Cyber Crime; SIR फॉर्म के नाम पर तेजी से बढ़ता स्कैम!: BLO बनकर कॉल, वोटर कार्ड कैंसिल होने की धमकी और नकली लिंक?
Cyber Crime; SIR फॉर्म के नाम पर तेजी से बढ़ता स्कैम!

जानें कैसे फैल रहा है स्कैम?
देश के कई राज्यों में SIR (Special Intensive Revision) फॉर्म के नाम पर ठगी का नया तरीका सामने आया है। चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर लिस्ट संशोधन अभियान का फायदा उठाकर साइबर ठग खुद को BLO यानी बूथ लेवल ऑफिसर बताकर लोगों को कॉल कर रहे हैं।

वे पीड़ितों को यह कहकर डराते हैं कि उनके रिकॉर्ड में गलती है और यदि तुरंत वेरिफिकेशन नहीं किया गया, तो उनका नाम वोटर सूची से हट सकता है। इस तरह डर और जल्दबाजी का माहौल बनाकर वे व्यक्तिगत जानकारियाँ, बैंक डिटेल्स और OTP हासिल कर लेते हैं।

OTP और SIR.apk से शुरू होता है धोखाधड़ी का खेल
कई मामलों में ठग पीड़ित के फोन पर एक OTP भेजने का दावा करते हैं और उसे पढ़कर बताने को कहते हैं। जैसे ही व्यक्ति OTP साझा करता है, फ्रॉड करने वाले बैंकिंग या UPI अकाउंट तक पहुंच बना लेते हैं। कुछ मामलों में वे WhatsApp या मैसेज के जरिए एक लिंक भेजते हैं, जिसमें “SIR.apk” नाम का ऐप होता है।

यह ऐप असल में एक मैलवेयर है, जिसे इंस्टॉल करते ही फोन का पूरा डेटा-बैंकिंग ऐप्स, फोटो, कॉन्टैक्ट, SMS, पासवर्ड, सब ठगों की पकड़ में चला जाता है। इसके बाद अक्सर मिनटों में पीड़ित का बैंक खाता खाली कर दिया जाता है।

SIR फॉर्म क्या होता है? (सिंपल लैंग्वेज में समझें)
SIR फॉर्म का पूरा नाम Self Information Report नहीं होता बल्कि यह मतदाता सूची (Voter List) के प्रबंधन में उपयोग होने वाला ‘Statistical Information Report’ जैसा इंटरनल डेटा फॉर्मेट माना जाता है। लेकिन ध्यान दें-

•आम नागरिकों के लिए कोई अलग से SIR फॉर्म भरने की प्रक्रिया नहीं होती।
•चुनाव आयोग ऐसी किसी चीज़ को जनता से नहीं भरवाता।
•BLO भी कभी किसी को ‘SIR फॉर्म अपडेट करो’ कहकर कॉल नहीं करता।
यही कारण है कि साइबर ठग इसी नाम का झांसा देकर ठगी चला रहे हैं।

असल में जनता के लिए कौन से फॉर्म होते हैं?
सामान्य मतदाता के लिए सिर्फ चार फॉर्म होते हैं:
•Form-6- नया नाम जुड़वाने के लिए
•Form-7- नाम हटवाने के लिए
•Form-8- सुधार के लिए
•Form-6B- आधार लिंकिंग के लिए
इनमें कहीं भी SIR फॉर्म नाम की कोई प्रोसेस नहीं होती।
ठग इसी नॉलेज की कमी का फायदा उठा रहे हैं।

देशभर से सामने आई वास्तविक घटनाएँ
मध्य प्रदेश के भोपाल में एक व्यक्ति से SIR.apk इंस्टॉल करवाया गया और देखते ही देखते उसके UPI से 1.25 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए। रायपुर की एक महिला को यह धमकी मिली कि SIR फॉर्म में गलती है, OTP न देने पर उनका नाम वोटर लिस्ट से हट जाएगा।

उन्होंने जैसे ही OTP बताया, बैंक खाते से पैसे कटने लगे। कोलकाता में एक बुज़ुर्ग नागरिक को “नाम हट रहा है” कहकर डराया गया और OTP लेते ही रात में दो संदिग्ध ट्रांजैक्शन हो गईं। ऐसी घटनाओं ने पुलिस और चुनाव आयोग दोनों को तुरंत अलर्ट मोड में डाल दिया है।

चुनाव आयोग की सख्त चेतावनी
Election Commission of India ने साफ शब्दों में कहा है कि SIR प्रक्रिया में न तो OTP की आवश्यकता होती है और न ही किसी ऐप इंस्टॉल करने की। आयोग का कहना है कि कोई भी BLO फोन पर आधार नंबर, OTP या बैंक संबंधी जानकारी नहीं मांगता।

BLO यदि घर पर आता है, तो उसके पास पहचान पत्र होता है और वह किसी भी प्रकार के लिंक, एप्लिकेशन या डिजिटल फॉर्म डाउनलोड करवाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। आयोग ने जनता से अपील की है कि ऐसे कॉल या संदेशों पर भरोसा न करें।

किन लोगों को सबसे अधिक निशाना बनाया जा रहा है
साइबर ठग उन लोगों को ज्यादा निशाना बना रहे हैं जो तकनीक को लेकर बहुत जानकार नहीं हैं। इनमें बुज़ुर्ग, महिलाएँ, ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिक, पहली बार वोटर बने युवा और मोबाइल उपयोग में नए लोग प्रमुख हैं। ठग आमतौर पर ऐसे लोगों को चुनते हैं जिन्हें आसानी से सरकारी नाम या प्रक्रिया सुनकर विश्वास दिलाया जा सके।

संदिग्ध कॉलों में कौन-कौन सी बातें कही जाती हैं
कई लोगों ने बताया कि ठग उन्हें नाम हटने की धमकी देकर कहते हैं कि तुरंत वेरिफिकेशन कराना होगा। वे दावा करते हैं कि एक OTP आपके नंबर पर आया है, उसे बताना जरूरी है।

कुछ तो इस हद तक चले जाते हैं कि "सरकारी ऐप डाउनलोड कीजिए" कहकर SIR.apk भेजते हैं। ये बातें एक ही पैटर्न पर काम करती हैं- डर पैदा करो, तुरंत कार्रवाई करने को कहो और गलती से भी व्यक्ति कोई संवेदनशील जानकारी दे दे।

SIR प्रक्रिया का असली सरकारी तरीका क्या है
सच्चाई यह है कि SIR फॉर्म की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और ऑफिशियल होती है। BLO घर-घर जाकर दस्तावेज़ का सत्यापन करता है और जरूरत पड़ने पर कागज़ी फॉर्म भरवाता है।

ऑनलाइन प्रक्रिया केवल चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइटों पर ही पूरी की जाती है। इसमें कभी OTP नहीं मांगते, कोई ऐप डाउनलोड नहीं कराया जाता और न ही वोटर का नाम हटाने की धमकी दी जाती है। यह स्पष्ट संकेत है कि ऐसा कोई भी कॉल या संदेश धोखाधड़ी है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की चेतावनी
साइबर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि SIR.apk जैसी फाइलें बहुत खतरनाक होती हैं और यह कुछ सेकंड में फोन पर पूरा कंट्रोल हासिल कर सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, OTP साझा करना ऐसा है जैसे आप अपने बैंक अकाउंट की चाबी किसी अजनबी को पकड़ा दें।

उन्होंने कहा है कि ऐसे मैलवेयर फोन में इंस्टॉल होते ही पूरी निजी जानकारी का जोखिम बढ़ जाता है, इसलिए किसी भी अज्ञात स्रोत की फाइल खोलना या डाउनलोड करना बेहद खतरनाक है।

इस स्कैम से बचने के सबसे ज़रूरी तरीके
अगर किसी अनजान नंबर से SIR फॉर्म या वोटर लिस्ट के नाम पर कॉल आए, तो तुरंत फोन काटना ही बेहतर है। कभी भी OTP शेयर न करें और किसी लिंक या APK को डाउनलोड न करें।

यदि आपसे गलती से भी OTP शेयर हो गया या कोई संदिग्ध ऐप डाउनलोड हो गया है, तो तुरंत मोबाइल का डेटा बंद करें, बैंक हेल्पलाइन को कॉल करके अकाउंट ब्लॉक कराएं और फिर 1930 पर साइबर हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करें। इसके साथ ही पासवर्ड बदलना भी जरूरी है।

जनता के लिए चेतावनी संदेश
जानकारों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति आपको SIR वेरिफिकेशन के नाम पर कॉल कर रहा है और OTP या ऐप डाउनलोड करने को कह रहा है, तो यह 100 प्रतिशत फ्रॉड है। ऐसे स्कैम से बचने का सबसे आसान तरीका है सावधान रहना और किसी भी अनजान प्रक्रिया को आंखें बंद करके फॉलो न करना।

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