स्वामी रामभद्राचार्य का संत प्रेमानंद पर तंज; कह दी ये बड़ी बात!: भड़के ब्रज के संत; बोले- “ज्ञान का घमंड, भक्ति का भाषा से...जानें क्या हैं पूरा मामला
स्वामी रामभद्राचार्य का संत प्रेमानंद पर तंज; कह दी ये बड़ी बात!

मथुरा/चित्रकूट : संत समाज में इन दिनों हलचल तेज है। कारण है जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का एक बयान, जिसमें उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज को चुनौती देते हुए कहा कि : “अगर उनके अंदर चमत्कार है तो वे मेरे सामने एक अक्षर संस्कृत बोलके दिखाएं। मेरे द्वारा बोले गए श्लोक का अर्थ समझाएं। उनकी लोकप्रियता क्षणभंगुर है। प्रेमानंद बालक के समान हैं।”
यह बयान सामने आते ही ब्रज के साधु-संतों में नाराजगी फैल गई। कई संतों ने इसे “ज्ञान का अहंकार” बताया और कहा कि भक्ति का संबंध भाषा से नहीं, बल्कि हृदय से होता है।

“भक्ति का भाषा से कोई लेना-देना नहीं” :

आपको बता दें कि साधक मधुसूदन दास ने सबसे पहले कड़ा विरोध दर्ज कराया। उनका कहना है कि : “रामभद्राचार्य को अपने ज्ञान का घमंड हो गया है। प्रेमानंद महाराज दिव्य संत हैं। भक्ति संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी या किसी भाषा से बंधी नहीं है। दुनिया भर के लोग अलग-अलग भाषाओं में भजन करते हैं। कोई फ्रेंच में करता है, कोई चाइनीज में तो क्या उसका असर कम हो जाता है?”

संत समाज का आक्रोश: “यह शोभनीय नहीं”

गौरतलब है कि संत अभिदास महाराज ने भी रामभद्राचार्य पर तीखा वार किया। उन्होंने कहा कि : “प्रेमानंद महाराज ने लाखों युवाओं को बुरे रास्ते से निकालकर सद्मार्ग पर लगाया है। वे कलयुग के दिव्य संत हैं। उनके बारे में इस तरह की टिप्पणी शोभनीय नहीं है। ज्ञान का अहंकार किसी को नहीं सुहाता।”
दिनेश फलाहारी ने तो यहां तक कह दिया कि “इतना घमंड तो रावण को भी नहीं था। प्रेमानंद महाराज के पास कोई संपत्ति नहीं, जबकि रामभद्राचार्य जी के पास विशाल आश्रम हैं। प्रेमानंद तो राधा नाम के धनी हैं।”

“प्रेमानंद आज युवाओं की धड़कन हैं” :

आपको बता दें कि धर्माचार्य अनमोल शास्त्री ने कहा कि “यह कहना कि प्रेमानंद जी संस्कृत का एक अक्षर नहीं बोल सकते, संतों की मर्यादा के खिलाफ है। इतना घमंड ठीक नहीं। आज प्रेमानंद युवाओं की धड़कन हैं। उन्होंने युवाओं को सही राह दिखाई है। ब्रज की शान हैं प्रेमानंद बाबा।”

“किसी को कमजोर बताना संतों की परंपरा नहीं” :

विदित है कि आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने भी नाराजगी जताई और कहा कि : “संतों की परंपरा है शांत स्वरूप में सेवा करना। लेकिन आज एक होड़ मच गई है कि कौन बड़ा संत है, कौन रियल है और कौन रील का। यह तय करना समाज का काम है, न कि संतों का।”

“प्रेमानंद महाराज की ख्याति विश्वभर में”

आपको बता दें कि साध्वी दिव्या किशोरी ने कहा कि “प्रेमानंद महाराज के हृदय में राधारानी बसती हैं। उन्होंने करोड़ों भक्तों को वृंदावन से जोड़ा है। उनका नाम पूरी दुनिया में लिया जाता है। ऐसे में रामभद्राचार्य जैसे बड़े संत द्वारा की गई टिप्पणी से गलत संदेश जाता है, मानो वे प्रेमानंद जी से ईर्ष्या कर रहे हों।”

5 साल के बालक बाहुबली भी उतरे समर्थन में :

गौरतलब है कि श्रृंग्वेरपुर धाम, प्रयागराज के 5 वर्षीय बालक राम श्रीश बाहुबली महाराज भी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने कहा - “मैं प्रेमानंद बाबा की कृपा से जीवित हूं, वरना मेरी किडनी खराब थी। वे राधा नाम का जप करने वाले संत हैं। उनके खिलाफ कुछ कहना भगवान का अपमान है।”

रामभद्राचार्य और प्रेमानंद महाराज के बीच यह बयानबाजी अब संत समाज की चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गई है। एक तरफ ज्ञान और शास्त्र का तर्क है, तो दूसरी तरफ भक्ति और भाव का बल। ब्रज से लेकर काशी और चित्रकूट तक संतों का कहना है कि “ज्ञान बड़ा हो सकता है, लेकिन भक्ति ही सच्ची शक्ति है।”

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