अपराध: आगरा में एक हनी-ट्रैप और सेक्स-टॉर्शन रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस ने एक युवती और उसके साथी को गिरफ्तार किया है, जो बड़े ही संगठित तरीके से व्यापारियों और उद्यमियों को निशाना बनाते थे।
गिरोह का तरीका बेहद चालाक था, पहले मिस्ड कॉल भेजकर शिकार को फँसाया जाता, फिर फ्रेंडली बातचीत के जरिए भरोसा जीतकर होटल में बुलाया जाता। होटल में शिकार को ड्रिंक दी जाती और गुप्त कैमरे से अश्लील वीडियो रिकॉर्ड किया जाता।
इसके बाद वीडियो के आधार पर धमकी देकर भारी रकम वसूली जाती थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह गिरोह कई महीनों से सक्रिय था और उनके शिकार कई हैं, जिनसे अब तक कई लाख रुपये से अधिक वसूले जा चुके हैं।
पीड़ितों का बयान और FIR की जानकारी
ताजगंज क्षेत्र के एक व्यापारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उनके अनुसार, उन्हें एक अनजान नंबर से मिस्ड कॉल आई। जब उन्होंने कॉल बैक किया, तो युवती ने दोस्ताना बातचीत शुरू की और अगली दिन होटल में मिलने की पेशकश की। होटल पहुंचने पर उन्हें ड्रिंक दी गई और गुप्त कैमरे से वीडियो बनाया गया।
इसके बाद युवती और उसके साथी ने धमकी देना शुरू किया कि यदि वीडियो वायरल हुआ तो परिवार और समाज में बदनामी होगी। डर और शर्म के कारण व्यापारी ने उन्हें पैसे दिए। FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की।
पुलिस की कार्रवाई और बरामदगी
एसएसपी आगरा ने बताया कि युवती और उसके साथी को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में आरोपियों ने कई और शिकारों का जिक्र किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से मोबाइल फोन, वीडियो रिकॉर्डिंग, होटल का रिकॉर्ड और कॉल/चैट डिटेल (CDR) बरामद किया है।
इसके अलावा गैंग के अन्य मुख्य सदस्य प्रविंद्र भारद्वाज, प्रवेश भारद्वाज और रियाज अभी भी फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए कई शहरों में छापेमारी की जा रही है।
होटल और कर्मचारियों की भूमिका
जांच में यह संदेह भी सामने आया है कि होटल के कुछ स्टाफ ने गिरोह को कमरा उपलब्ध कराने में मदद की हो सकती है। पुलिस अब CCTV फुटेज और होटल के एंट्री रिकॉर्ड की मदद से पूरे मामले की तह तक जा रही है।
इससे पता चल सकता है कि गिरोह का नेटवर्क केवल शहर तक ही सीमित नहीं, बल्कि आस-पास के जिलों में भी सक्रिय था।
गिरोह की सक्रियता और वसूली का अनुमान
पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह गिरोह कम से कम 6–8 महीनों से सक्रिय था। उन्होंने अब तक कई व्यापारी और उद्यमियों को फँसाया और लाखों रुपये की वसूली की।
कुल वसूली करीब 1 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इसके अलावा पुलिस को संदेह है कि गिरोह के अन्य सदस्य भी देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह की गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं।
साइबर सेल और पुलिस की पहले से नजर
सूत्रों के अनुसार, साइबर सेल को पहले से इस गिरोह के नंबरों और गतिविधियों के बारे में सूचना मिल रही थी। लेकिन व्यापारी की FIR के बाद पुलिस को पूरे गिरोह के नेटवर्क की जानकारी मिली।
एसएसपी ने बताया कि पूरे मामले की जांच अभी जारी है और अन्य पीड़ित सामने आने की संभावना है।
साइबर और सोशल मीडिया के बढ़ते खतरों का उदाहरण
यूपी में पिछले साल हनी-ट्रैप और सेक्स-टॉर्शन के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। डिजिटल ब्लैकमेलिंग का यह मामला दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग शिकार की शर्म और भय का फायदा उठाकर बड़ी रकम वसूलते हैं।
पुलिस का कहना है कि ऐसे मामलों में समय पर शिकायत और सतर्कता सबसे बड़ी सुरक्षा है।
पीड़ितों के मानसिक और सामाजिक नुकसान
ब्लैकमेलिंग से पीड़ितों को न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि मानसिक तनाव, परिवार और समाज में बदनामी का डर भी झेलना पड़ता है।
कई पीड़ित मामले दर्ज कराने में हिचकिचाते हैं, जिससे अपराधियों को और हिम्मत मिलती है। इसलिए पुलिस ने चेतावनी दी है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि या धमकी की स्थिति में तुरंत साइबर सेल या पुलिस को सूचित किया जाए।
पुलिस की चेतावनी और जनता के लिए सलाह
पुलिस ने आम लोगों को सावधान किया है:
•अनजान नंबरों से आए मिस्ड कॉल पर प्रतिक्रिया न दें।
•होटल या किसी अन्य जगह पर अनजान व्यक्तियों से न मिलें।
•किसी द्वारा दी गई ड्रिंक न लें।
•संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत 1930 (साइबर हेल्पलाइन) या स्थानीय पुलिस को सूचित करें।
एसएसपी ने कहा कि गिरोह पर गैंगस्टर एक्ट और संपत्ति जब्ती की कार्रवाई भी की जाएगी। इसके अलावा, अन्य शहरों में गिरोह के संभावित सदस्यों की तलाश जारी है।
निष्कर्ष:
आगरा में पकड़ा गया यह हनी-ट्रैप रैकेट सिर्फ ब्लैकमेल का मामला नहीं, बल्कि बड़े नेटवर्क का हिस्सा प्रतीत होता है। पुलिस की सक्रियता से कई और पीड़ितों के सामने आने की उम्मीद है। यह घटना सभी के लिए चेतावनी है कि डिजिटल और ऑफलाइन दुनियाओं में सतर्क रहना कितना जरूरी है।