काशी में लॉन्च हुई देश की पहली हाइड्रोजन वाटर टैक्सी!: नमो घाट से रविदास घाट होगा रूट, वहीं 50 यात्री...जानें क्या रहेगा टिकट और यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं
काशी में लॉन्च हुई देश की पहली हाइड्रोजन वाटर टैक्सी!

वाराणसी : वाराणसी अब सिर्फ आध्यात्मिक नगरी नहीं रही, गंगा के तट पर टेक्नोलॉजी का ऐसा धमाका हुआ है जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है। नमो घाट से रविदास घाट तक भारत की पहली स्वदेशी हाइड्रोजन वाटर टैक्सी ने औपचारिक रूप से शुरुआत कर दी है और इसके साथ ही काशी देश का पहला शहर बन गया है जहां गंगा पर पूरी तरह ग्रीन-एनर्जी पर चलने वाली टैक्सी दौड़ेगी। केंद्रीय जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने टैक्सी को हरी झंडी दिखाते हुए इसे “वाराणसी की नई पहचान” बताया। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ एक वाटर टैक्सी नहीं, बल्कि भविष्य की आवाज है। प्रदूषण-मुक्त गंगा सफर का यह नया दौर काशी को विश्व पर्यटन नक्शे पर एक नई ऊंचाई देगा।”

कैसी है यह हाइड्रोजन वाटर टैक्सी? देखकर लोग रह गए दंग :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संचालन एजेंसी जलसा क्रूज लाइन के अनुसार, यह टैक्सी एक बार में 50 यात्रियों को लेकर चलेगी और दिन भर में 7 फेरे लगाएगी।

इसकी सबसे बड़ी खासियत निम्नलिखित है।

पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त; न धुआं, न आवाज

गौरतलब है कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलन से बिजली बनती है, और इससे चलता है टैक्सी का इंजन। न कोई कार्बन उत्सर्जन, न कोई शोर, सफर शांत, स्वच्छ और बेहद आरामदायक होगा।।

हाइब्रिड टेक्नोलॉजी :

विदित है कि अगर हाइड्रोजन खत्म हो जाए तो बैकअप के रूप में इलेक्ट्रिक इंजन भी मौजूद है।

कोच्चि शिपयार्ड में बना ‘मेड-इन-इंडिया’ जहाज

पूरी तरह भारतीय तकनीक से तैयार यह वाटर टैक्सी आधुनिक डिजाइन लिए हुए है, जो मेट्रो कोच जैसी दिखती है।

किराया कितना? यात्रियों को क्या-क्या मिलेगा?

●टिकट : ₹800 प्रति व्यक्ति
●खास बात यह है कि इसी किराए में मिलेगा ‘बनारसी जायका’ मिलेगा।
●टैक्सी में लगी दो डिजिटल स्क्रीन काशी और गंगा से जुड़ी जानकारी दिखाती हैं
●बायो-टॉयलेट, CCTV कैमरे और सुरक्षा गियर भी मौजूद
●नमो घाट व अस्सी घाट पर बने दो नए हाइड्रोजन स्टेशन टैक्सी को ईंधन मुहैया कराएंगे

भविष्य में इस टैक्सी को अस्सी घाट से मार्कंडेय धाम तक बढ़ाया जाएगा।

काशी बना देश का पहला हाइड्रोजन वाटर टैक्सी हब

आईडब्ल्यूएआई के अधिकारियों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट एक नेशनल पायलट मॉडल है। अगर काशी में यह सेवा सफल होती है, तो मुंबई, कोच्चि, गुवाहाटी, कोलकाता, पटना समेत कई बड़े रिवर पोर्ट शहरों में भी इसी मॉडल को लागू किया जाएगा। इसके लिए रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल पर 1500 किलो प्रति दिन क्षमता वाला हाइड्रोजन प्लांट प्रस्तावित है। इसके लिए देशभर में 3 स्थायी हाइड्रोजन प्रोडक्शन प्लांट तैयार करने की योजना।

ग्रीन हाइड्रोजन के फायदे:

आपको बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन पूरी तरह रिन्यूएबल एनर्जी (सौर व पवन ऊर्जा) से उत्पन्न होती है। इससे चलने वाले जहाज, कार और बसें बिल्कुल प्रदूषण रहित होती हैं।

इसके फायदे –
●ग्रीन हाइड्रोजन = जीरो प्रदूषण
●लागत घटेगी
●ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी
●नदी परिवहन तेज और सुरक्षित बनेगा

काशी के पर्यटन में नया अध्याय

गौरतलब है कि नमो घाट पहले ही Varanasi का नया टूरिस्ट सेंटर बन चुका है। अब हाइड्रोजन वाटर टैक्सी आने से -

विदेशी पर्यटन को बड़ा बूस्ट मिलेगा

गंगा क्रूज, गंगा विलास के बाद भारत के नदी-परिवहन में नया अध्याय खुला

पर्यावरण-मुक्त यात्रा से काशी का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड और मजबूत होगा

काशी ने देश को भविष्य की राह दिखाई है। वाराणसी में यह लॉन्च सिर्फ एक टैक्सी सेवा नहीं, बल्कि
“हाइड्रोजन भारत मिशन” की सबसे बड़ी छलांग मानी जा रही है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी को अब देश का पहला हाइड्रोजन वाटर ट्रांसपोर्ट सिटी होने का गौरव मिल गया है। आगे हाइड्रोजन बसें, हाइड्रोजन ट्रेनें और हाइड्रोजन पोत भी आ सकते हैं और इसकी शुरुआत काशी ने कर दी है।

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