उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों का खतरा लगातार बढ़ रहा है। विधान परिषद को भेजी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में रोजाना औसतन 10,000 लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में एक कबड्डी खिलाड़ी की दर्दनाक मौत ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR के नगर निकायों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों की नसबंदी कर उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए। हालांकि, इस पर देशभर में राय बंटी हुई है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अब ठोस कदम जरूरी हैं।
भारत में राज्यों की स्थिति :
पशुपालन मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 1.53 करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते हैं।
उत्तर प्रदेश: संख्या सबसे अधिक; सार्वजनिक स्थानों पर अनियंत्रित खाना खिलाने पर रोक।
बिहार: पटना, गया और भागलपुर में हमलों में वृद्धि; ABC कार्यक्रम की धीमी रफ्तार।
ओडिशा: भुवनेश्वर और कटक में नसबंदी व टीकाकरण अभियान।
महाराष्ट्र: चुनिंदा स्थानों पर भोजन की अनुमति; रेबीज़ नियंत्रण पर जोर।
राजस्थान: जयपुर व जोधपुर में हजारों कुत्तों की नसबंदी; ग्रामीण इलाकों में समस्या कायम।
कर्नाटक: बेंगलुरु में NGO व निगम मिलकर टीकाकरण अभियान चला रहे हैं।
गोवा: 2017 से रेबीज़ नियंत्रित; 2023 में एक मामला दर्ज।
केरल: निगरानी समितियां सक्रिय, लेकिन हमलों में हालिया बढ़ोतरी।
दुनिया के सफल उदाहरण
नीदरलैंड्स: CNVR (Catch-Neuter-Vaccinate-Return) मॉडल, सख्त पालतू कानून और पशु पुलिस के चलते अब लगभग शून्य आवारा कुत्ते।
भूटान: 2022-23 में 100% नसबंदी व रेबीज़ टीकाकरण।
थाईलैंड (फुकेट): Soi Dog Foundation ने 1.17 मिलियन से अधिक कुत्तों-बिल्लियों की नसबंदी और टीकाकरण किया।
चीन (बीजिंग): 80-86% पालतू कुत्तों का पंजीकरण व टीकाकरण; 2021 से मानव रेबीज़ का कोई मामला नहीं।
ब्राज़ील (साओ पाओलो): पांच वर्षों में 60% आबादी में कमी।
अमेरिका (ऑस्टिन): “नो-किल” नीति से 30,000 कुत्तों को गोद दिलवाया, euthanasia दर में 25% कमी।
मोरक्को: 100 मिलियन डॉलर बजट, 130 हाइजीन ऑफिस, डॉक्टर-वेटरिनेरियन टीम के साथ व्यापक अभियान।
सीख और आगे की राह
भारत के लिए इन अंतरराष्ट्रीय मॉडलों से प्रेरणा लेना आवश्यक है।
जरूरी कदम:
1. बड़े पैमाने पर नसबंदी व टीकाकरण।
2. पालतू पशुओं का पंजीकरण और त्याग पर सख्त कानून।
3. नगरपालिकाओं में आधुनिक शेल्टर होम का विस्तार।
4. जनजागरूकता और गोद लेने की संस्कृति को बढ़ावा।
5. कचरा प्रबंधन व खाने के स्रोत पर नियंत्रण।
यदि भारत नीदरलैंड्स, भूटान और मोरक्को जैसे देशों के मानवीय और संगठित मॉडल को अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार अपनाए, तो न केवल जनसुरक्षा और स्वच्छता में सुधार होगा, बल्कि पशु कल्याण के सिद्धांत भी कायम रहेंगे।