्ता है।”
2. ट्रैफिक जाम की समस्या:
एनएच-9 पर गाड़ियों का सैलाब रोजाना जाम की तस्वीरें दिखाता है।
अगर सराय काले खां से डासना तक नमो भारत ट्रेन का विस्तार होता है, तो ट्रैफिक का दबाव काफी घट सकता है।
3. कूड़ा निस्तारण का संकट:
नगर निगम के पास खुद की स्थायी जमीन नहीं है। नतीजतन कभी-कभी कूड़ा उठता ही नहीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि “स्थायी डंपिंग ग्राउंड” की जरूरत अब बेहद जरूरी है।
4. सरकारी अस्पताल की कमी:
साहिबाबाद जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में सरकारी अस्पताल का न होना लोगों के लिए परेशानी बन चुका है। एमएमजी अस्पताल पर बोझ बढ़ता जा रहा है।
5. अवैध कॉलोनियों का खतरा:
प्रॉपर्टी की मांग के चलते धड़ाधड़ अवैध कॉलोनियां बस रही हैं।
नतीजतन सुनियोजित विकास खतरे में है। जीडीए और प्रशासन को मिलकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
विशेषज्ञों की राय:
गौरतलब है कि रियल एस्टेट विश्लेषकों का कहना है कि “गाजियाबाद अब दिल्ली का नया विकल्प बन चुका है। अगर प्रशासन ने चुनौतियों पर समय रहते काम किया, तो अगले 5 साल में यह शहर NCR का सबसे हॉट प्रॉपर्टी हब बन सकता है।”
गाजियाबाद में अब हर कोई अपना घर तलाश रहा है, लेकिन पानी, ट्रैफिक, अस्पताल और अवैध कॉलोनियों की चुनौतियां अगर जल्द नहीं सुलझीं, तो सपनों का शहर कहीं बोझिल न बन जाए। गाजियाबाद प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरुरत है ताकि आम इंसान को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।