जयपुर : भारत में अब बारिश भी टेक्नोलॉजी से होने जा रही है। विज्ञान और तकनीक के नए युग में देश पहली बार कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) की ओर कदम बढ़ाने जा रहा है। राजधानी जयपुर का रामगढ़ बांध इस ऐतिहासिक प्रयोग का गवाह बनने जा रहा है, जहां ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बादलों से बारिश करवाई जाएगी।
कब और कहाँ होगा परीक्षण :
आपको बता दें कि 31 जुलाई 2025, दोपहर 3 बजे, जमवारामगढ़ बांध पर यह ऐतिहासिक तकनीकी प्रदर्शन होगा, जिसमें कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा मुख्य अतिथि होंगे। यह परीक्षण केवल राजस्थान नहीं, बल्कि पूरे भारत के जल भविष्य को दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
क्या है यह कृत्रिम वर्षा तकनीक?
गौरतलब है कि इस तकनीक में ताइवान से लाए गए विशेष ड्रोन आसमान में उड़कर बादलों में सोडियम जैसे रसायनों का छिड़काव करेंगे। इसके चलते बादलों में संघनन (Condensation) बढ़ेगा और वे बरसने लगेंगे। यह प्रयोग लगभग 4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया जाएगा। यह पूरा काम AI आधारित तकनीक से संचालित होगा। यानी कब और कैसे बादलों को सक्रिय करना है, यह सब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तय करेगी।
15 दिन तक होगा ट्रायल, 60 बार बरसेंगे बादल :
विदित है कि इस तकनीक का 15 दिनों तक ट्रायल किया जाएगा। इस दौरान 60 बार ड्रोन उड़ाकर अलग-अलग क्षेत्रों में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। खास बात यह है कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार को एक भी रुपया खर्च नहीं करना पड़ेगा।अमेरिका की कंपनी GenexAI इस संपूर्ण प्रयोग का खर्च उठा रही है।
आईएमडी, NASA-और अमेरिकी वैज्ञानिकों की नजरें आसमान पर :
आपको बता दें कि इस प्रयोग की निगरानी-के लिए भारतीय मौसम विभाग (IMD), एयरपोर्ट मौसम विभाग (AMD), NASA-सैटेलाइट और अमेरिका के मौसम विशेषज्ञों की टीमें तैनात रहेंगी। ये टीमें 4 किलोमीटर क्षेत्र में बादलों की दिशा, संघनन और बारिश की मात्रा का रियल टाइम ट्रैकिंग करेंगी।
क्यों है यह इतना बड़ा कदम?
गौरतलब है कि राजस्थान जैसे सूखा प्रभावित राज्य के लिए यह तकनीक एक क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है। अगर परीक्षण सफल रहा तो इसे राज्य के अन्य जलाशयों और बांधों में भी अपनाया जाएगा। इसके साथ यह प्रयोग भविष्य में रामजल सेतु लिंक योजना जैसी बड़ी परियोजनाओं का आधार बन सकता है।
सरकार की अपील – बनें बदलाव के साक्षी :
आपको बता दें कि राज्य के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग ने आम नागरिकों, किसानों, वैज्ञानिकों और युवाओं से अपील की है कि वे 31 जुलाई दोपहर 3 बजे इस तकनीकी करिश्मे को देखने जमवारामगढ़ बांध जरूर आएं। यह मौका सिर्फ बारिश देखने का नहीं, भारत के जल इतिहास का हिस्सा बनने का है।
अब सवाल ये उठता है…क्या AI अब किसान का नया मानसून बन जाएगा?अगर यह तकनीक सचमुच सूखे की समस्या का समाधान बन पाएगी तो राजस्थान जैसे सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बड़ी राहत की बात होगी।