उत्तराखंड का सबसे बड़ा LUCC चिटफंड घोटाला!: 100 करोड़ लेकर विदेश भागे प्रमोटर्स, वही सड़क पर उतरी महिलाएं; जानें क्या है LUCC और कैसे हुआ यह घोटाला
उत्तराखंड का सबसे बड़ा LUCC चिटफंड घोटाला!

देहरादून : उत्तराखंड में करोड़ों की ठगी का एक मामला सामने आया है। LUCC (Loni Urban Multi State Credit & Thrift Co-operative Society) नाम की चिटफंड कंपनी ने आम जनता की पाई-पाई हड़प ली और प्रमोटर्स विदेश भाग गए। कहा जा रहा है कि कंपनी ने करीब 100 करोड़ रुपये की जालसाजी की है। अब वही महिलाएं, जिनसे भरोसे और सपनों का वादा किया गया था, सड़क पर धरना और अनशन करने को मजबूर हैं।

कैसे हुआ घोटाला? :

आपको बता दें कि 2016 में श्रीनगर गढ़वाल से शुरू हुई LUCC चिटफंड कंपनी ने पहले भरोसा जीतने के लिए ब्याज और रिटर्न दिए। लोगों को बड़े-बड़े सेमिनारों और “आर्थिक आज़ादी” के सपनों से जोड़ा गया। धीरे-धीरे 37 ब्रांच खोली गईं और लगभग 25 हज़ार एजेंट बनाए गए। महिलाओं, पूर्व सैनिकों और ग्रामीण परिवारों से दूध बेचकर, मजदूरी करके और पेंशन से पैसा जमा कराया गया। शुरू में सब ठीक दिखा, लेकिन सितंबर 2024 में अचानक सभी ब्रांच बंद कर दी गईं और अक्टूबर आते-आते डायरेक्टर्स विदेश भाग गए।

पीड़ितों की आंखों से निकलती कहानी :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीड़ितों में सुशीला नेगी (चमोली) ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि “मैंने अपना 6 लाख और 22 लाख दूसरों का पैसा कंपनी में लगाया। अब गांव लौटने की हिम्मत नहीं है, लोग मुझे गालियां देते हैं। बच्चों को पड़ोसियों के हवाले कर धरने पर बैठी हूं।”
वहीं बबीता (देहरादून एजेंट) ने बताया कि “मैंने अकेले 1 करोड़ से ज्यादा रुपये जमा कराए। हमें कहा गया था कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, लेकिन अब हमारी इज्जत भी दांव पर है।”
रुद्रप्रयाग जिले की रोशनी गौड़ के अनुसार “कंपनी कहती थी पैसा सोने की खदान और तेल के कुओं में लगाया जाएगा। असल में मालिक दुबई भाग बैठा है।”
वहीं सरिता बिष्ट (देहरादून) ने कहा कि “मेरे पति बॉर्डर पर देश की रक्षा कर रहे हैं और मैं यहां धरने पर बैठी हूं। मेरा खुद का 15 लाख और दूसरों का 10 लाख फंसा है।”

कौन हैं घोटालेबाज?

गौरतलब है कि पीड़ितों ने जिन नामों का खुलासा किया उनमें गिरीश चंद्र बिष्ट, उर्मिला बिष्ट, जगमोहन बिष्ट और पुष्पा शामिल हैं। मुख्य सरगना समीर अग्रवाल फिलहाल दुबई में बैठा बताया जा रहा है।

सरकार और जांच एजेंसियां क्या कर रही हैं?

विदित है कि सीबीआई जांच के आदेश तो हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। पीड़ितों का सवाल है: “अगर सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, तो खुफिया विभाग (LIU) हमसे रिपोर्ट क्यों लेता था?” 11 महीने से आंदोलन कर रहे लोग अब अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए हैं।

क्यों है यह घोटाला खतरनाक?

गौरतलब है कि यह सिर्फ उत्तराखंड का मामला नहीं, बल्कि 8 राज्यों में जाल फैला हुआ है। पूर्व सैनिकों, किसानों और महिलाओं की मेहनत की कमाई डूब गई है। 25 हज़ार एजेंट अब गली-गली में गालियां और धमकियां झेल रहे हैं क्योंकि लोगों ने उनके भरोसे पर पैसा लगाया था।

LUCC चिटफंड घोटाला सिर्फ एक आर्थिक धोखा नहीं, बल्कि यह लाखों परिवारों के सपनों और इज्जत की बर्बादी है। अब सड़क पर बैठी महिलाएं सरकार से सिर्फ एक ही मांग कर रही हैं कि “भागे हुए प्रमोटर्स को वापस लाओ और हमारा पैसा लौटाओ।”

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