प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में बदल गया ठाकुरजी के दर्शन का समय!: VIP पर्ची हुई बंद, जानें कपाट बंद और खुलने का नया समय वही...
प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में बदल गया ठाकुरजी के दर्शन का समय!

मथुरा : श्रीबांकेबिहारी मंदिर में अब VIP पर्चियों का दौर पूरी तरह खत्म हो गया है। जिलाधिकारी और हाई पावर्ड कमेटी के सचिव सीपी सिंह ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब हर भक्त बिना किसी वीआईपी बाधा के ठाकुरजी के दर्शन कर सकेगा। इसके साथ ही मंदिर के दर्शन समय में भी बड़ा बदलाव कर दिया गया है, जिसकी सूचना मंदिर प्रबंधन ने नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दी है।

क्या है नया बदलाव?

आपको बता दें कि हाई पावर्ड कमेटी ने मंदिर के दर्शन समय को लेकर नई व्यवस्था लागू की है। अब ठाकुरजी के दर्शन का समय ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन दोनों अवधियों में अलग-अलग होगा।

ग्रीष्मकालीन समय (होली की दूज से प्रभावी) :

●सुबह 07:00 – 07:15 बजे : श्रृंगार आरती
●सुबह 07:15 – 12:30 बजे : सामान्य दर्शन
●12:30 बजे के बाद : राजभोग आरती व पट बंद
●शाम 04:15 – 09:30 बजे : सामान्य दर्शन
●09:30 बजे : शयन आरती और पट बंद

शीतकालीन समय (दीवाली की दूज से प्रभावी) :

●सुबह 08:00 – 08:15 बजे : श्रृंगार आरती
●08:15 – 01:30 बजे तक : सामान्य दर्शन
●01:30 बजे के बाद : राजभोग आरती व पट बंद
●शाम 04:00 – 09:00 बजे : सामान्य दर्शन
●09:00 बजे : शयन आरती और पट बंद

कोर्ट और सेवायतों की आपत्ति, कोर्ट लगा चुकी रोक :

गौरतलब है कि यह फैसला अचानक नहीं आया है। दशकों से मंदिर के दर्शन समय को बढ़ाने की मांग उठती रही है, लेकिन हर बार सेवायत समाज इसका विरोध करता रहा है। सेवायतों का कहना है कि “ठाकुरजी कोई शोपीस नहीं, वे आराध्य हैं। उन्हें अनावश्यक रूप से लंबे समय तक खड़ा रखना भावसेवा के विरुद्ध है।” इसी मुद्दे पर कई बार कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं। नवंबर 2022 में भी जब दर्शन का समय बढ़ाया गया था, तब कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

इतिहासकारों का दृष्टिकोण

आपको बता दें कि इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार, बढ़ती भीड़ और अव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए दर्शन समय में लगभग 3 घंटे की बढ़ोतरी की गई है। अब ठाकुरजी सुबह और शाम मिलाकर करीब 11 घंटे भक्तों को दर्शन देंगे। हालांकि, श्रृंगार आरती के समय में कोई विस्तार नहीं किया गया है, जबकि सेवायत लंबे समय से सभी आरतियों को बराबर समय देने की मांग कर रहे हैं।

क्या है भक्तों की राय

विदित है कि कुछ भक्त इसे स्वागत योग्य मान रहे हैं, क्योंकि अब बिना वीआईपी पर्ची के सबको बराबर अवसर मिलेगा। वहीं, सेवायतों का कहना है कि अदालत में यह मामला अभी लंबित है और इस पर अंतिम फैसला कोर्ट ही करेगा।

श्रीबांकेबिहारी मंदिर की यह नई व्यवस्था भक्तों के लिए राहत और सेवायतों के लिए चुनौती लेकर आई है। जहां आम श्रद्धालु खुश हैं कि अब उन्हें वीआईपी पर्ची की दीवार नहीं रोक पाएगी, वहीं सेवायत इस बदलाव को परंपरा और भावसेवा के खिलाफ मान रहे हैं। सवाल यही है कि क्या यह फैसला स्थायी साबित होगा या फिर पिछली बार की तरह अदालत से एक बार फिर रोक लग जाएगी?

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