नई दिल्ली/देहरादून — सोमवार की रात उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आसमान मानो फट पड़ा। धाराली और हर्षिल के शांत पहाड़ी इलाकों में कुछ ही घंटों में पानी, मलबा और बर्बादी का ऐसा मंजर दिखा जिसने लोगों को सदमे में डाल दिया। भीषण बारिश और बादल फटने से मची तबाही में अब तक 1000 से अधिक लोगों को सेना और राहत दलों ने मौत के मुंह से खींच निकाला है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बिहार और ओडिशा के लिए रेड व ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है।
क्यों फटते हैं बादल?
बादल फटना दरअसल एक मौसम संबंधी घटना है जिसमें कम समय में बहुत अधिक बारिश एक सीमित इलाके में हो जाती है। यह तब होता है जब वातावरण में नमी से भरे बादल किसी कारण से पहाड़ या ठंडी हवा के संपर्क में आते हैं और अचानक उनका पूरा पानी एक साथ जमीन पर गिर जाता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में, नमी भरी हवाएं ऊँचाई पर जाकर ठंडी होती हैं और उनका पानी एक साथ बारिश के रूप में गिर पड़ता है।
बादल फटने की सबसे ज्यादा संभावना मानसून के समय होती है, जब समुद्र से आने वाली नमी भरी हवाएं पहाड़ों से टकराती हैं।
कई बार यह घटना स्थानीय वायुमंडलीय अस्थिरता और ग्लेशियर पिघलने से निकले पानी के असर से भी जुड़ जाती है, जिससे बारिश और तेज़ हो जाती है।
इसका असर इतना केंद्रित होता है कि कुछ किलोमीटर के दायरे में ही विनाशकारी बाढ़ आ जाती है, जबकि पास के इलाकों में सामान्य बारिश होती है।
तबाही का पहाड़ी सच
धाराली और हर्षिल में अचानक हुई मूसलाधार बारिश ने भागीरथी नदी और उसकी सहायक धाराओं को उफान पर ला दिया। स्थानीय लोग बताते हैं कि जलस्तर कुछ ही घंटों में कई गुना बढ़ गया, मानो किसी ने पहाड़ से जलप्रलय छोड़ दी हो। कई होटल, घर और दुकानें बह गए, सड़कें धंस गईं और सैकड़ों यात्री पहाड़ों में फंस गए। 20-25 फीट गहराई तक मलबे का ढेर इस आशंका को मजबूत करता है कि कई लोग अब भी उसके नीचे दबे हो सकते हैं।
ज़िंदगी और मौत के बीच जंग
भारतीय सेना, NDRF, SDRF, ITBP, BRO और राज्य पुलिस की टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हैं। हेलीकॉप्टर, ड्रोन, जिपलाइन और ट्रैकर डॉग्स की मदद से फंसे लोगों तक पहुंच बनाई जा रही है। शनिवार को ही 449 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। तेज बहाव, टूटी सड़कें और भूस्खलन ने राहत कार्य को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया है, लेकिन रेस्क्यू टीमों का हौसला अडिग है।
हिमाचल, बिहार और ओडिशा भी अलर्ट पर
उत्तराखंड की इस त्रासदी के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश भी भारी बारिश की मार झेल रहा है। कुल्लू, मंडी, चंबा और शिमला में भूस्खलन और सड़क अवरोध की घटनाएं बढ़ गई हैं। मौसम विभाग ने बिहार, ओडिशा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले 72 घंटों में मूसलाधार बारिश का पूर्वानुमान जताया है। दिल्ली में बीती रात तेज बारिश से मौसम सुहावना हो गया और तापमान में गिरावट दर्ज की गई।
सरकार की राहत घोषणाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने प्रभावित परिवारों के लिए छह महीने तक राशन, ₹5 लाख तक मुआवजा और पुनर्वास के लिए ₹20 करोड़ की तत्काल राहत राशि जारी करने का ऐलान किया। केंद्र सरकार ने भी अतिरिक्त सेना और राहत दल भेजे हैं।
सतर्कता ही सुरक्षा
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक पहाड़ी क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है। केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा 14 अगस्त तक स्थगित कर दी गई है। प्रशासन ने नदियों के किनारे, भूस्खलन संभावित इलाकों और टूटे पुलों से दूर रहने की चेतावनी दी है। राहत शिविर और मेडिकल टीमें तैयार हैं।
यह आपदा एक चेतावनी है
हिमालयी राज्यों की नाजुक भूगोल और बदलते मौसम का खतरा हमें बार-बार याद दिलाता है कि सतर्कता ही सुरक्षा है। समय रहते तैयारी और सावधानी से ही ऐसी त्रासदियों में जान-माल का नुकसान कम किया जा सकता है।