NASA-ISRO ने मिलकर रचा इतिहास!: लॉन्च किया अब तक का सबसे ताकतवर 'निसार' सैटेलाइट, जंगल, बर्फ, मौसम कुछ नहीं छुपेगा, धरती की इस तरह करेगा निगरानी
NASA-ISRO ने मिलकर रचा इतिहास!

NASA-ISRO ने मिलकर रचा इतिहास!: लॉन्च किया अब तक का सबसे ताकतवर 'निसार' सैटेलाइट, जंगल, बर्फ, मौसम कुछ नहीं छुपेगा, धरती की इस तरह करेगा निगरानी

श्रीहरिकोटा : भारत और अमेरिका की स्पेस एजेंसियों ISRO और NASA ने मिलकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। बुधवार शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से GSLV F-16 रॉकेट के जरिए अब तक का सबसे महंगा, सबसे ताकतवर और सबसे एडवांस अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट NISAR लांच हुआ।

12,500 करोड़ रुपए का रहेगा बजट :

गौरतलब है कि लगभग 12,500 करोड़ रुपये की लागत से बना यह सैटेलाइट अब 747 किलोमीटर ऊंचाई से हर 97 मिनट में धरती का चक्कर लगाएगा और वो भी ऐसी नजर के साथ जिससे घना जंगल, बादल, बर्फ, अंधेरा या धुआं कुछ भी नहीं छुप पाएगा।

क्या है निसार और क्यों है खास?
आपको बता दें कि NISAR यानी NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar, पहली बार दो देशों की साझेदारी में बना ऐसा सैटेलाइट, जो धरती की छोटी से छोटी हरकत को भी पकड़ने में सक्षम है। इसमें 12 मीटर का गोल्ड-प्लेटेड रडार एंटीना के साथ एल-बैंड और एस-बैंड तकनीक लगाई गई है जो हर मौसम में साफ-सुथरी तस्वीरें भेजेगा। 12 दिनों में 1,173 चक्कर लगाकर पूरी धरती का नक्शा तैयार करेगा, अंधेरे, बर्फ, धुंध या बादल कोई रुकावट नहीं आएगी।

किस चीज की निगरानी करेगा?

विदित है कि निसार सिर्फ सैटेलाइट नहीं, ये धरती का वैज्ञानिक की तरह कार्य करेगा। ये सतह, पर्यावरण और समुद्री बदलावों की जासूसी करेगा:

1. धरती की सतह : जमीन धंसी, उठी या हिली , सबकुछ सेंटीमीटर तक मापा जाएगा
2. ग्लेशियर और बर्फ : ग्लोबल वॉर्मिंग का असर कहाँ और कितना, सब पता चलेगा
3. जंगल और खेती : पेड़ों की हालत, खेतों की सेहत सब निसार की नजर से देखा जा सकेगा।
4. समुद्री क्षेत्र : लहरें, करंट्स, तूफानों का समय रहते पूर्वानुमान किया जा सकता है।

कैसे काम करता है निसार?

विदित है कि निसार का रडार तकनीक किसी जादू से कम नहीं। 12 मीटर का रडार एंटीना माइक्रोवेव तरंगें धरती पर भेजता है। वो तरंगें धरती से टकराकर लौटती हैं और बताती हैं कि वहां क्या बदलाव हो रहा है, चाहे दिन हो या रात, बादल हों या तूफान ये सैटेलाइट कभी बंद नहीं होता।

रंगों से दिखाएगा बदलाव :

आपको बता दें कि निसार में निम्नलिखित रंगों से बदलाव पहचाना जा सकेगा:

हरा = जमीन ऊपर उठी
नीला = जमीन नीचे दबी
लाल = बर्फ या भू-स्खलन की चेतावनी
पर्पल = सतह गहरी धंसी

चार चरणों में पूरा होगा मिशन :

विदित है कि यह मिशन 4 चरणों में पूरा होगा:

1. लॉन्च : श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण
2. डिप्लॉयमेंट : एंटीना और सिस्टम सेटअप
3. कमीशनिंग : सिस्टम की जांच-पड़ताल
4. साइंस ऑपरेशन : असली निगरानी का काम शुरू

90 दिनों तक सभी सिस्टम्स को चेक किया जाएगा और फिर 5 साल तक धरती पर बारीक नजर रखेगा।

ओपन डेटा – हर किसी के लिए :

गौरतलब है कि निसार का डेटा ओपन-सोर्स होगा यानी कोई भी साइंटिस्ट, विद्यार्थी एवं संस्था इसका प्रयोग कर सकती है, जलवायु परिवर्तन से लेकर भूकंप, वन की कटाई से लेकर बर्फबारी तक, हर पहलू पर रिसर्च की जा सकेगी।

विदित है कि जलवायु संकट के दौर में ऐसी तकनीक जरूरी है जो धरती को हर कोण से देख सके। निसार भारत और अमेरिका की साझेदारी का प्रतीक है, जो सिर्फ अंतरिक्ष में नहीं, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और मानवता की भलाई के लिए भी एक ग्लोबल कदम है।

अन्य खबरे