यूपी को मिली नई ऊर्जा की सौगात: गोरखपुर में शुरू हुआ पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट
यूपी को मिली नई ऊर्जा की सौगात

गोरखपुर, 17 अगस्त 2025
उत्तर प्रदेश अब स्वच्छ ऊर्जा क्रांति की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। गोरखपुर के खानिमपुर में टोरेंट पावर (Torrent Power) का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों उद्घाटित। यह प्रोजेक्ट प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी ऊर्जा संक्रमण की दिशा में अहम पड़ाव माना जा रहा है।

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है और क्यों जरूरी है?

ग्रीन हाइड्रोजन को पानी से इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक द्वारा बनाया जाता है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा (सौर या पवन ऊर्जा) का उपयोग होता है। इसे जब प्राकृतिक गैस में मिलाया जाता है तो ईंधन की गुणवत्ता बेहतर होती है और प्रदूषण में भारी कमी आती है। यही कारण है कि इसे भविष्य का स्वच्छ ईंधन (Clean Fuel) कहा जा रहा है।

प्रोजेक्ट की खासियतें:

गोरखपुर का यह प्रोजेक्ट एक पायलट योजना है, जिसके तहत प्राकृतिक गैस में लगभग 2 से 2.5% ग्रीन हाइड्रोजन मिलाया जाएगा। इस मिश्रण का उपयोग वाहनों और घरेलू रसोई गैस में किया जाएगा। टोरेंट ग्रुप के अधिशासी निदेशक डा. नरेंद्र कुमार के मुताबिक, यह प्रयोग प्रदेश का पहला कदम है, जो आने वाले समय में बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकेगा।

इस प्रोजेक्ट की एक और खासियत यह है कि ग्रीन हाइड्रोजन को सीधे सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और गेल (GAIL) की पाइपलाइन में भी मिलाया जाएगा। अनुमान है कि इससे हर वर्ष लगभग 500 टन कार्बन उत्सर्जन रोका जा सकेगा, जो पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय स्तर पर महत्व:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में लखनऊ में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान टोरेंट ग्रुप की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी, जिनमें गोरखपुर का ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट भी शामिल था। कुल मिलाकर लगभग 25,000 करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े इन प्रोजेक्ट्स का मकसद उत्तर प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और हरित ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी बनाना है।

ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट न केवल कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद करेगा, बल्कि यह भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2030 के लक्ष्य को भी मजबूती देगा। इस मिशन के तहत देश को 2030 तक दुनिया का एक बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

कंपनी की बड़ी योजना :

टोरेंट पावर केवल ग्रीन हाइड्रोजन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में इसे ग्रीन अमोनिया उत्पादन और सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स से भी जोड़ा जाएगा। कंपनी पहले से ही 150 मेगावाट सौर ऊर्जा और 4150 मेगावाट पम्प्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में कंपनी भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में एक बड़ा नाम बनने जा रही है।

भविष्य की राह :

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से न सिर्फ गोरखपुर और पूर्वांचल को फायदा होगा, बल्कि यह पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है। आने वाले समय में इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू कर वाहनों, उद्योगों और घरेलू गैस आपूर्ति को और अधिक स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सकेगा।

गोरखपुर का यह ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट प्रदेश को नई दिशा देगा। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की ओर बड़ा कदम है, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ने का संकेत भी है। उत्तर प्रदेश अब ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।

 

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